वन्य जीवन
भारत में 71 राष्ट्रीय पार्क एवं 410 पशु विहार हैं। यह Wild Life Protection Act 1972 से संचालित हैं। Project Tiger का आरम्भ 1 अप्रैल, 1973 से किया गया। इन सबका उद्देश्य भारत, में लुप्त होते वन्य जीवन को बचाना है।
रक्षित क्षेत्र
रक्षित क्षेत्र (Protected Area) ऐसे क्षेत्र हैं, जो जैविक विविधता तथा प्राकृतिक एवं सम्बद्ध सांस्कृतिक स्रोतों (Cultural Sources) की सुरक्षा एवं निर्वहन के लिए विशेष रूप से समर्पित हैं और जिनका प्रबन्धन कानूनी या अन्य प्रभावी माध्यमों से किया जाता है। इसके अन्तर्गत राष्ट्रीय उद्यान (National Park), वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Reserve), जैव मण्डलीय आरक्षित क्षेत्र (Biosphere Reserved Area) इत्यादि आते हैं।
वन्यजीव परियोजनाएँ
बाघ परियोजना
भारत में बाघ परियोजना का शुभारम्भ 1 अप्रैल, 1973 को हुआ। इस परियोजना उद्देश्य बाघों की गिरती संख्या को रोकना तथा पारिस्थितिकीय सन्तुलन बनाए रखने के लिए उनकी जनसंख्या में वृद्धि करना है। मध्य प्रदेश को टाइगर राज्य के नाम से जाना जाता है। दुर्लभ सफेद बाघों के लिए ओडिशा का नन्दन कानन प्रसिद्ध है। मानस काजीरंगा, सुन्दरवन टाइगर रिजर्व को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational Scientific and Cultural Organisation, UNESCO) ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया।
विश्व का प्रथम बाघ बचाओ सम्मेलन
21-24 नवम्बर, 2010 को रूस के सेण्टपीट्सबर्ग में विश्व का पहला बाघ बचाओ सम्मेलन हुआ। जिन देशों में बाघ पाए जाते हैं, उन 13 देशों के प्रतिनिधियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की, कि वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी कर दी जाए। सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि सभी 13 देशों में सामूहिक रूप से बाघों पर आए संकट को दूर करने के उपाय के रूप में ग्लोबल टाइगर रिकवरी प्रोग्राम नाम की परियोजना करेंगे।
हाथी परियोजना
प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर भारत सरकार ने वन्य हाथियों की रक्षा के लिए 7 दिसम्बर, 1992 में प्रोजेक्ट हाथी परियोजना (Project Elephant) को झारखण्ड के सिंहभूम जिले से प्रारम्भ किया गया। हाथी परियोजना को भारत के 13 प्रान्तों, यथा – असम, मेघालय, नागालैण्ड, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल तथा उत्तराखण्ड आदि में चलाया जा रहा है। इस परियोजना से हाथियों की संख्या में सन्तोषजनक सुधार हुआ है। वन एवं पर्यावरण मन्त्रालय की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में देश कुल हाथियों की संख्या 30,711 है, जो देश के कुल (32 हाथी रिर्जवों में संकेन्द्रित है)।
हाथियों के लिए “माइक कार्यक्रम”
साइट्स (CITES) द्वारा हाथियों के संरक्षण के लिए माइक कार्यक्रम (Monitoring the Illegal Killing of Eleplants – MIKE) की शुरूआत वैश्विक स्तर पर वर्ष 2003 में की गई। इस कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में हाथियों की सीमा वाले राज्यों को उचित प्रबन्धन एवं प्रवर्तन निर्णय लेने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करना और उनकी जनसंख्या के दीर्घकालीन प्रबन्धन हेतु संस्थागत क्षमता का निर्माण करना शामिल है।
गिद्ध संरक्षण परियोजना
भारत में वन्य गिद्धों (Vulture) की 9 प्रजातियाँ पाई जाती हैं जो प्रायः विलुप्त होने के कगार पर हैं। बर्ष 2000 में अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature, IUCN) ने गिद्ध को खतरनाक रूप से विलुप्त होने की कगार पर मानते हए अपनी रेड लिस्ट (Red List) में जगह दी। वर्ष 2004 में भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के प्रस्ताव को स्वीकृति दी। गिद्धों की लगातार घटती संख्या के लिए डिक्लोफेनॉक नामक औषधि को उत्तरदायी माना गया। डिक्लोफेनॉक दवा का प्रयोग पशु चिकित्सा में दर्द निवारक के रूप में किया जाता है। इस औषधि पर भारत में वर्ष 2006 में प्रतिबन्ध लगाया गया था।
कस्तूरी मृग परियोजना
कस्तूरी केवल नर मृग में ही पाई जाती है, जिसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। इनकों अधिक संख्या में मारे जाने के कारण इनकी प्रजाति विलुप्त हो गई है। इस कारण अन्तर्राष्ट्रीय संघ के सहयोग से कस्तूरी मृग परियोजना (Musk Deer Project) वर्ष 1972 में उत्तराखण्ड के केदारनाथ अभयारण्य में शुरू की गई। कस्तूरी मृग के लिए हिमाचल प्रदेश का शिकारी देवी अभयारण्य तथा उत्तराखण्ड का केदारनाथ अभयारण्य प्रसिद्ध है।
तराई आर्क परियोजना
बाघ संरक्षण प्राधिकरण तथा विश्व वन्य निधि द्वारा बाघों के संरक्षण, संवर्द्धन तथा जंगली जानवरों के बीच अन्तराष्ट्रीय सम्बन्ध कायम करने के लिए तराई आर्क परियोजना (Terai Arch Project) शुरू की गई। इसके अन्तर्गत के वनों को उत्तराखण्ड, बिहार व पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के वनों से जोड़कर हरित गैलरी (Green Gallery) योजना है। राजाजी नेशनल पार्क, कार्बेट पीलीभीत के लग्गा-भग्गा वन्य क्षेत्र, दुधवा, किशनपुर सैंक्चुअरी, कतरनीया घाट, बलरामपुर का सुहलदेव, महाराजगंज के सोहागी बरवा तथा बिहार के वाल्मीकि नेशनल पार्क को आपस में जोड़कर हरित गैलरी बनाई गई।
हिम तेन्दुआ परियोजना
भारत में टाइगर परियोजना, हाथी परियोजना, गैण्डा परियोजना समान ही हिम तेन्दुआ परियोजना (Snow Leopard Project) प्रारम्भ का किया गया हिमालय पर्वतीय क्षेत्रों के प्रान्तों या क्षेत्रों को इस योजना में सम्मिलित किया गया है। यह साधारण तेंदुए से छोटा होता है। इसकी लम्बी पँछ, छोटा मुँह और उठा हुआ सर होता है। यह हिमरेखा से ऊपर, ऊंची हिमालय की पहाड़ियों पर जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक पाया जाता है।
लाल पाण्डा परियोजना
लाल पाण्डा (Red Panda) पूर्वी हिमाचल में 100 से 4000 मी की ऊँचाई पर पाया जाता है। अरुणाचल प्रदेश में इसे कैट बीयर (Cat Bear) के नाम से जाना जाता है। इनकी संख्या में कमी आने के कारण वर्ष 1996 में विश्व प्रकृति निधि (World Wide Fund for Nature) के सहयोग से पद्मजा नायडू हिमालयन जन्तु पार्क ने लाल पाण्डा के संरक्षण के लिए इस परियोजना का शुभारम्भ किया।
गैण्डा परियोजना
एक सींग वाला गैण्डा केवल भारत में पाया जाता है, लेकिन इसके सींग के लिए किए गए अवैध शिकारों के कारण इसकी संख्या में भारी कमी आ गई। इसके सींग से बहुमूल्य औषधियों का निर्माण होता है, जिसकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक माँग है। वर्ष 1987 में सरकार ने गैण्डे को अवैध शिकारों से बचाने के लिए गैण्डा परियोजना अभियान शुरू किया। काजीरंगा तथा मानस असम में, जबकि जल्दापाड़ा-पश्चिम बंगाल में गैण्डे के प्रमुख स्थान हैं।
घड़ियाल प्रजनन परियोजना
वर्ष 1975 में भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme, UNDP) की सहायता से ओडिसा के तिकरपाड़ा से घड़ियाल प्रजनन परियोजना (Crocodile Breeding Project) की शुरूआत की। इसका विस्तार उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, अण्डमान, बिहार एवं नागालैण्ड में किया गया है।
गिर सिंह परियोजना
गजरात के गिर वन क्षेत्र में पए जाने वाले एशियाई सिंह (Asiatic Lion-Panthera Leo Persica) के संरक्षण हेतु यह परियोजना प्रारम्भ की गई। इस सन्दर्भ में गुजरात सरकार द्वारा वर्ष 1972 में पंचवर्षीय योजना तैयार की गई थी। गुजरात के सौराष्ट्र प्रायद्वीप में ही ये सिंह पाए जाते है।
कछुआ संरक्षण परियोजना
भारत सरकार ने जनवरी 2008 में कछुआ संरक्षण परियोजना (Turtle Protection Project) की शुरुआत की। घाना, चीन तथा मैक्सिको में भी गुजरात कछुआ संरक्षण परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। वर्ष 2012 में सम्पन्न कछुआ गणना के अनुसार, भारत के समुद्रतटीय क्षेत्रों में लगभग 16000 कछुओं का वास है। दक्षिण अमेरिका की ओलिव रिडले नामक कछुए की घटती संख्या को देखकर ओडिशा सरकार ने वर्ष 1975 में भितरकनिका अभयारण्य में कछुओं के सरक्षण का प्रयास किया। इसका उपयोग कीमती दवाओं के निर्माण में होता है। इस कछुए का प्रजनन स्थल गहिरमाथा है, जो भितरकनिका अभयारण्य में अवस्थित है।
कुछ प्रमुख राष्ट्रीय पार्क और पशु विहार
# | राष्ट्रीय पार्क या पशु विहार | स्थान |
---|---|---|
1. | बन्दीपुर राष्ट्रीय पार्क | मैसूर (कर्नाटक) |
2. | चन्द्रप्रभा गेम सेन्चुरी | वाराणसी (उ.प्र.), |
3. | कार्बेट नेशनल पार्क | नैनीताल (उत्तराखंड) |
4. | दुधवा नेशनल पार्क | लखीमपुर खीरी (उप्र.) |
5. | घना पक्षी विहार | भरतपुर (राजस्थान) |
6. | गिरि नेशनल पार्क | जूनागढ़ (गुजरात) |
7. | हजारी बाग नेशनल पार्क | हजारीबाग (झारखण्ड) |
8. | कान्हा नेशनल पार्क | मण्डला-बालाघाट (म. प्र.) |
9. | इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान | बस्तर (छत्तीसगढ़) |
10. | काजीरंगा नेशनल पार्क | जोरहाट (असोम) |
11. | मानस टाइगर विहार | बारपेटा (असोम) |
12. | रणथम्भौर नेशनल पार्क | सवाई माधोपुर (राजस्थान) |
13. | शिवपुरी नेशनल पार्क | शिवपुरी (मध्य प्रदेश) |
14. | सिम्लीपल टाइगर विहार | मयूरभंज (ओडिशा) |
15. | बान्धवगढ़ नेशनल पार्क | शहडोल (मध्य प्रदेश) |
16. | सुल्तानपुर झील पक्षी विहार | गुड़गाँवा के निकट (हरियाणा) |
17. | सुन्दरवन टाइगर विहार | चौबीस परगना (प. बंगाल) |
18. | चन्दका हाथी विहार | भुवनेश्वर (ओडिशा) |
19. | सरिस्का विहार | अलवर (राजस्थान) |
20. | डाल्मा वन्य जीव अभयारण्य | सिंहभूमि (झारखण्ड) |
21. | दचिगाम अभयारण्य | श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) |
22. | डाम्प वन्य जीव अभयारण्य | एजल (मिजोरम) |
23. | डन्डेली वन्य जीव अभयारण्य | धारवाड़ (कर्नाटक) |
24. | इरविकुलम राजमल्ले राष्ट्रीय उद्यान | इदुक्की (केरल) |
25. | गर्म पानी वन्य जीव अभयारण्य | दिफू (असोम) |
26. | पंचमढ़ी वन्य जीव अभयारण्य | होशंगाबाद (म. प्र.) |
27. | जलदपारा वन्य जीव अभयारण्य | जलपाईगुडी (प. बंगाल) |
28. | खगचन्दाजेंदा राष्ट्रीय उद्यान | गंगटोक (सिक्किम) |
29. | बारवली राष्ट्रीय उद्यान | मुम्बई (महाराष्ट्र) |
30. | टडवाई वन्य अभयारण्य | वारंगल (आन्ध्र प्रदेश) |
31. | नन्दपा वन्य जीव अभयारण्य | तिरप (अरुणाचल प्रदेश) |