भारत में इंटरनेट बंद करने का तरीका– आपको बता दें कि केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट बैन करने का ऑर्डर देते हैं। इंटरनेट बैन के ऑर्डर को एसपी या उससे ऊपर के रैंक वाले अधिकारी के जरिए भेजा जाता है। इसके बाद अधिकारी टेलीकॉम कंपनी को उस राज्य में इंटरनेट बैन करने के लिए कहता है।
ऑर्डर को अगले वर्किंग डे में सरकार के रिव्यू पैनल के पास भेजा जाता है। यहां पैनल पांच दिन तक ऑर्डर का रिव्यू करता है। इस रिव्यू पैनल में कैबिनेट सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और टेलीकम्युनिकेशन्स सेक्रेटरी शामिल होते हैं।
दूसरी तरफ राज्य सरकार की तरफ से दिए गए ऑर्डर के रिव्यू में चीफ सेक्रेटरी और लॉ सेक्रेटरी शामिल होते हैं। मंजूरी मिलने के बाद इंटरनेट पर बैन लगा दिया जाता है।
जॉइंट सेक्रेटरी धारा 144 के दौरान इंटरनेट पर लगा सकते हैं बैन
केंद्र और राज्य के गृह सचिव की तरफ से चुने गए जॉइंट सेक्रेटरी धारा 144 के दौरान इंटरनेट पर बैन लगाने का आदेश दे सकते हैं। लेकिन इस फैसले के लिए जॉइंट सेक्रेटरी को 24 घंटे के अंदर गृह सचिव से मंजूरी लेनी होती है।
इंटरनेट बैन के नियमों में हुआ बदलाव
वर्ष 2017 से पहले क्षेत्र के डीएम इंटरनेट बंद करने के आदेश देते थे। लेकिन, केंद्र सरकार ने इंडियन टेलीग्राफ ऐक्ट 1885 के तहत टेम्प्ररी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) नियम में बदलाव किया था, जिसके बाद अब केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट बैन का आदेश दे सकते हैं।
इंटरनेट सुविधाएं ठप करने के मामले में भारत का नाम दुनिया के सभी देशों में पहले नम्बर पर पहले ही पहुंच चुका था। अब किसी भी लोकतंत्र में सबसे लंबा इंटरनेट शटडाउन भी भारत में हो चुका है।
“जम्मू कश्मीर, असम, उत्तर प्रदेश” ये वो राज्य हैं जहां इस साल कई बार इंटरनेट बंद किया गया। यानी फोन में नेटवर्क होगा। कॉल, SMS हो जाएंगे। लेकिन इंटरनेट से चलने वाली सेवाएं आप इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। जैसे फेसबुक, वॉट्सऐप, ईमेल।
2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सात साल में देश में 233 बार इंटरनेट बंद हुआ। भारत ऐसा देश बन गया जिसमें सबसे ज्यादा बार इंटरनेट बंद किया गया। 2018 में ही 100 से ज्यादा बार इंटरनेट बंद किया गया।
कश्मीर घाटी में 2019, 5 अगस्त को लगे इंटरनेट बैन को अब तक 134 दिन हो चुके हैं, ये अब तक का सबसे लंबा इंटरनेट बैन है। इससे पहले 2016 में वहां चार महीने तक इंटरनेट बंद रखा गया था।
लेकिन इंटरनेट बंद क्यों किया जाता है?
ताकि शांति बनाई रखी जा सके, हालात बेकाबू न हों। इंटरनेट के ज़रिए क्रिटिकल इनफॉर्मेशन (संवेदनशील सूचनाएं) बाहर न भेजी जा सकें। अफवाहें न फैलाई जा सकें। फ़ेक तस्वीरों या गलत ख़बरों के साथ।
मेघालय में रिलीज हुए ऑफिशियल मेमो में कारण बताया गया था, SMS, वॉट्सऐप और फेसबुक/ट्विटर/यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल ऐसे कॉन्टेंट को फैलाने में किया जा सकता है जो जनता में अशांति फैला सकते हैं, और कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
राज्यसभा में बिल के पास होते ही जगह-जगह प्रोटेस्ट शुरू हो गए। 16 दिसंबर आते आते देश की कई यूनिवर्सिटीज़ में स्टूडेंट्स ने भी प्रोटेस्ट शुरू कर दिया क्योंकि जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था।
कैसे बंद किया किया जाता है इंटरनेट?
क्या सरकार के पास कोई स्विच होता है? जिसे ऑफ किया तो इंटरनेट बंद हो जाएगा? जवाब है, नहीं। सरकारें इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISPs) को निर्देश भेजती है, कि वो इंटरनेट सेवाएं बंद कर दें। अगर सरकारी टेलिकॉम कंपनी है तो कंट्रोल सरकार के अपने हाथ में है।
प्राइवेट कंपनी है, तो भी लाइसेंसिंग सरकार की ही होती है। इसलिए वो कंपनियां भी सरकारी आदेशों को अनदेखा नहीं करतीं। और जिस क्षेत्र में कहा गया है, वहां का इंटरनेट बंद कर देती हैं।इसके दो तीन तरीके हैं।पहला, इंटरनेट कनेक्टिविटी के जो डिवाइस लगे होते हैं कंपनी के पास, उनको बंद कर दिया जाता है।
इस तरह उस क्षेत्र का इंटरनेट पूरी तरह बंद हो जाता है।दूसरा, कुछ चुनिंदा वेबसाइट्स को बैन करना। जैसे पॉर्न साइट्स, या फिर खतरनाक स्पैम वाली साइट्स।इंटरनेट शटडाउन कई बार पूरी तरह नहीं होता। कई बार कुछ ख़ास साइट्स पर ट्रैफिक रोका जाता है। लेकिन अधिकतर मामलों में पूरी तरह इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी जाती हैं।
क्या इसके लिए कोई नियम भी है, या सरकार ऐसे ही इंटरनेट बंद कर सकती है?# 2017 में नियम आया। The Temporary Suspension of Telecom Services (Public Emergency or Public Safety) Rules। राज्यों के गृह मंत्रालय ही अधिकतर जिम्मा उठाते हैं। इंटरनेट बंद करने का। उसके लिए इसी कानून का सहारा लिया जाता है।
इससे पहले धारा 144 लगाकर इंटरनेट बंद किया जाता था। इसका इस्तेमाल सार्वजनिक जगहों पर शान्ति बनाए रखने के लिए किया जाता है। डीएम या एसडीएम इसके तहत निर्देश दे सकते हैं। इंटरनेट बंद करना इसी में शामिल है। इंडियन टेलीग्राफ एक्ट, 1885 भी इस लिस्ट में है। ये भी मैसेजिंग रोकने के लिए इस्तेमाल किया का सकता है।
इसका नुकसान क्या होता है? Indiaspend नाम की वेबसाइट के अनुसार 2011 से 2017 तक तकरीबन 16,000 घंटों तक इंटरनेट शटडाउन रहा भारत में। इसमें देश का तकरीबन 213.36 अरब रुपयों का नुकसान हुआ।
कश्मीर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका है। वहीं का उदाहरण ले लेते हैं। वॉशिंगटन पोस्ट में छपी रिपोर्ट बताती है कि ऑनलाइन बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। रोज सुबह 8.15 की ट्रेन पकड़ कर सैकड़ों लोग श्रीनगर से बनिहाल जाते हैं। जो जम्मू के बॉर्डर का एक शहर है। यहां इंटरनेट चालू है।
लोग अपने बिल पे करना, फॉर्म भरना, जरूरी पैसे ट्रांसफर करना, यहीं से कर रहे हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार,ये इंटरनेट शटडाउन सिर्फ लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करते। वो पूरी इकॉनमी और छोटे धंधों पर असर डालते हैं। आम नागरिकों की रोजमर्रा की ज़िन्दगी पर भी असर पड़ता है। लोग बॉर्डर्स के आस-पास जाते हैं ताकि काम के ईमेल्स भेज सकें।
साल भर में, जुलाई 2017 से जून 2019 तक, इंटरनेट शटडाउन की वजह से पूरी दुनिया में ढाई बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
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