ज़्यादातर पॉलिथीन का उपयोग थैली बनाने में किया जाता है। आज के युग में पॉलिथीन के उपयोग के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। पॉलिथीन के उपयोग के कुछ लाभ भी हैं और साथ ही हानियाँ भी।
पॉलीथीन या पॉलीएथिलीन या Polyethylene या Polythene(IUPAC नाम- पॉलीएथीन या पॉली मेथीलीन) सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला प्लास्टिक है। पॉलीथीन का मुख्य उपयोग पैकेजिंग (प्लास्टिक के थैले, जीओमेम्ब्रेन, बोतल और अन्य पात्र) बनाने में होता है।
पॉलीथीलीन कई प्रकार के होते हैं जिनमें से अधिकांश का सूत्र (C2H4)nH2 होता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि पॉलीथीन एक ही प्रकार के कार्बनिक यौगिकों का मिश्रण होता है जिनमें n का मान अलग-अलग होता है। (देखें – काँच के प्रकार)
पॉलिथीन दुनिया का सबसे लोकप्रिय प्लास्टिक है,पॉलीथिन सबसे पहले जर्मनी के मिस्ट हैंस वोन पैचमान ने सन 1898 में अचानक खोज लिया था।
औद्योगिक रूप से पॉलिथीन का आविष्कार 1935 में नॉर्थ बीच इंग्लैंड एरिक फ़ोसेट औररेगिनाल्ड गिबसन से एक एक्सीडेंट में हो गया।
एक्सीडेंट रुपी प्रयोग को दोबारा करना मुश्किल था। पर 1935 में इसे भलीभांति कर लिया गया।
पॉलीथीन के उपयोग से लाभ
दैनिक कार्यो को पूरा करने के लिए एक औसत व्यक्ति दिन में कम से कम तीन बार पॉलिथीन का इस्तेमाल करता है। आज के युग में पॉलीथीन के उपयोग के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। आप कोई भी खाने पीने की चीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से पॉलीथीन की बजह से ही ले जा पाते हैं। ज़्यादातर व्यवसाय पॉलीथीन पर पूर्ण रूप से निर्भर हैं ।
पॉलीथीन से हानियाँ
हमें पॉलीथीन का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए ताकि हम पर्यावरण को होने वाले इसके नुकसान से बचा सके। पॉलिथीन और प्लास्टिक गाँव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। शहर का ड्रेनेज सिस्टम अक्सर पॉलिथीन से भरा मिलता है। इसके चलते नालियाँ और नाले जाम हो जाते हैं। इसका प्रयोग तेजी से बढ़ा है। प्लास्टिक के गिलासों में चाय या फिर गर्म दूध का सेवन करने से उसका केमिकल लोगों के पेट में चला जाता है। इससे डायरिया के साथ ही अन्य गम्भीर बीमारियाँ होती हैं।
पॉलिथीन का बढ़ता हुआ उपयोग न केवल वर्तमान के लिये बल्कि भविष्य के लिये भी खतरनाक होता जा रहा है। पॉलिथीन पूरे देश की गम्भीर समस्या है। पहले जब खरीदारी करने जाते थे तो कपड़े का थैला साथ लेकर जाते थे, किन्तु आज खाली हाथ जाकर दुकानदार से पॉलिथीन माँगकर सामान लाते हैं। पहले अखबार के लिफाफे होते थे किन्तु उसके स्थान पर आज पॉलिथीन का उपयोग किया जा रहा है।
स्मरण रहे कि पृथ्वी तल पर जमा पॉलिथीन जमीन का जल सोखने की क्षमता खत्म कर रही है। इससे भूजल स्तर गिर रहा है। सुविधा के लिये बनाई गई पॉलिथीन आज सबसे बड़ी असुविधा का करण बन गई है। प्राकृतिक तरीके से नष्ट न होने के कारण यह धरती की उर्वरक क्षमता को धीरे-धीरे समाप्त कर रही है।
पॉलीथीन से होने वाले प्रदूषण से बचने के उपाय
राज्य सरकार या भारत सरकार ज़्यादातर जगहों पर आम पॉलीथीन को बंद कर देती है। परंतु कुछ समय बाद या चुपके से उसका प्रयोग होना शुरू हो जाता है। शाशन को पहले ये समझना चाहिए कि जो बड़ी बड़ी कंपनियों के प्रॉडक्ट पॉलीथीन में आते हैं, जिनमें आधे से ज्यादा हवा भरी होती है उन पर लगाम लगानी चाहिए, तत्पश्चात छोटे स्तर पर। सरकारे जबरजस्ती अपना आदेश गरीबों पर नहीं थोप सकती है, यह दोहरा मापदंड लागू करने से सरकार कभी भी सफल नही होगी।