हाल के दिनों में 4जी तकनीक काफी चर्चा में है। मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों में 4जी सेवा को लांच करने की जंग छिड़ी हुई है। यहाँ हम 3G और 4G इंटरनेट सर्विस के बारे में बात करने बाले है। 3G और 4G समझने से पहले 1G और 2G के बारे में बात करेंगे।
3G और 4G इंटरनेट में अंतर
मोबाइल सेवा की तकनीकें और क्या अंतर है अलग-अलग जेनरेशन की मोबाइल तकनीक मेंः
1जी तकनीक (1G)
1जी तकनीक दुनिया में वायरलेस टेलीफोनी की पहली तकनीक मानी जाती है। यह तकनीक पहली बार 1980 में सामने आई और 1992-93 तक इसका इस्तेमाल किया जाता रहा। इसमें डेटा की आवाजाही की रफ्तार 2.4 केवीपीएस थी। इस तकनीक की बड़ी खामी इसमें रोमिंग का ना होना था। पहली बार अमेरिका में 1जी मोबाइल सिस्टम ने इस तकनीक का प्रयोग किया था। इसमें मोबाइल फोन पर आवाज की क्वालिटी काफी खराब थी, साथ ही यह बैटरी की भी बहुत अधिक खपत करता था। इस तकनीक पर चलने वाले मोबाइल हैंडसेट बेहद भारी हुआ करते थे। यह एनालॉग सिग्नल पर आधारित तकनीक था।
2जी तकनीक (2G)
2जी तकनीक की शुरुआत 1991 में फिनलैंड में हुई। यह ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्यूनिकेशन पर आधारित तकनीक है जिसे संक्षिप्त रूप में जीएसएम टेक्नॉलजी कहा जाता है। इस तकनीक में पहली बार डिजीटल सिग्नल का प्रयोग किया गया। इस तकनीक से माध्यम से फोन कॉल के अलावा पिक्चर मैसेज, टेक्स मैसेज और मल्टीमीडिया मैसेज भेजा जाने लगा।
इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे इस्तेमाल करने से काफी कम ऊर्जा की खपत होती है और फोन की बैटरी काफी ज्यादा चलती है। इस तकनीक पर डेटा के आनेजाने की रफ्तार 50,000 बिट्स प्रति सेकेंड तक हो सकती है। यह तकनीक मुख्य रूप से आवाज के सिग्नल को प्रसारित करता है।
2जी तकनीक से डाउनलोड और अपलोड की अधिकतम स्पीड 236 केवीपीएस (किलो बाइट प्रति सेकंड) होती है। इसके एडवांस वर्शन को 2.5जी और 2.7जी नाम दिया गया था, जिसमें डेटा के आदान-प्रदान की रफ्तार और भी बढ़ गई थी।
3जी तकनीक (3G)
3जी तकनीक की शुरुआत 2001 में जापान में हुई। इस तकनीक का मानकीकरण इंटरनेशनल टेलेकम्यूनिकेशन यूनियन (आईटीयू) ने किया था। इस तकनीक के माध्यम से टेक्स्ट, तस्वीर और वीडियो के अलावा मोबाइल टेलीविजन और वीडियो कांफ्रेसिंग या वीडियो कॉल किया जा सकता है।
इस तकनीक ने दुनिया में क्रांति ला दी और मोबाइल फोन की अगली पीढ़ी यानी स्मार्टफोन को बढ़ावा दिया। 3जी तकनीक में डेटा के आने-जाने की रफ्तार 40 लाख बिट्स प्रति सेकेंड तक होती है।
3जी तकनीक का जोर मुख्य रूप से डेटा ट्रांसफर पर है। 2जी तकनीक के मुकाबले 3जी की एक अहम खासियत यह है कि यह आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए अधिक सुरक्षित (इनक्रिप्टेड) है।
3जी तकनीक की अधिकतम डाउनलोड स्पीड 21 एमवीपीएस और अपलोड स्पीड 5.7 एमवीपीएस होती है। इस तकनीक ने मोबाइल फोन के लिए एप बनाने का रास्ता खोल दिया।
4जी तकनीक (4G)
4जी तकनीक की शुरुआत साल 2000 के अंत में हुई। इसे मोबाइल तकनीक की चौथी पीढी कहा जाता है। इस तकनीक के माध्यम से 100 एमवीपीएस से लेकर 1 जीबीपीएस तक की स्पीड से डेटा का डाउनलोड-अपलोड किया जा सकता है। यह ग्लोबल रोमिंग को सपोर्ट करता है।
यह तकनीक 3जी के मुकाबले कहीं सस्ती तकनीक है। साथ ही इसमें सिक्युरिटी के फीचर्स भी ज्यादा है। हालांकि इस तकनीक की कुछ खामियां भी है। जैसे कि यह 3जी के मुकाबले कहीं अधिक बैटरी की खपत करता है।
वहीं, 3जी तकनीक में 2जी के मुकाबले काफी अधिक बैटरी की खपत होती है। 4जी तकनीक से लैस मोबाइल फोन में जटिल हार्डवेयर प्रणाली की जरूरत होती है, इसलिए 3जी फोन के मुकाबले 4जी के फोन महंगे होते हैं।
4जी तकनीक की आधारभूत संरचनाओं को तैयार करने में महंगे उपकरण लगाने होते हैं। हालांकि जैसे-जैसे यह तकनीक आम होती जाएगी, फोन और नेटवर्क इक्विपमेंट्स दोनों की कीमतों में कमी आएगी। फिलहाल 4जी तकनीक दुनिया के काफी कम देशों में उपलब्ध है जिनमें मुख्यतः विकसित देश शामिल हैं।
3जी तकनीक की सबसे बड़ी खामी जहां इसमें डेटा का न्यूनतम स्पीड लगभग 2.5जी के बराबर होना है। वहीं 4जी तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें खराब से खराब नेटवर्क में भी कम से कम 54एमवीपीएस की रफ्तार मिल सकती है।
5जी तकनीक (5G)
5G कैसे काम करता हैं? इसको समझने के लिए हमे सबसे पहले इसके बेसिक को समझना होगा, यानी कि हमे सबसे पहले वायरलेस नेटवर्क के बारे में सही से जानना होगा।
हम इसको 4G के साथ समझते हैं असल मे अभी हम 4G यानी 4Th जनरेशन (LTE) और (VoLTE) के रूप में जानते हैं, जिसमें LTE और VoLTE को कहते हैं, हम इस वायरलेस टेक्नोलॉजी को यूज़ में ले रहे हैं।
हमारे फोन में इसके नेटवर्क ही आते है, अगर फ़ोन 4G नेटवर्क के कॉम्पेटिबल है तो, जिसमे ये सिग्नल हमारे फ़ोन में रेडियो वेव्स के जरिए प्राप्त होत्र है और इसको ट्रांसमिट करने के लिए जगह-जगह सेल फ़ोन टावर्स लगाए जाते हैं।
अब बात करे 5G की तो यह हमारे 4G नेटवर्कइंग से थोड़ा अलग होने वाला है जहां अभी 4G कनेक्टिविटी के स्टैण्डर्ड सेल फ़ोन टावर्स से काम चल जाता है वही 5G के लिए अलग प्लान हैं।
हमारे प्लान के मुताबिक 5G की कनेक्टिविटी हर जगह पर होने वाली है जिसका मतलब यह है कि अभी तक जहां बड़े साइज वाले टावर्स का यूज़ हो रहा था और घर के छत पर टावर के जरिए फ़ोन तक नेटवर्क पहुचाया जाता था।
5G टेक्नोलॉजी में हाई स्पीड डाटा को ट्रांसमिट करने के लिए मल्टीप्ल स्माल वेव ऐन्टेना को लगाए जाएंगे, दरअसल ऐसा करने के पीछे एक वजह हैं, जो कि है इसकी स्पीड और कवरेज इस कमी को दूर करने के लिए ऐसा किया जाएगा
पांचवे पीढ़ी के इस नेटवर्क टेक्नोलॉजी को स्पेक्ट्रम 30 से 300 (GHz) गिगाहेर्ट के बीच मे होता है जिसको मिलीमीटर वेव या Band कहा जाता है, इसमे मिलीमीटर वेव का स्पेक्ट्रम में बैंड ऑफ़ स्पेक्ट्रम हमेशा 30 GHz से 300 GHz के अंदर ही होता हैं। और यह मिलीमीटर वेव हमेशा शोर्ट डिस्टेंस में ही (ट्रांसमिट) होते हैं, जैसे की वईफाई काम करता हैं कम डिस्टेंस में, और यही वो वजह है जिसकी वजह से 5G नेटवर्क कवरेज के लिए हर जगह पर MM वेव ऐन्टेना को लगाना होगा।
जिस से इसके यूज़र्स तक 5G नेटवर्क को पहुचाया जा सके और साथ ही इस से 5G डिवाइस तुरंत कनेक्ट हो सके, और आप 5G का आनंद उठा सकें, बस आपको इस से परेशानी तब होगी जब आप ट्रेवल कर रहे होंगे तब यह MM वेव ऐन्टेना एक से हटकर दूसरे से तुरंत कनेक्ट होंगे।
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