भारतीय संविधान के भाग, अनुच्छेद

Samvidhan Ke Bhag
Samvidhan Ke Bhag

भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भीमराव अम्बेडकर को भारतीय संविधान का प्रधान वास्तुकार या निर्माता कहा जाता है।

भारतीय संविधान के भाग

वर्तमान में भारतीय संविधान 25 भागों में विभाजित है तथा इसमें लगभग 475 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां है। तथा मूल संविधान में 395 अनुच्छेद 8 अनुसूची 22 भाग बनाये गए थे। संविधान के भाग एवं ट्रिक इस प्रकार है:-

भाग ट्रिक विषय अनुच्छेद
1. क्षे संघ और उसका राज्य क्षेत्र 1-4
2. ना नागरिकता 5-11
3. मु मूल अधिकार 12-35
4. नी नीति निर्देशक तत्व 36-51
4.(क) मूल कर्तव्य 51-(क)
5. संघ सरकार 52-151
6. रा राज्य सरकार 152-237
7. प्र प्रथम अनुसूची का भाग – ख के राज्य समाप्त 238 (निरस्त)
8. के केन्द्रीय सत्ता 239-242
9. पंचायत 243-243(ण)
9.(क) नगरपालिका 243(त)-243(यछ)
9.(ख) सहकारी समिति 243(यज)-243(यन)
10. अनुसूचित और नजातीय क्षेत्र 244-244(क)
11. संघ और राज्य संबंध 245-263
12. सवि, सवा संविदायें, संपत्ति, वाद और वित्त 264-300(क)
13. वा, व्यास भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर वाणिज्य, व्यापार एवं मागम 301-307
14. सरास संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं 308-323
14.(क) अधिकरण 323(क)-323(ख)
15. नि निर्वाचन 324-329
16. वि कुछ वर्गों से सम्बंधित विशेष उपबंध 330-342
17. भा भाषा 343-351
18. आपात उपबंध (मरजेंसी) 352-360
19. प्र प्रकीर्ण 361-367
20. शो संविधान संशोधन 368
21. स्थायी, संक्रमणशील और विशेष उपबंध 369-392
22. ना संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन 393-395

भाग 1 – संघ और उसके क्षेत्र (अनुच्छेद 1-4)

1. संघ का नाम और राज्यक्षेत्र

2. नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना

3. नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन

4. पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियाँ

भाग 2 – नागरिकता (अनुच्छेद 5-11)

5. संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता

6. पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार

7. पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार

8. भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्‌भव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार

9. विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना

10. नागरिकता के अधिकारों का बना रहना

11. संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना

भाग 3 – मूल अधिकार (अनुच्छेद 12 – 35)

साधारण

12. परिभाषा

13. मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियाँ

समता का अधिकार

14. विधि के समक्ष समता

15. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध

16. लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता

17. अस्पृश्यता का अंत

18. उपाधियों का अंत

स्वातंत्र्य-अधिकार

19. वाक्‌-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण

20. अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण

21. प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण

22. कुछ दशाओं में गिरपतारी और निरोध से संरक्षण

शोषण के विरुद्ध ‍अधिकार

23. मानव के दुर्व्यापार और बलात्‌‌श्रम का प्रतिषेध

24. कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध

धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

25. अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता

26. धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता

27. किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतंत्रता

28. कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता

संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार

29. अल्पसंख्यक-वर्गों के हितों का संरक्षण

30. शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक-वर्गों का अधिकार

31. [संपत्ति का अनिवार्य अर्जन। –संविधान (चवालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 6 द्वारा (20-6-1979 से) निरसित।

सांविधानिक उपचारों का अधिकार

32. इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार

33. इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति

34. जब किसी क्षेत्र में सेना विधि प्रवृत्त है तब इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों पर निर्बन्धन

35. इस भाग के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए विधान

भाग 4 – राज्य के नीति निदेशक तत्व (अनुच्छेद 36 – 51)

36. परिभाषा

37. इस भाग में अंतर्विष्ट तत्त्वों का लागू होना

38. राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा

39. राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्त्व-राज्य अपनी नीति का, विशिष्टतया, इस प्रकार संचालन करेगा कि सुनिश्चित रूप से

40. ग्राम पंचायतों का संगठन

41. कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार

42. काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध

43. कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि

44. नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता

45. बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध

46. अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि

47. पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्नय का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य

48. कृषि और पशुपालन का संगठन

49. राष्ट्रीय महत्व के संस्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण

50. कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण

51. अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि – राज्य

भाग 4(A) – मूल कर्तव्य (अनुच्छेद 51A)

51A. मूल कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे;

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्र्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे;

(ग) भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे;

(घ) देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे;

(ङ) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है;

(च) हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे;

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे;

(झ) सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे;

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले;

भाग 5 – संघ (अनुच्छेद 52-151)

अध्याय I – कार्यकारी शक्ति(अनुच्छेद 52 से 78), अध्याय II – संसद (अनुच्छेद 79 से 122), अध्याय III – राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ(अनुच्छेद 123)
अध्याय IV -केंद्रीय न्यायपालिका(अनुच्छेद 124 से 147), अध्याय V – भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148 से 151)

भाग 6 – राज्य (अनुच्छेद 152 -237)

अध्याय I – सामान्य नियम(अनुच्छेद152), अध्याय II – कार्यकारी शक्ति (अनुच्छेद 153 से 167), अध्याय III – The State Legislature (अनुच्छेद 168 से 212), अध्याय IV – राज्यपाल की विधायी शक्तियाँ (अनुच्छेद 213), अध्याय V – उच्च न्यायालय(अनुच्छेद 214 से 232), अध्याय VI – अधीनस्थ न्यायालय(अनुच्छेद 233 से 237)

भाग 7 – प्रथम अनुसूची के भाग ख के राज्य (समाप्त)

संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 द्वारा निरसित, अर्थात सातवें संविधान संशोधन 1956 के द्वारा भाग 7 को समाप्त किया गया।

भाग 8 – संघ राज्य क्षेत्र (अनुच्छेद 239-242)

239. संघ राज्यक्षेत्रों का प्रशासन

240. कुछ संघ राज्यक्षेत्रों के लिए विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति

241. संघ राज्यक्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय

242. कोड़गू

भाग 9 – पंचायत (अनुच्छेद 243- 243O)

243. परिभाषाएं

243क. ग्राम सभा

243ख. पंचायतों का गठन

243ग. पंचायतों की संरचना

243घ. स्थानों का आरक्षण

243ङ. पंचायतों की अवधि, आदि

243च. सदस्यता के लिए निरर्हताएं

243छ. पंचायतों की शक्तियां , प्राधिकार और उत्तरदायित्व

243ज. पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्तियां और उनकी निधियां

243झ. वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन

243ञ. पंचायतों के लेखाओं की संपरीक्षा

243ट. पंचायतों के लिए निर्वाचन

243ठ. संघ राज्यक्षेत्रों को लागू होना

243ड. इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना

243ढ. विद्यमान विधियों और पंचायतों का बना रहना

243ण. निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन

भाग 9(A) – नगर्पालिकाएं (अनुच्छेद 243P – 243ZG)

243त. परिभाषाएँ

243थ. नगरपालिकाओं का गठन

243द. नगरपालिकाओं की संरचना

243ध. वार्ड समितियों, आदि का गठन और संरचना

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भाग 10 – अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र (अनुच्छेद 244 – 244A)

244. अनुसूचित क्षेत्रों और जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन

244क. असम के कुछ जनजाति क्षेत्रों को समाविष्ट करने वाला एक स्वशासी राज्य बनाना और उसके लिए स्थानीय विधान

भाग 11 – संघ और राज्यों के बीच संबंध (अनुच्छेद 245 – 263)

अध्याय I -विधायी संबंध (अनुच्छेद 245 से 255), अध्याय II – प्रशासनिक संबंध (अनुच्छेद 256 से 263)

भाग 12 – वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद (अनुच्छेद 264 -300A)

अध्याय I – वित्त(अनुच्छेद 264 से 291), अध्याय II – ऋण (अनुच्छेद 292 से 293), अध्याय III – संपत्ति, अनुबंध, अधिकार, देयताएं, दायित्व और सूट(अनुच्छेद 294 से 300), अध्याय IV – संपत्ति का अधिकार(अनुच्छेद 300-A)

भाग 13 – भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम (अनुच्छेद 301 – 307)

301. व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता

302. व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन अधिरोपित करने की संसद की शाक्ति

303. व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बंधन

304. राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन

305. विद्यमान विधियों और राज्य के एकाधिकार का उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति

306. पहली अनुसूची के भाग ख के कुछ राज्यों की व्यापार और वाणिज्य पर निर्बंधनों के अधिरोपण की शक्ति

307. अनुच्छेद 301 से अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए प्राधिकारी की नियुक्ति

भाग 14 – संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं (अनुच्छेद 308 -323)

308. निर्वचन

309. संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तें

310. संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि

311. संघ या राज्य के अधीन सिविल हैसियत में नियोजित व्यक्तियों का पदच्युत किया जाना, पद से हटाया जाना या पंक्ति में अवनत किया जाना

312. अखिल भारतीय सेवाएँ

313. संक्रमणकालीन उपबंध

314. कुछ सेवाओं के विद्यमान अधिकारियों के संरक्षण के लिए उपबंध

भाग 14(a) – अधिकरण (अनुच्छेद 323A – 323B)

323क. प्रशासनिक अधिकरण

323ख. अन्य विषयों के लिए अधिकरण

भाग 15 – निर्वाचन (अनुच्छेद 324 – 329A)

324. निर्वाचनों के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना

325. धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर किसी व्यक्ति का निर्वाचक-नामावली में सम्मिलित किए जाने के लिए अपात्र न होना और उसके द्वारा किसी विशेष निर्वाचक-नामावली में सम्मिलित किए जाने का दावा न किया जाना

326. लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचनों का वयस्क मताधिकार के आधार पर होना

327. विधान-मंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति

328. किसी राज्य के विधान-मंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की उस विधान-मंडल की शक्ति

329. निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन

329क. प्रधान मंत्री और अध्यक्ष के मामले में संसद के लिए निर्वाचनों के बारे में विशेष उपबंध

भाग 16 – कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध संबंध (अनुच्छेद 330- 342)

330. लोक सभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण

332. राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण

334. स्थानों के आरक्षण और विशेष प्रतिनिधित्व का (साठ वर्ष) के पश्चात्‌ न रहना

भाग 17 – राजभाषा (अनुच्छेद 343- 351)

अध्याय I – संघ की भाषा (अनुच्छेद 343 से 344), अध्याय II – क्षेत्रीय भाषाएँ (अनुच्छेद 345 से 347), अध्याय III-उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों, आदि की भाषा(अनुच्छेद 348 से 349), अध्याय IV-विशेष निर्देश (अनुच्छेद 350 से 351)

भाग 18 – आपात उपबंध (अनुच्छेद 352 – 360)

352. आपात की उद्‍घोषणा

353. आपात की उद्‍घोषणा का प्रभाव

354. जब आपात की उद्‍घोषणा प्रवर्तन में है तब राजस्वों के वितरण संबंधी उपबंधों का लागू होना

355. बाह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति से राज्य की संरक्षा करने का संघ का कर्तव्य

356. राज्यों में सांविधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध

357. अनुच्छेद 356 के अधीन की गई उद्‍घोषणा के अधीन विधायी शक्तियों का प्रयोग

358. आपात के दौरान अनुच्छेद 19 के उपबंधों का निलंबन

359. आपात के दौरान भाग 3 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन का निलबंन

359A. इस भाग का पंजाब राज्य को लागू होना

360. वित्तीय आपात के बारे में उपबंध

भाग 19 – प्रकीर्ण (अनुच्छेद 361 -367)

361. राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण

362. देशी राज्यों के शासकों के अधिकार और विशेषाधिकार।

363. कुछ संधियों, करारों आदि से उत्पन्न विवादों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन

364. महापत्तनों और विमानक्षेत्रों के बारे में विशेष उपबंध

365. संघ द्वारा दिए गए निदेशों का अनुपालन करने में या उनको प्रभावी करने में असफलता का प्रभाव

366. परिभाषाएँ

367. निर्वचन

भाग 20 – संविधान के संशोधन (अनुच्छेद 368)

368. संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसके लिए प्रक्रिया

भाग 21 – अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध (अनुच्छेद 369 – 392)

369. राज्य सूची के कुछ विषयों के संबंध में विधि बनाने की संसद की इस प्रकार अस्थायी शक्ति मानो वे समवर्ती सूची के विषय हों

370. जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध

371. महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के संबंध में विशेष उपबंध

372. विद्यमान विधियों का प्रवृत्त बने रहना और उनका अनुकूलन

373. निवारक निरोध में रखे गए व्यक्तियों के संबंध में कुछ दशाओं में आदेश करने की राष्ट्रपति की शक्ति

374. फेडरल न्यायालय के न्यायाधीशों और फेडरल न्यायालय में या सपरिषद् हिज मजेस्टी के समक्ष लंबित कार्यवाहियों के बारे में उपबंध

375. संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए न्यायालयों, प्राधिकारियों और अधिकारियों का कॄत्य करते रहना

376. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बारे में उपबंध

377. भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के बारे में उपबंध

378. लोक सेवा आयोगों के बारे में उपबंध

379-391. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा निरसित।

392. कठिनाइयों को दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति

भाग 22 – संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन (अनुच्छेद 393 – 395)

393. संक्षिप्त नाम

394. प्रारंभ

395. निरसन

संविधान क्या है?

संविधान एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा राज्यों का शासन संगठित होता है। भारत का संविधान सबसे बड़ा और लिखित संविधान है। मूल संविधान में 395 अनुच्छेद 8 अनुसूची 22 भाग बनाये गए थे।

वर्तमान में भारतीय संविधान 25 भागों में विभाजित है तथा इसमे लगभग 475 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां है।

भारत का संविधान 2 बर्ष 11 माह 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था। इसमें लगभग 1,17,369 शब्दों में लिखा गया है। भीमराव आम्बेडकर के भारतीय संविधान का प्रधान वास्तुकार या निर्माता है। जबकि पेन से इसको प्रेम बिहारी रायजादा द्वारा लिखा गया था।

  • सबसे छोटा संविधान ‘मोनाको‘ का है। मोनाको के संविधान को 3814 शब्दों में लिखा गया है। इसमें 16 अनुच्छेद और 10 आख्याएँ हैं।
  • अमेरिका के संविधान को 4500 शब्दों में लिखा गया है।

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