जनजाति (tribe) वह सामाजिक समुदाय है जो राज्य के विकास के पूर्व अस्तित्व में था या जो अब भी राज्य के बाहर हैं। जनजाति वास्तव में भारत के आदिवासियों के लिए इस्तेमाल होने वाला एक वैधानिक पद है। भारत के संविधान में अनुसूचित जनजाति पद का प्रयोग हुआ है और इनके लिए विशेष प्रावधान लागू किये गए हैं।
प्रमुख जनजातियाँ: भारत में पायी जाने वाली राज्यवार सभी प्रमुख जनजातियो के बारे में इस पृष्ठ में चर्चा की गई हैं, तो भारत की प्रमुख जनजातियाँ (major tribes of India by state) इस प्रकार हैं-
Bharat Ki Pramukh Janjatiya
# | राज्य | जनजातियाँ |
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1. | आन्ध्र प्रदेश | कोया, गौंड, कोण्डा-ढोरस, सुगालिस, येनदिस, येरुकुलास |
2. | अरुणाचल प्रदेश | डफला, मिशमी, अबोर |
3. | असोम | मिकीर, बोडो, कछारी (सोनवाल), राभा |
4. | मिजोरम | मिजो |
5. | मेघालय | गारो, खासी, जयन्तिया |
6. | बिहार | मुण्डा, हो, ओराँव, सन्थाल, भूमिज, खरिया, खरबार, लोहार |
7. | गुजरात | भील, चांधरी, ढाँका, ढोडिया, डबला, गमिट, कोकना, नैक्डा |
8. | हिमाचल प्रदेश | कोनौरा, नुज्जर, भोच, पंग्वाला |
9. | मध्य प्रदेश | गौड, भील और भिलालस, कोल, ओराँव, सहरिया, बंगा, कोकु हैबा |
10. | कर्नाटक | मराटी, कुरुवा, नैक्डा, सोलिगारू, हसलारू, कोरगा |
11. | महाराष्ट्र | भील, गौंडा, कोक्ना, कोली महादेव, गमित, कथोडी, ठाकुर |
12. | मणिपुर | टोंगखुल, माओ, थाडन |
13. | नागालैण्ड | नागा, डिमसा |
14. | ओडिशा | खौंड, गौंड, संथाल, मुण्ड, लोढा, ओराँव, परेजा कोल्हा, भूमिज, बथूडी |
15. | राजस्थान | मीना, भील |
16. | तमिलनाडु | मलयाली, इरुलर, कट्टनायकन |
17. | त्रिपुरा | चकमा, हल्ताम, जमतिया, मग, नोआलिया, रियांग, त्रिपुरी |
18. | पश्चिम बंगाल | ओराँव, सन्थाल, भूमिज, मुण्डा, कोरा |
19. | अण्डमान निकोबार द्वीप समूह | निकोबारी, ओंगे, जखा, सेंटीनली, शोमपेन |
20. | दादर व नागर हवेली | ढोडिया, कोक्ना, बरली, भावड़ा, क्षेडिया, कोली |
21. | पंजाब | भोट, स्वांगला, गद्दी |
22. | छत्तीसगढ़ | भील, कोरकू, गोंड, कोरबा, कोल, उरांव, नगेशिया, सहरिया, कंवर |
23. | केरल | मुथुवन, मलयारायन, कडर, मन्नान, इरुला, कनिक्कर, मलावेतन, कोटा, कुरूमान, विशावन |
24. | उत्तराखण्ड | राजी, भौटिया, जौनसारी, थारू, बुक्सा |
25. | उत्तर प्रदेश– | थारू, बुक्सा, शोर्का, खरवार, सहरिया |
26. | झारखण्ड | संथाल, बन्जारा, मुन्डा, असुर, खारिया, गोंड, भूमिज, हो, कोल, भील, बैगा |
भारत में कबीली जनसंख्या के विषय में स्पष्ट और सुलझे विचारों का अभाव रहा है। ‘कबीला’ शब्द की परिभाषा के विषय में भी विद्वानों में मतैक्य नहीं है। फलस्वरूप जनगणना रिपोर्टों में भी जहाँ कुछ कबीलों को जतियों की सूची में रखा गया है, बहुत सी नीची जातियों को भी कबीलों में सम्मिलित कर लिया गया है।
इस संबंध में एक जनगणना से दूसरी जनगणना में भी विषमता पाई जाती है। एक जनगणना के अनुसार समस्त भारतीय कबीलों का धर्म ‘आत्मावाद’ की श्रेणी में आता है किंतु उसकी अगली जनगणना में ही कबीली धर्म की सर्वथा पृथक श्रेणी बना दी गई है।
वास्तव में मूल प्रश्न यह है कि ‘कबीला’ कहते किसे हैं? इस शब्द की अब तक दी गई परिभाषओं से अधिक न्यायसंगत संभवत: नूतन किंतु गुणात्मक परिभाषा है। इस नवीन परिभाषा के अनुसार कबीला निश्चित भौगोलिक सीमा के भीतर वास करनेवाला ऐसा अंतर्विवाही सामाजिक समूह है जिसमें कार्यों का विशिष्टीकरण नहीं पाया जाता।
समान भाषा या बोली द्वारा संगठित और कबील अधिकारियों द्वारा प्रशासित यह समूह अन्य कबीलों और जातियों से सामाजिक दूरी मानता है किंतु जातिव्यवस्था की भाँति सामाजिक द्वेष जैसी भावना से अछूता है।
कबीले को अपनी परंपराएँ, विश्वास एवं रीतियाँ होती हैं और प्रजातीय तथा भागौलिक संग्रथन से उद्भूत सजातीयता की भावना कबीले के सदस्यों में बाह्य प्रभावों से प्रतिरक्षा को जन्म देती है। कबीला अनुसूचित हो सकता है और नहीं भी। कबीले में पर-संस्कृति-धारण की प्रक्रिया या तो पूर्णरूपेण संपन्न हो चुकी होती है या आंशिक रूप में ही।