त्यद् शब्द
त्यद् (जो, जैसा, that, as it is known) शब्द: त्यद् सर्वनाम शब्द, यदादि (यद्, तद्, एतद्, किम्) शब्दों का क्रमशः य:, स:, एष:, स्य:, क: होता है। और सर्व्वादि के तुल्य रूप होते हैं। नपुंसकलिंग में प्रथमा और द्वतीया के एकवचन में यत्, तत्, एतत्, त्यत्, किम् होता है। स्त्रीलिंग में इन शब्दों का रूप या, सा, एषा, स्या, का, होता है। सर्वनाम का सम्बोधन नहीं होता है।
त्यद् के शब्द रूप : Tyad Shabd Roop in Sanskrit
त्यद् यदादि सर्वनाम शब्द के शब्द रूप तीनों लिंगों (पुल्लिंग, स्त्रीलिंग और नपुंसकलिंग) में आगे दिए जा रहे हैं-
त्यद् (जो, जैसा) पुल्लिंग शब्द रूप (Tyad Pulling Shabd Roop in Sanskrit):
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमा | त्यः | त्यौ | त्ये |
द्वितीया | त्यम् | त्यौ | त्यान् |
तृतीया | त्येन | त्याभ्याम् | त्यैः |
चतुर्थी | त्यस्मै | त्याभ्याम् | त्येभ्यः |
पंचमी | त्यस्मात्य् | त्याभ्याम् | त्येभ्यः |
षष्ठी | त्यस्य | त्ययोः | त्येषाम् |
सप्तमी | त्यस्मिन् | त्ययोः | त्येषु |
त्यद् स्त्रीलिंग शब्द रूप (Tyad Strilling Shabd Roop in Sanskrit):
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमा | त्या | त्ये | त्याः |
द्वितीया | त्याम् | त्ये | त्याः |
तृतीया | त्यया | त्याभ्याम् | त्याभिः |
चतुर्थी | त्यस्यै | त्याभ्याम् | त्याभ्यः |
पंचमी | त्यस्याः | त्याभ्याम् | त्याभ्यः |
षष्ठी | त्यस्याः | त्ययोः | त्यासाम् |
सप्तमी | त्यस्याम् | त्ययोः | त्यासु |
त्यद् नपुंसकलिंग शब्द रूप:
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमा | त्यत् / त्यद् | त्ये | त्यानि |
द्वितीया | त्यत् / त्यद् | त्ये | त्यानि |
तृतीया | त्येन | त्याभ्याम् | त्यैः |
चतुर्थी | त्यस्मै | त्याभ्याम् | त्येभ्यः |
पंचमी | त्यस्मात् / त्यस्माद् | त्याभ्याम् | त्येभ्यः |
षष्ठी | त्यस्य | त्ययोः | त्येषाम् |
सप्तमी | त्यस्मिन् | त्ययोः | त्येषु |
शब्द रूप किसे कहते हैं?
शब्द रूप का तात्पर्य एक शब्द के विभिन्न रूपों से है। किसी शब्द में विभक्ति और वचन के आधार पर जो परिवर्तन होता है, उसे “शब्द रूप” कहा जाता है। यह व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो यह बताने में सहायता करता है कि किसी शब्द का प्रयोग वाक्य में किस प्रकार और किस रूप में किया जाना चाहिए।
उदाहरण के लिए: संज्ञा शब्द “बालक के शब्द रूप” अलग-अलग विभक्तियों और वचनों (एकवचन, द्विवचन, बहुवचन) के अनुसार बदलते हैं, जैसे:
- प्रथमा: बालकः, बालकौ, बालकाः
- द्वितीया: बालकम्, बालकौ, बालकान्
शब्द रूप याद करने से संस्कृत भाषा को सही ढंग से समझने और उपयोग करने में मदद मिलती है।
सर्वनाम शब्द किसे कहते हैं?
सर्वनाम शब्द वे शब्द होते हैं जिनका प्रयोग किसी संज्ञा के स्थान पर किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो, सर्वनाम किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव, या विचार का नाम बताने के बजाय उसका संकेत देते हैं।
संस्कृत-व्याकरण में प्रमुख सर्वनाम शब्द हैं, जैसे- अदस्, अन्य, इतर, इदम्, ईदृश्, उभ, उभय, एतद्, किम्, कतिपय, तद्, भवत्, यद्, युष्मद्, सर्व आदि।
महत्वपूर्ण शब्द रूप सूची, संस्कृत व्याकरण: शब्द रूप के प्रकार
1. स्वरान्त शब्द रूप: लता शब्द रूप, मुनि शब्द रूप, पति शब्द रूप, भूपति शब्द रूप, नदी शब्द रूप, भानु शब्द रूप, धेनु शब्द रूप, मधु शब्द रूप, पितृ शब्द रूप, मातृ शब्द रूप, गो शब्द रूप, नौ शब्द रूप और अक्षि शब्द रूप।
2. व्यञ्जनान्त शब्द रूप: राजन् शब्द रूप, भवत् शब्द रूप, आत्मन् शब्द रूप, विद्वस् शब्द रूप, चन्द्रमस् शब्द रूप, वाच शब्द रूप, गच्छत् शब्द रूप, पुम् शब्द रूप, पथिन् शब्द रूप, गिर् शब्द रूप, अहन् शब्द रूप और पयस् शब्द रूप।
3. सर्वनाम शब्द रूप: सर्व शब्द रूप, यत् शब्द रूप, तत् शब्द रूप, एतत् शब्द रूप, किम् शब्द रूप, इदम् शब्द रूप (सभी लिङ्गों में), अस्मद् शब्द रूप, युष्मद शब्द रूप, अदस् शब्द रूप, ईदृश शब्द रूप, कतिपय शब्द रूप, उभ शब्द रूप और कीदृश शब्द रूप।
4. संख्या शब्द रूप: एक शब्द रूप, द्वि शब्द रूप, त्रि शब्द रूप, चतुर् शब्द रूप, पञ्चन् शब्द रूप आदि।
और अधिक शब्द रूप पढिए: Balak shabd roop, Lata shabd roop, Asmad shabd roop, Nadi shabd roop, Ram shabd roop, Balika shabd roop, Kim shabd roop आदि।