मधुमेह (डाइबिटीज़) – शुगर का घरेलू आयुर्वेदिक उपचार

मधुमेह (डाइबिटीज़)

इससे पहले कि हम डाइबिटीज़ के इलाज के बारे में आपको बताएं, उससे पहले यह जानना ज़रूरी है कि डायबिटीज़ क्या है? जब शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन (एक प्रकार का हार्मोन) पहुंचना कम हो जाता है, तो खून में ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ जाता है, ऐसी स्थिति को डाइबिटीज़ कहते हैं।

Madhumeh or Diabetes
Madhumeh or Diabetes
  1. इंसुलिन का काम शरीर में भोजन को एनर्जी में बदलना होता है और इसी हार्मोन की वजह से शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।
  2. वहीं, जब किसी को मधुमेह हो जाता है, तो भोजन के एनर्जी में बदलने में दिक्कत होती है, जिसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है।
  3. डायबिटीज़ का असर न सिर्फ शरीर के अन्य अंगों पर पड़ता है, बल्कि इसकी वजह से शरीर में कई अन्य बीमारियां भी घर कर जाती हैं।
  4. डायबिटीज़ के कारण शरीर के अन्य अंगों में दर्द, किडनी की समस्या, आंखों की रोशनी का कमजोर होना और दिल का दौरा तक पड़ने का ख़तरा हो सकता है।

मधुमेह या डाइबिटीज़ या शुगर तीन प्रकार के होता है।

  1. टाइप-1 – यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, इसमें बीटा कोशिकाएं इंसुलिन नहीं बना पाती हैं। इस मधुमेह में मरीज़ को इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं, ताकि शरीर में इंसुलिन की मात्रा सही तरीक़े से बनी रहे। यह डायबिटीज़ बच्चों और युवाओं को होने की आशंका ज़्यादा होती है।
  2. टाइप-2- इसमें शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है या फिर शरीर सही तरीके से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाता।
  3. गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes) – यह मधुमेह गर्भावस्था के दौरान होता है, जब खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। इस दौरान, गर्भवती महिलाओं को टाइप 2 डायबिटीज़ होने का खतरा ज़्यादा रहता है।

डायबिटीज़ के प्रकार जानने के बाद आइए पता करते हैं कि इसके लक्षण क्या-क्या होते हैं।

डायबिटीज़ के लक्षण

हर किसी को मधुमेह के कुछ लक्षणों का पता होना जरूरी है। इसके कई ऐसे आम से दिखने वाले लक्षण होते हैं, जिन पर अगर आप समय रहते ध्यान देते हैं, तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। नीचे हम ऐसे ही कुछ शुगर के लक्षण आपको बता रहे हैं।

  1. बार-बार पेशाब लगना।
  2. लगातार शरीर में दर्द की शिकायत होना।
  3. बार-बार त्वचा और प्राइवेट पार्ट्स में संक्रमण होना या कैविटी होना।
  4. घाव का जल्दी न भरना।
  5. गला सूखना या बार-बार प्यास लगना।
  6. आंखों की रोशनी कमज़ोर होना।
  7. वज़न का अचानक से ज़्यादा बढ़ना या कम होना।
  8. लगातार थकान या कमज़ोरी महसूस होना।
  9. ज़रूरत से ज़्यादा भूख लगना।
  10. व्यवहार में चिड़चिड़ापन होना।

इसमें से अगर कोई भी मधुमेह का लक्षण आपको अपने शरीर में दिखे, तो एक बार डायबिटीज़ की जांच ज़रूर कराएं। अब हम जानते हैं कि आखिर शुगर होती क्योंं है।

मधुमेह (डायबिटीज़, शुगर) के कारण और जोखिम कारक

इससे पहले कि आप मधुमेह के इलाज के बारे में जानें, आपका शुगर होने के कारणों के बारे में जानना ज़रूरी है।

  • अगर आपके परिवार में किसी को डायबिटीज़ है, तो आपको भी डायबिटीज़ होने का ख़तरा हो सकता है।
  • ज़्यादा तला या बाहर का खाना खाने से बढ़ता हुआ वज़न भी डायबिटीज़ का कारण है।
  • व्यायाम या कोई शारीरिक श्रम ना करना।
  • ज़्यादा मीठा खाना।
  • अगर कोई ह्रदय संबंधी बीमारी है, तो डायबिटीज़ हो सकती है।
  • अगर गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज़ हुई हो या शिशु का वज़न 9 पौंड से ज्यादा हो तो आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज़ होने की आशंका बढ़ जाती है।
  • बढ़ती उम्र से भी डायबिटीज़ हो सकती है।

मधुमेह (डायबिटीज़, शुगर) का इलाज

अब जब मधुमेह के बारे में इतनी जानकारी आपको मिल ही गई है, तो अब समय आ गया है कि उसके इलाज के बारे में भी आपको पता हो। इसलिए, शुगर का इलाज कैसे किया जाए, आपके लिए यह जानना बेहद ज़रूरी है।

  1. इंसुलिन – कई टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ के मरीज़ इंसुलिन के इंजेक्शन का उपयोग करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर इंसुलिन पंप की भी सलाह देते हैं।
  2. सही खान-पान – मधुमेह के मरीज़ों को अपने खान-पान का ख़ास ख़्याल रखना चाहिए। इसलिए, डॉक्टर डायबिटीज़ के लिए एक विशेष आहार चार्ट बनाते हैं और उसी के अनुरुप खान-पान की सलाह देते हैं। खाने में हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, गाजर, टमाटर, संतरा, केला व अंगूर खा सकते हैं। इसके अलावा अंडा, मछली, चीज़ और दही का भी सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  3. व्यायाम – खाने-पीने के अलावा डॉक्टर व्यायाम और योगासन करने की भी राय देते हैं। फिज़िकल एक्टिविटी करने से ब्लड ग्लूकोज़ लेवल संतुलित रहता है और आपका शरीर स्वस्थ रहता है। डॉक्टर, डायबिटीज़ के मरीज़ों को चलने, सुबह की सैर और हल्का-फ़ुल्का व्यायाम करने की राय देते हैं। यह डायबिटीज के इलाज के सबसे आसान तरीके हैं।
  4. दवाइयां – डायबिटीज़ के मरीज़ों को दवाइयां की भी सलाह दी आती है। डॉक्टर, मरीज़ की बीमारी के अनुसार ही दवाई देते हैं।

इस बीमारी के घरेलु उपचार क्या हैं, यह जानना भी जरूरी है, जिस बारे में आगे बताया जा रहा है।

मधुमेह (डायबिटीज़, शुगर) के घरेलु उपचार

अब इस लेख में हम आपको डायबिटीज़ के कुछ घरेलु उपचार के बारे में बताएंगे, जिनके सेवन से शुगर को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

1. करेले का जूस

सामग्री:-

  • एक करेला
  • चुटकीभर नमक
  • चुटकीभर कालीमिर्च
  • एक या दो चम्मच नींबू का रस

बनाने की विधि

  • करेले को धोकर उसका जूस निकाल लें।
  • अब इसमें स्वादानुसार नमक, कालीमिर्च और नींबू का रस मिला लें।
  • अब इस मिश्रण को पिएं।

कब करें सेवन?

आप हर रोज़ सुबह खाली पेट इसका सेवन कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है ?

करेले में फाइबर होता है, जो एंटीडायबिटिक यौगिक है। इसमें ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को कम करने के गुण होते हैं।

2. दालचीनी

सामग्री

  • आधा चम्मच दालचीनी पाउडर
  • एक गिलास गर्म पानी

बनाने की विधि

  • गर्म पानी में दालचीनी पाउडर मिलाकर पिएं।

कब करें सेवन?

इस मिश्रण को रोज़ सुबह पिएं।

कैसे फायदेमंद है?

दालचीनी एक सुगंधित मसाला है, जिसका व्यापक रूप से विभिन्न व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। यह एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है। यह ऑक्सीडेटिव तनाव, जिससे मधुमेह होने की आशंका होती है, उसे कम करने में मदद करता है।

3. मेथी

सामग्री

  • दो चम्मच मेथी दाना
  • दो कप पानी

बनाने की विधि

  • दो चम्मच मेथी दाने में दो कप पानी मिलाएं।
  • अब इसे ढककर रात भर छोड़ दें।
  • अगले दिन पानी को छानकर खाली पेट पिएं।

कब करें सेवन?

इसे हर सुबह पिएं, जिससे आपका ब्लड शुगर लेवल कम होगा।

कैसे फायदेमंद है?

मेथी का उपयोग मसाले के तौर पर होता है। इसके अलावा एक स्टडी के अनुसार, मेथी में ब्लड ग्लूकोज कम करने के गुण होते हैं, जो टाइप 2 मधुमेह के इलाज में काफ़ी मददगार साबित हो सकता है।

4. एलोवेरा

सामग्री

  • एलोवेरा का रस

क्या करें?

  • हर रोज़ दिन में एक से दो बार बिना चीनी के एलोवेरा जूस का सेवन करें।
  • आप चाहें तो डॉक्टर से बात करके एलोवेरा का कैप्सूल भी ले सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

हाल के वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि एलोवेरा में लिपिड और ब्लड शुगर को कम करने वाले गुण होते हैं। इसके लगातार सेवन से आपका ब्लड ग्लूकोज़ लेवल नियंत्रित रहता है।

5. आंवला

सामग्री

  • आंवले का रस
  • हल्दी
  • शहद

बनाने की विधि

  • आंवले के रस में चुटकीभर हल्दी और शहद मिलाकर पिएं। ऐसा करने से शुगर नियंत्रण में रहेगी।

कैसे है फायदेमंद?

आंवला में मौजूद क्रोमियम (chromium) ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मददगार होता है। यह इंसुलिन के प्रवाह को भी बढ़ाता है। इस वजह से, यह मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए काफ़ी फायदेमंद होता है।

6. जामुन

सामग्री

  • जामुन
  • शहद

कैसे खाएं?

आप एक चम्मच शहद के साथ जामुन का सेवन करें, ऐसा करने से आपकी शुगर नियंत्रण में रहेगी। सिर्फ जामुन ही नहीं, बल्कि इसके पत्तों में भी डायबिटीज़ नियंत्रण करने के गुण मौजूद हैं। आप चाहे तो जामुन के बीज को पीसकर पाउडर बनाकर भी सेवन कर सकते हैं।

कब करें सेवन

आप हफ़्ते में एक या दो बार इसका सेवन ज़रूर करें।

कैसे है फायदेमंद?

इसमें मौजूद उच्च पोटैशियम मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

7. लहसुन

सामग्री

  • लहसुन के कुछ टुकड़े

कैसे इस्तेमाल करें?

  • आप रोज़ सुबह लहसुन की एक या दो कली खा सकते हैं।
  • अगर आपको कच्चा लहसुन खाना पसंद नहीं, तो आप अपनी पसंदीदा सब्ज़ी बनाने के समय उसमें थोड़ा लहसुन डाल सकते हैं।

कैसे है फायदेमंद?

जब लहसुन को पीसा या कुचला जाता है, तो इसमें से एलिसिन नाम का एंटीऑक्सीडेंट निकलता है। यह तत्व एंटीडायबिटिक होता है, जो मधुमेह को प्रभावी ढंग से रोकने में मदद करता है।

8. नीम

सामग्री

  • नीम के पत्ते
  • नीम का पेस्ट
  • नीम का कैप्सूल

कैसे खाएं?

  • आप चाहें तो नीम के पत्तों को अच्छे से धोकर सुबक के समय खा सकते हैं।
  • एक चम्मच नीम के पेस्ट को पानी में मिलाकर सुबह-सुबह पी भी सकते हैं।
  • इसके अलावा, अगर आपको कच्चा नीम या नीम का पेस्ट पसंद नहीं है, तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार नीम का कैप्सूल भी ले सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

भारत में नीम के पत्तों, छाल और फलों को कई सालों से आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है। आयुर्वेद के अनुसार नीम में एंटीडाइबिटिक, एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।

इसके अलावा, कुछ स्टडीज के अनुसार नीम में खून में ग्लूकोज कम करने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा यह मधुमेह को रोकने में भी मददगार साबित हो सकता है। यहां तक कि नीम, मधुमेह के दौरान होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को भी रोक सकता है।

9. अमरूद

आप हर रोज़ अमरुद का सेवन का सकते हैं इससे डायबिटीज़ का असर कम होता है।

कैसे फायदेमंद है?

जापान के याकुल्ट सेंट्रल इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए शोध के अनुसार, अमरूद या अमरूद की पत्तियों की चाय मधुमेह के मरीज़ों में ब्लड ग्लूकोज़ को कम करने में सहायक है। अमरूद, अल्फा-ग्लूकोसाइडेज एंजाइम गतिविधि को कम कर मधुमेह में रक्त ग्लूकोज को प्रभावी ढंग से कम कर सकता है।

12 सप्ताह के लिए अमरूद की पत्तियों की चाय पीने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है। अमरूद में फाइबर और विटामिन-सी के भी गुण हैं, जो वज़न को संतुलित रखते हैं।

10. दलिया

आप हर रोज़ एक कटोरा दलिया अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। आप चाहें तो रोज़ दिन में दो बार भी इसका सेवन कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

दलिया में प्रचुर मात्रा में फाइबर मौजूद होता है। यह ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को नियंत्रित करता है और कोलेस्ट्रॉल को कम कर मधुमेह का उपचार करता है। इसके अलावा दलिया खाने से टाइप-2 मधुमेह के मरीज़ों के ग्लूकोज़ पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है।

दलिया में मौजूद बीटा-ग्लुकोन (Beta-glucans) ना सिर्फ ब्लड ग्लूकोज़ को कम करते हैं, बल्कि दिल की बीमारी से भी बचाते हैं । हालांकि, यह ज़रूरी नहीं कि सभी प्रकार का दलिया अच्छा हो, फ्लेवर्ड या तुरंत बनने वाले दलिया से दूर रहें, क्योंकि इनमें शुगर की मात्रा होती है।

11. ग्रीन टी

हर रोज़ ग्रीन टी का सेवन करें। यह मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक साबित होती है, क्योंकि यह चयापचय प्रणाली (metabolic system) के काम को बढ़ाती है। रोज़ ग्रीन टी के सेवन से टाइप-2 डायबिटीज़ नियंत्रण में रहता है।

ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनॉल्स (polyphenols) शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित कर, मधुमेह के जोखिम को कम करता है। एक कोरियाई अध्ययन से पता चला है कि 6 या उससे अधिक कप ग्रीन टी पीने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा 33 प्रतिशत तक कम हो सकता है, लेकिन इस बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें, क्योंकि एक दिन में 6 कप ग्रीन टी स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं हो सकता है।

12. शिलाजीत

कैसे खाएं?

आप चाहे तो शिलाजीत पूरक (shilajit supplements) को दूध, शहद या तिल के तेल के साथ ले सकते हैं। इसके अलावा, आप डॉक्टर से बात कर शिलाजीत के कैप्सूल भी खा सकते हैं।

कब खाएं?

आप इसे सुबह, दोपहर या रात के खाने के पहले खा सकते हैं।

कहां से खरीदें?

आप किसी आयुर्वेदिक दवा की दुकान या फिर ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण ना सिर्फ़ ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करता है, बल्कि यह दिल की बीमारी और कई अन्य स्वास्थ्य से जुडी समस्याओं को भी कम करता है।

13. अदरक

सामग्री

  • थोड़ा सा कद्दूकस किया हुआ अदरक
  • एक कप पानी

कैसे सेवन करें?

  • एक पैन में कद्दूकस किए हुए अदरक को पानी में उबालें।
  • फिर पांच से दस मिनट बाद इस पानी को छान लें।
  • इसके बाद पानी को ठंडा कर तुरंत पी लें।

कितनी बार पिएं?

आप इसे रोज़ एक या दो बार पी सकते हैं। अगर, आपको अदरक ऐसे पीना पसंद नहीं, तो आप इसे अपनी पसंदीदा सब्ज़ी में दाल सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

जब आप हर रोज़ अदरक का सेवन करेंगे तो इससे आपका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहेगा। अदरक की यह प्राकृतिक एंटीडाइबेटिक प्रकृति मधुमेह वाले लोगों के लिए बहुत मददगार साबित हो सकती है।

14. कलौंजी तेल

सामग्री

  • 5 एमएल कलौंजी तेल
  • एक कप काली चाय (black tea)

बनाने की विधि

  • एक कप ब्लैक टी में 2.5 एमएल कलौंजी तेल मिलाएं।
  • इस मिश्रण को रोज़ पिएं।

कब करें सेवन?

आप रोज़ एक या दो बार (सुबह और रात में ) इसका सेवन कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

कलौंजी या कलौंजी का तेल डायबिटीज़ को नियंत्रित करने में मुख्य भूमिका निभाता है। यह न सिर्फ़ डायबिटीज़ के लिए एक अच्छा घरेलु उपचार माना जाता है, बल्कि यह ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को भी नियंत्रित करता है।

15. करी पत्ता

सामग्री

  • 8-10 करी पत्ता

कैसे खाएं?

आप चाहे तो हर रोज़ करी पत्ता को धोकर खाएं या फिर भोजन बनाते समय उसमें थोड़े करी पत्ता का इस्तेमाल कर सकते हैं।

कब खाएं?

आप हर रोज़ अपने खाने में इसे शामिल कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

करी पत्ते के सेवन से आपके शरीर में इंसुलिन की प्रक्रिया नियंत्रित रहती है और ब्लड ग्लूकोज़ लेवल भी कम होता है। इसके साथ ही करी पत्ता वजन कम करने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी आपकी मदद करता है। साथ ही, डायबिटीज़ की रोकथाम करता है।

16. विटामिन

जिन लोगों को मधुमेह है, उन्हें विटामिन-बी की पर्याप्त मात्रा और ए, डी, ई व के जैसे वसा-घुलनशील विटामिन (fat-soluble vitamins ) की आवश्यकता होती है। चूंकि, मधुमेह रोगियों को बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है, इसलिए उनमें पानी के घुलनशील विटामिनों की कमी हो जाती है।

ऐसे में उन्हें विटामिन युक्त आहार जैसे – अंडे, गाजर, बादाम, पालक, मछली, चिकन, चीज़ को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। इसके अलावा मधुमेह के मरीज़ अपने डॉक्टर से अपने आहार चार्ट के बारे में सलाह ज़रूर लें।

नोट: अगर ऊपर दिए गए घरेलु उपचार में उपयोग की गए किसी भी चीज़ से आपको एलर्जी है, तो उसका सेवन करने से पहले आप अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर कर लें।

मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) का परीक्षण

डायबिटीज़ का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण आम स्वास्थ्य समस्याओं जैसे होते हैं। इसे मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या मिलीमोल प्रति लीटर के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

1. ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट

यह ब्लड टेस्ट बहुत ही आम है। यह टेस्ट सुबह के समय बिना कुछ खाए-पिए किया जाता है। इससे ब्‍लड शुगर का सही स्तर जानने में मदद मिलती है। यह बहुत ही सुविधाजनक, सस्ता और घर पर भी किया जा सकता है।

2. रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट

यह ब्लड टेस्ट पूरे दिन में किसी भी समय किया जा सकता है।

3. ए1सी टेस्ट

इस टेस्ट में हर रोज़ ब्लड शुगर का उतार-चढ़ाव चेक करने की जगह, पिछले तीन से चार महीने के लेवल का पता किया जाता है। इस टेस्ट में हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़ी ग्लूकोज की मात्रा के बारे में भी पता चलता है। इस टेस्ट में मरीज़ को फास्टिंग यानी भूखे रहने की ज़रूरत नहीं होती और यह दिन में किसी समय किया जा सकता है।

4. ओरल ग्‍लूकोज टॉलरेंस टेस्‍ट

इस टेस्ट के लिए कम से कम रात भर या छह से आठ घंटे कुछ खाना नहीं होता है। टेस्ट के करीब दो घंटे पहले ग्लूकोज़ का पानी पीना होता है। इसके बाद अगले दो घंटे तक ब्लड शुगर लेवल का नियमित रूप से परीक्षण किया जाता है।

शुगर की लेवल (Blood Sugar Levels)

शुगर की लेवल (Blood Sugar Levels) को मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dl) या मिलीमोल प्रति लीटर (mmol/l) के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। शरीर का नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल 70-99 mg/dl के बीच होता है। ब्लड शुगर का ये स्तर फास्टिंग में होता है, यानि कि जब व्यक्ति ने आठ घंटे या उससे अधिक समय से कुछ भी ना खाया हो। अगर दो घंटे पहले व्यक्ति ने कुछ ना खाया हो, तो यह 140 mg/dl तक हो सकता है। इससे अधिक ब्लड शुगर लेवल खतरनाक माना जाता है।

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