चालाकी से व्यक्ति की कुबुद्धि, कुमति, नीचता व कुटिलता का ज्ञान होता है। चालाक व्यक्ति चालाकी से दूसरों को मूर्ख बनाता है या ठगता है।
चतुरता से व्यक्ति की सुबुद्धि, सुमति व उसकी कुशलता का ज्ञान होता है। चतुर व्यक्ति चतुरता से लोगों की समस्याओं का समाधान करता है।
चालाक संज्ञा [फ़ा॰]
- चतुर । व्यवहारकुशल । दक्ष ।
- धूर्त । चालबाज ।
चतुर
- विशेषण
कार्य और व्यवहार में कुशल, प्रखर
चालाक, धूर्त
- चतुर ^१ वि॰ पुं॰ [सं॰] [वि॰ स्त्री॰ चतुरा]
१. टेढी चाल चलनेवाला । वक्रगामी ।
२. फुरतीला । तेज । जिसे आलस्य न हो
३. प्रवीण । होशियार । निपुण । उ॰—कवि न होउँ नहिं चतुर प्रवीनू । सकल कला सब विद्या हीनू ।
४. धूर्त । चालाक ।
५. सुंदर (को॰) ।
- चतुर ^२ संज्ञा पुं॰
१. श्रृंगार रस में नायक का एक भेद । वह नाय क जो अपनी चातुरी से प्रेमिका के संयोंग का साधन करे । इसके दो भेद हैं—क्रियाचतुर और वचनचतुर ।
२. वह स्थान जहाँ हाथी रहती हों । हाथीखाना ।
३. नृत्य मे एक प्रकार की चेष्टा ।
४. वक्र गति । टेढ़ी चाल (को॰) ।
५. धूर्तता । प्रवीणता । होशियारी (को॰) ।
६. गोल तकिया (को॰) ।
- चतुर ^१ वि॰ [सं॰ चतः चतुर्] चार ।