चक्रवर्तिन् (चक्रवर्ती) शब्द
चक्रवर्तिन् (चक्रवर्ती, सार्वभौम) शब्द: चक्रवर्तिन् शब्द के नकारान्त पुल्लिंग शब्द के शब्द रूप, चक्रवर्तिन् (Chakravartin) शब्द के अंत में “न्” का प्रयोग हुआ इसलिए यह नकारान्त हैं। चक्रवर्तिन् शब्द इन् भागान्त पुल्लिङ्ग् संज्ञा शब्द है। सभी इन् भागान्त पुल्लिङ्ग् संज्ञाओ के रूप इसी प्रकार बनते हैं। जैसे: पथिन्, गुणिन्, व्रत्रहन्, स्थायिन्, मघवन्, लघिमन्, युवन्, स्वामिन्, आत्मघातिन्, अर्थिन्, एकाकिन्, कञ्चुकिन्, ज्ञानिन्, करिन्, कुटुम्बिन्, कुशलिन्, चक्रवर्तिन्, तपस्विन्, दूरदर्शिन्, द्वेषिन्, धनिन्, पक्षिन्, बलिन्, मन्त्रिन्, मनोहारिन्, मनीषिन्, मेधाविन्, रोगिन्, वैरिन् आदि।
चक्रवर्तिन् के शब्द रूप: Chakravartin, Chakravarti Shabd Roop in Sanskrit
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमा | चक्रवर्ती | चक्रवर्तिनौ | चक्रवर्तिनः |
द्वितीया | चक्रवर्तिनम् | चक्रवर्तिनौ | चक्रवर्तिनः |
तृतीया | चक्रवर्तिना | चक्रवर्तिभ्याम् | चक्रवर्तिभिः |
चतुर्थी | चक्रवर्तिने | चक्रवर्तिभ्याम् | चक्रवर्तिभ्यः |
पंचमी | चक्रवर्तिनः | चक्रवर्तिभ्याम् | चक्रवर्तिभ्यः |
षष्ठी | चक्रवर्तिनः | चक्रवर्तिनोः | चक्रवर्तिनाम् |
सप्तमी | चक्रवर्तिनि | चक्रवर्तिनोः | चक्रवर्तिषु |
सम्बोधन | हे चक्रवर्तिन् ! | हे चक्रवर्तिनौ ! | हे चक्रवर्तिनः ! |
शब्द रूप किसे कहते हैं?
शब्द रूप का तात्पर्य एक शब्द के विभिन्न रूपों से है। किसी शब्द में विभक्ति और वचन के आधार पर जो परिवर्तन होता है, उसे “शब्द रूप” कहा जाता है। यह व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो यह बताने में सहायता करता है कि किसी शब्द का प्रयोग वाक्य में किस प्रकार और किस रूप में किया जाना चाहिए।
उदाहरण के लिए: संज्ञा शब्द “बालक के शब्द रूप” अलग-अलग विभक्तियों और वचनों (एकवचन, द्विवचन, बहुवचन) के अनुसार बदलते हैं, जैसे:
- प्रथमा: बालकः, बालकौ, बालकाः
- द्वितीया: बालकम्, बालकौ, बालकान्
शब्द रूप याद करने से संस्कृत भाषा को सही ढंग से समझने और उपयोग करने में मदद मिलती है।
चक्रवर्तिन् शब्द का अर्थ
चक्रवर्तिन् शब्द का अर्थ चक्रवर्ती, भूमि पर राज्य करनेवाला, सार्वभौम होता है। चक्रवर्तिन् शब्द नकारान्त शब्द है।
नकारांत पुल्लिंग संज्ञा शब्द किसे कहते हैं?
नकारांत पुल्लिंग संज्ञा शब्द वे होते हैं जिनके अंत में “न” वर्ण आता है और उनका लिंग पुल्लिंग होता है। उदाहरण के रूप में- गुणिन्, आत्मन्, एकाकिन्, करिन्, पक्षिन्, पथिन्, धनिन्, युवन्, बलिन्, मथिन्, श्वन् आदि। इन शब्दों का रूप संस्कृत में विभक्ति और वचन के आधार पर एक समान नियम से तैयार होता है।
यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सभी नकारांत पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के रूप एक विशिष्ट ढांचे का अनुसरण करते हैं, जिससे उन्हें सीखना और समझना सरल हो जाता है।
यदि आप स्वयं किसी शब्द के एक रूप को देखकर उसका दूसरा रूप बनाने का प्रयास करेंगे, तो आपको शब्दों के रूप जल्दी से याद हो जाएंगे। यही है शब्द रूप याद रखने की एक प्रभावी तकनीक। केवल एकवचन के शब्द रूप अक्सर भ्रम पैदा करते हैं और इन्हें भूलने का डर बना रहता है। इसके अलावा, परीक्षाओं में अक्सर एकवचन शब्द रूप ही पूछे जाते हैं।
महत्वपूर्ण शब्द रूप सूची, संस्कृत व्याकरण: शब्द रूप के प्रकार
1. स्वरान्त शब्द रूप: लता शब्द रूप, मुनि शब्द रूप, पति शब्द रूप, भूपति शब्द रूप, नदी शब्द रूप, भानु शब्द रूप, धेनु शब्द रूप, मधु शब्द रूप, पितृ शब्द रूप, मातृ शब्द रूप, गो शब्द रूप, नौ शब्द रूप और अक्षि शब्द रूप।
2. व्यञ्जनान्त शब्द रूप: राजन् शब्द रूप, भवत् शब्द रूप, आत्मन् शब्द रूप, विद्वस् शब्द रूप, चन्द्रमस् शब्द रूप, वाच शब्द रूप, गच्छत् शब्द रूप, पुम् शब्द रूप, पथिन् शब्द रूप, गिर् शब्द रूप, अहन् शब्द रूप और पयस् शब्द रूप।
3. सर्वनाम शब्द रूप: सर्व शब्द रूप, यत् शब्द रूप, तत् शब्द रूप, एतत् शब्द रूप, किम् शब्द रूप, इदम् शब्द रूप (सभी लिङ्गों में), अस्मद् शब्द रूप, युष्मद शब्द रूप, अदस् शब्द रूप, ईदृश शब्द रूप, कतिपय शब्द रूप, उभ शब्द रूप और कीदृश शब्द रूप।
4. संख्या शब्द रूप: एक शब्द रूप, द्वि शब्द रूप, त्रि शब्द रूप, चतुर् शब्द रूप, पञ्चन् शब्द रूप आदि।
और अधिक शब्द रूप पढिए: Balak shabd roop, Lata shabd roop, Asmad shabd roop, Nadi shabd roop, Ram shabd roop, Balika shabd roop, Kim shabd roop आदि।