वायुमण्डल (Atmosphere)
पृथ्वी के चारों ओर फैली वायु की पतली परत को वायुमण्डल कहते हैं। यह पृथ्वी के चारों ओर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण टिका रहता है। इसमें उपस्थित ओजोन परत बैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करती है। वायुमण्डल सूर्य की झुलसाने वाली गर्मी से भी हमारी रक्षा करता है। इसमें कई प्रकार की गैस, धूल-कण व जलवाष्प उपस्थित रहते हैं, जो क्षेत्र विशेष के मौसम को निर्धारित करते हैं।
वायुमण्डल (Atmosphere) जीवन के लिए एक महत्त्वपूर्ण घटक है, इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें पाई जाती है जिसमें ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाई-ऑक्साइड महत्त्वपूर्ण हैं।
वायुमण्डल की संरचना
पृथ्वी के वायुमण्डल को पृथ्वी की सतह से लेकर उसके ऊपरी स्तर तक निम्नलिखित पाँच स्तरों में बाँटा गया है-
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क्षोभमण्डल (Troposphere)
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समतापमण्डल (Stratosphere)
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मध्यमण्डल (Mesosphere)
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तापमण्डल (Thermosphere)
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बाह्यमण्डल (Exosphere)
क्षोभमण्डल
क्षोभमण्टल (Troposphere) वायुमण्डल की सबसे निचला पत होती है, जो ध्रवों पर 8 किमी तथा विषवत रेखा पर 18 किमी की ऊँचाई तक पाई जाती है। इस मण्डल में तापमान क गिरने की दर 165 मी की ऊचाई पर 1°C तथा किमी की ऊँचाई पर 6.4°C होती है।
क्षोभमण्डल में वायु मण्डल की कुल राशि का 90% भाग पाया जाता है। आँधी, बादल, वर्षा आदि प्राकृतिक घटनाएँ मण्डल में घटित होती हैं। धरातलीय जीवों का सम्बन्ध इसी मण्डल से होता है। इसी के अन्तर्गत भारी गैसों, जलवाष्प तथा धूलिकणों का अधिकतम भाग रहता है। इस मण्डल की ऊँचाई सर्दी की अपेक्षा गर्मी में अधिक हो जाती है। इस मण्डल की ऊपरी सीमा को क्षोभ सीमा (Tropopause) भी कहते हैं।
समतापमण्डल
समतापमण्डल (Stratosphere) वायुमण्डल में क्षोभमण्डल के ऊपर पाया जाता है। इसकी ऊँचाई विषवत रेखा पर 18 किमी से लेकर 50 किमी तक पाई जाती है। इस मण्डल में ओजोन (Ozone) परत पाई जाती है, इसलिए इसे ओजोनोस्फीयर (Ozonosphere) भी कहा जाता है।
मध्यमण्डल
मध्यमण्डल (Mesosphere) की ऊँचाई 50 से 80 किमी तक होती है तथा यहाँ तापमान में एकाएक गिरावट जाती है। मध्यमण्डल में ऊँचाई के साथ तापमान में ह्रास होता जाता है। इसकी ऊपरी सीमा -90°C द्वारा निर्धारित होती है, जिसको मेसोपाज (Mesopause) कहते हैं।
तापमण्डल
मध्यमण्डल (80 किमी.) के ऊपर वाला वायुमण्डलीय भाग (अनिश्चित ऊंचाई तक) तापमण्डल (Thermosphere कहलाता है। इसमें ऊँचाई के साथ तेजी से तापमान बढ़ता जाता है। इस मण्डल का तापमान अत्यधिक होने के बावजूद गर्मी महसूस नहीं होती है, क्योंकि इस ऊँचाई पर गैसें अत्यधिक विरल (Dispersed) हो जाती है और बहुत कम ऊष्मा को ही रख पाती हैं।
इस मण्डल के दो भाग है:-
- आयनमण्डल – मध्यमण्डल के ऊपर 80 से 640 किमी तक आयनमण्डल (Ionosphere) का विस्तार होता है। इसमें विद्युत आवेशित कणों की अधिकता होती है। इसी भाग में विस्मयकारी विद्युतीय व चुम्बकीय घटनाएँ घटित होती हैं, तथा ब्रह्माण्ड किरणों (Cosmic Rays) का परिलक्षण होता है। रेडियो तरंगें इसी मण्डल से परावर्तित होकर संचार को सम्भव बनाती है। यदि यह मण्डल ने होता तो रेडियो तरंगें भूतल पर न आकर आकाश में असीमित ऊँचाई तक चली जाती। आयनमण्डल तापमण्डल का सबसे निचला भाग है।
- बाह्यमण्डल – बाह्यमण्डल (Exosphere) का विस्तार 640 किमी. से ऊपर होता है। इस मण्डल के बाद वायुमण्डल अन्तरिक्ष में विलीन हो जाता है।
वायुमंडल में पायी जाने वाली गैसें और उनकी मात्रा
गैस | आयतन |
---|---|
नाइट्रोजन | 78.09% |
ऑक्सीजन | 20.95% |
आर्गन | 0.93% |
कार्बन डाइआक्साइड | 0.03% |
निऑन | 0.0018% |
हाइड्रोजन | 0.001% |
हीलियम | 0.000524% |
क्रिप्टन | 0.0001% |
ज़ेनान | 0.000008% |
ओज़ोन | 0.000001% |
मीथेन | अल्प मात्रा |