ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है। यह एक प्रकार का सूक्ष्म विज्ञान है जो कि काफी विविध और काफी अधिक विस्तृत है। यह ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से भविष्य जाना जा सकता है। इसके अलावा दुनिया मे ऐसा कोई भी अन्य माध्यम नही है। विज्ञान – विज्ञान का मतलब जो कि वैज्ञानिक है उनके बारे में है। आधुनिक विज्ञान में भी वैज्ञानिक अनुसंधान करते है।
ज्योतिष एक अलग ही विषय है। वर्तमान विज्ञान से ज्योतिष को अलग ही रखना चाहिए। अगर ज्योतिष और वर्तमान विज्ञान की तुलना करना चाहे भी तो नही हो सकती।
ज्योतिष काफी अधिक विकसित और अधिक विस्तृत है। उदाहरण के लिये अगर कोई व्यक्ति है, जिसका हमे जांच करना है कि उसके शरीर मे क्या दिक्कतें हो सकती है। मेडिकल में यह तो संभव नही, क्योंकि मेडिकल वाले तभी बता सकते है जब बीमारी हो चुकी होगी।
अब ज्योतिष की बात करें तो ज्योतिष के माध्यम से व्यक्ति के शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य के बारे में वर्षो पहले ही बताया जा सकता है कि लगभग इस आयु में इस तरह की बीमारी या दिक्कतें होंगी। ऐसा करना आधुनिक विज्ञान व मेडिकल साइंस में सम्भव ही नही।
आप यह निष्कर्ष निकाल सकते है कि ज्योतिष को इसलिए ही दबा के रखा गया है क्योंकि यह काफी शक्तिशाली ऊर्जा है। इसका गलत प्रयोग से काफी अधिक नुकसान होता है। उसके अलावा अगर सभी जातक ज्योतिष से जुड़ जाए तो समस्याएं काफी हद तक सम्भल जाएंगी। इसलिए इसको रोका जाता है।
हमारे चार वेद हैऔर उसके छ:अंग हैं। उन्हीं मे से एक अंग ज्योतिष का हैं। जिसे नेत्र या प्रकाश कहा जाता हैं।इसलिए अंतर स्पष्ट करते समय वेदों के ज्ञान की जरुरत पडेगी। विज्ञान को मुख्य रुप से भौतिक, रसायन और जीव विज्ञान समझा जाता है। इसलिए अंतर स्पष्ट करते समय इन तीनो विषयों पर ध्यान केन्दित करेंगे।
पहला, ज्योतिष और वेद हमें ज्ञान की अंन्तिम अवस्था मे ले जाते है। जिसमें ज्योतिष मार्गदर्शन करता हैं। ज्ञान की इस अंन्तिम अवस्था को कर्म संयास योग कहा जाता हैं। आज का विज्ञान हमें ज्ञान के ऐसे रास्ते के तरफ ले जाता हैं, जो अनन्त हैं।
दूसरा, ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान हैजो खगोलीय पिण्डों और मानवीय घटनाओं से संबंधों को जोडता हैं। यह ब्रहृमांड और मनुष्य के बीच अंत:संबंधों को जोडने का प्रयास करता है। यह आकाशगंगा के संसार और जीवित कोशिकाओं के संसार को एक दूसरे से जोडने का प्रयत्न करता हैं। जिसे जानने का उपकरण ध्यान और योग की परमोच्च अवस्था है। वस्तु की जानकारी हासिल करना ही विज्ञान हैं। जैसे हाइड्रोजन के दो कण जब आक्सीजन के सम्पर्क मे आते है तो पानी बनता हैं, यही विज्ञान हैं।
तीसरा, ज्योतिष मे समय के साथ साथ बहुत विकृति आ गयीं फलस्वरूप इस शोध और अध्ययन कम हो गए। आधुनिक विज्ञान ने इसकी उपेक्षा करके पाया कम हैं और खोया ज्यादा हैं। प्राचीन विज्ञान बहुत विकसित अवस्था मे था।
समय समय पर मिलने वाले अवशेषों से यह साबित होता हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक हम योग की महत्ता को स्वीकार करने के लिये तैयार नहीं थे लेकिन यह सिद्ध हुआ कि शारीरक और श्वास क्रियाओं के द्धारा बीमारी को ठीक किया जा सकता हैं लेकिन आधुनिक विज्ञान इसका भौतिक सत्यापन करने मे असफल है।
अंतरिक्ष से नासा द्धारा लिए गये चित्र से स्पष्ट हुआ कि रामसेतु का अस्तित्व था जबकि हम इसे मानने के लिए तैयार नहीं थे।