द्रव्यमान द्रव्य का जितना परिमाण किसी वस्तु में होता है, वह उस वस्तु का द्रव्यमान कहलाता है। जबकि भार किसी वस्तु को पृथ्वी जिस आकर्षण बल से अपने केंद्र की और खींचती है, उसे वस्तु का भार कहते हैं।
द्रव्यमान
द्रव्यमान का मतलब होता है किसी भी वस्तु के अंदर कितना द्रव्य (मैटर) मौजूद है। ये उसका आंतरिक गुण होता है जो किसी भी जगह और परिस्थिति मै समान रहता है।
इसकी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप तय SI इकाई, किलोग्राम है। ये अदिश(scaler)राशि है मतलब दिशा रहित। यानी कि किसी भी दिशा और दशा मे द्रव्यमान एक ही रहेगा। यानी आप कहीं भी चले जाएं हिमालय पर या सहारा रेगिस्तान मैं, चन्द्रमा या पड़ोस आकाशगंगा के किसी ग्रह पर, सब जगह आपका द्रव्यमान समान रहेगा।
भार
भार उस वस्तु पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल ( g ) का परिणाम है । इस बल को अंग्रेजी भाषा के व्यंजन ‘g ‘ द्वारा दर्शाया जाता है । ‘g’ मान जगह के साथ बदलता रहता है इसीलिये भार का माप भी अलग-अलग जगह अलग-अलग होता है। इसकी SI इकाई न्यूटन है।
भार सदिश (vector) राशि है मतलब दिशा सहित। बल का मान इस पर निर्भर करता है की वह किस दिशा मे लग रहा है। भार उस पर लग रहे बल का परिणाम है इसीलिए भार भी दिशा पर निर्भर करेगा।
किसी वस्तु का द्रव्यमान 60 kg है तो धरती पर उसका भार होगा (60*g) = 60* 10 = 600 N ।
उसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार होगा 60 * 10 / 6 = 100N क्योंकि वहाँ का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी से 6 गुणा कम है। इसी प्रकार भार अंतरिक्ष मे भार होगा जीरो क्योंकि वहाँ गुरुत्वाकर्षण बल नही होता है यानी कि g =0।
जबकि द्रव्यमान हर जगह समान रहेगा।
द्रव्यमान और भार में अंतर
1. किसी भी पिंड का द्रव्यमान सदैव नियत रहता है जबकि भार स्थान बदलने पर बदलता रहता है ।
उदाहरण के लिए पृथ्वी पर आपका भार 30N है तो चांद पर आपका भार 5N हो जाएगा जबकि द्रव्यमान मैं कोई परिवर्तन नहीं होगा । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चांद पर गुरुत्वाकर्षण पृथवी का केवल 1/6 गुना होता है ।
2. द्रव्यमान , जड़त्व पर निर्भर करता है जबकि भार , गुरुत्व त्वरण पर निर्भर करता है।
3. S.I प्रणाली में द्रव्यमान का मात्रक Kg है जबकि भार का मात्रक N है।
आशा करता हूं समझ में आ गया होगा ।