सम संख्याएँ (Even Numbers)
सम (even) ऐसी संख्याओं को कहा जाता है जो 2 से पूर्णतः विभाज्य (डिविज़िबल) हों, जैसे कि 0, 2, 4, 6, 8, 10, . . . इत्यादि। गणित में यही कहने का एक और तरीका है कि सम अंक 2 के गुणज (मल्टिपल) होते हैं।
सम अंक (Sam Ank) = 0, 2, 4, 6, 8, 10, . . . ∞
विषम संख्याएँ (Odd Numbers)
विषम (odd) अंक ऐसे अंकों को कहा जाता है, जो 2 द्वारा विभाज्य नहीं होते, जैसे 1, 3, 5, 7, 9, 11, . . . आदि।
विषम अंक (Visham Ank) = 1, 3, 5, 7, 9, 11, . . . ∞
यदि कोई संख्या सम है तो उसका अंतिम अंक भी सम (0, 2, 4, 6, 8) ही होता है और इसी तरह विषम संख्या का अंतिम अंक भी केवल विषम (1, 3, 5, 7, 9) ही होता है।
- जिस संख्या के अन्त में 2,4,6,8,0 आयेगा वे सभी सम संख्या हैं।
- जिस संख्या के अन्त में 1,3,5,7,9 आयेगा वे विषम संख्या हैं।
उदाहरण – यदि 1258587 को अगर 2 से विभाजित किया जाए तो यह विषम पाया जाएगा और यह इसके अंतिम अंक 7 को देखकर बिना कोई विभाजन करे तुरन्त ही बताया जा सकता है क्योंकि 7 स्वयं एक विषम अंक है।
- दो सम संख्याओं का योगफल सदैव सम संख्या होता है। उदाहरण – 2+6 = 8, 0+4 = 4, 4+2=6
- सम और विषम संख्याओं का योगफल सदैव विषम संख्याएं होता है। उदाहरण – 4+3=7
- दो विषम संख्याओं का योगफल सदैव सम होता है। उदाहरण – 9+5 = 14, 7+3 = 10
संख्या पद्धति में मूल रूप से सम-विषम की अवधारणा अंको पर लगाई जाती थी, आधुनिक गणित में इसे अन्य चीज़ों पर भी लागू किया जाता है। जैसे किसी चीज़ की गणितीय समता (parity) उसका वह लक्षण होती है जो यह बतलाए कि वह सम है या विषम।
अंतिम अंक द्वारा समता-विषमता बताना
दी हुई संख्या में अंतिम अंक सम है तो वह पूरी संख्या सम संख्या होती है और इसी तरह किसी भी विषम संख्या का अंतिम अंक भी केवल विषम संख्या ही होती है। जैसे-
258589 = में अंतिम अंक 9 है, जो कि विषम है, अतः पूर्ण संख्या ही विषम संख्या होगी।
33,45,364 = इस संख्या में अंतिम अंक 4 है जो कि एक सम संख्या है, अतः पूरी संख्या ही सम होगी।