कभी जरूरत और कभी आदत: जब इंटरनेट का आविष्कार हुआ तो निश्चित ही इसकी जरूरत महसूस की गई होगी और जो भी लोग इससे जुड़े वे इसकी जरूरत समझकर ही जुड़े । मैं भी उनमें से ही एक हूं। किंतु जैसे जैसे इंटरनेट के मोहपाश में बंधता गया, नए-नए आकर्षणों में घिरता रहा, वैसे वैसे यह मेरी आदत बन गई।
आज के दिन बिना इंटरनेट के जीवन असम्भव है- ईमेल, सोशल नेटवर्किंग, गूगल पे जानकारी, जीपीएस, गूगल मैप्स, यूट्यूब, कुओरा, आय कर रिटर्न, GST रिटर्न, हवाई टिकट, रेल टिकट, होटल बुकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग, नेट बैंकिंग आदि।
अभी तो दसवां भाग भी पूरा नहीं हुआ। कैसे काम चल सकता है इंटरनेट के बिना। इसने जीवन इतना सुगम बना दिया है। यदि आपका काम घर बैठे हो जाये तो क्या आप बैंक, दफ्तर आदि फिर भी जायेंगे।
इंटरनेट आज की ज़रूरत हैं, और ये जररूत अब आदत में बदल चुकी हैं, इंटरनेट ज़रूरत और आदत का एक ऐसा संगम हैं, जिसका हम सब रोज़ उपयोग करते हैं, मात्रा चाहे अलग हो सकती हैं। चलिए समझते हैं कैसे इंटरनेट ज़रूरत और आदत का संगम हैं।
मेरी बात करूँ तो इंटरनेट ने मुझे वो करने की आज़ादी दी हैं, जो मैं ज़िन्दगी भर करना चाहता था, और वो था खुद को एक सॉफ्टवेयर डेवलपर को रूप में देखना, आज इंटरनेट के माध्यम से मैं घर बैठे वो सब सीख रहा हूँ, जो मुझे बाहर किसी इंस्टिट्यूट में जाकर सीखना पड़ता, तो इस तरह इंटरनेट ने मेरे काफी पैसे को भी बचाया हैं, और समय को भी।
आज इंटरनेट के उपयोग की परिभाषा बदल ही चुकी हैं, मैंने देखा हैं मेरे दोस्तों को जो इंटरनेट की सहायता से अध्ययन संबंधित वीडियोस को देख कर अपना ज्ञान बढ़ा रहे हैं, आज बहुत से विद्यार्थियों के लिए इंटरनेट एक वरदान कहूंगा तो गलत नही होगा, क्योंकि इंटरनेट हमें सुविधा देता हैं वो सब कुछ सीखने का जो हम सीखना चाहते है।
- अपने कम्फर्ट लेवल पर, घर पर बैठे-बैठे।
- हम चाहे तो सुबह जल्दी उठकर पढ़ सकते है, या रात्रि में।
- हमें एक अध्यापक नहीं, लाखों अध्यापक मिल जाएंगे।
- कहीं पर पहुँचने और वहाँ से आने पर लगने वाले समय की बचत हो जाती है।
- संसाधनों की तो मात्रा बहुतायत हैं।
- सबसे अच्छी बात हैं आप रविवार को और त्यौहारों पर भी पढ़ाई कर सकते हैं।
इस तरह इंटरनेट हमें हमारे भविष्य सँवारने के लिए प्रचुर मात्रा में संसाधन देता हैं, और अच्छा भविष्य हम सभी की ज़रूरत हैं, और इस ज़रुरत को इंटरनेट पूरा कर रहा हैं, इस तरह इंटरनेट एक ज़रूरत हैं।
इंटरनेट को मैं एक आदत के रूप में इस प्रकार परिभाषित करना चाहूँगा, मान लीजिए आज आपको पढ़ने का या कुछ नया सीखने का मन नहीं हैं, या आपने आज जो जितनी मात्रा में सीखना था सीख लिया, इसका मतलब आपने अपने भविष्य को सँवारने के लिए जितने इंटरनेट की ज़रूरत आज के दिन ज़रूरत थी उसकी पूर्ति कर ली, तो क्या अब आप इंटरनेट का उपयोग ही नहीं करेंगे पूरे दिन?
नहीं आप इंटरनेट का उपयोग जारी रखेंगें, आप अब अपना मनोरंजन कर सकते हैं, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर अपने मित्रों से बात कर सकते हैं इत्यादि।
इसका मतलब ये हैं कि आप ज़रूरत के अतिरिक्त जितने भी इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं, वो आपकी आदत के अंतर्गत आता हैं, आप तो अपना मनोरंजन टेलीविजन देख कर भी कर सकते हैं, लेकिन आप वो नहीं देखेंगे, और अगर देखेंगे भी तब भी आपकी आंखें आपके मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर पर अधिक होगी।
ये वो आपकी आदत हैं इंटरनेट का उपयोग करने की जो आपको इंटरनेट से दूर रहने नहीं देती। पहले जब इंटरनेट की कीमतें काफी ज्यादा थी, तब हम इंटरनेट का उपयोग अपनी जरूरत के अनुसार करते थे, लेकिन जैसे ही इंटरनेट की कीमतें कम हुई आज हमारी आंखे थककर बंद हो जाती हैं, लेकिन इंटरनेट चालू रहता हैं, इस तरह इंटरनेट हमारी आदत में भी शुमार हो गया हैं अब।
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