संज्ञा (Sangya) – परिभाषा, भेद और उदाहरण

Sangya
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संज्ञा (Sangya in Hindi)

संज्ञा वह शब्द है जो किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम के स्वरूप में प्रयुक्त होते हैं। अत: सभी नामपदों को संज्ञा कहते हैं। जैसे – श्याम, दिल्ली, आम, मिठास, गाय आदि।

पद:- सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है, किंतु जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और इसका रूप भी बदल जाता है। जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है।

निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए-

  1.  रमेश कल कोलकाता जाएगा ।
  2.  वह पुस्तक पढ़ रहा है ।
  3.  शेर दहाड़ता है ।
  4.  ईमानदारी अच्छी बात है ।
  5.  इसकी ऊंचाई देखो ।

उपर्युक्त वाक्यों में –

  1. रमेश एक व्यक्ति का नाम है
  2. कोलकाता एक शहर का नाम है
  3. पुस्तक एक वस्तु का नाम है
  4. शेर एक जानवर का नाम है
  5. ईमानदारी एक भाव का नाम है
  6. ऊंचाई से ऊंचा होना भाव प्रकट होता है ।

यह सभी पद संज्ञा है। संज्ञा पद का अर्थ ही है – नाम

संज्ञा वह शब्द है जो किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम के स्वरूप में प्रयुक्त होते हैं ।

संज्ञा किसे कहते है?

जैसा कि आप जानते हैं हिंदी व्याकरण में “किसी व्यक्ति ( प्राणी ) वस्तु, स्थान, अथवा भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते है।

परन्तु जब हम “संज्ञा” शब्द का विच्छेद करते हैं – “सम् + ज्ञा” प्राप्त होता है, जिसका अर्थ होता है – “सही-सही ज्ञान” अर्थात नामों के बारे में सही सही जानकारी करना ही संज्ञा कहलाती है।

संज्ञा अंग भेद उदाहरण

“श्याम” खाना खा रहा है। – श्याम व्यक्ति का नाम है।

“अमरुद” में मिठास है। – अमरूद फल का नाम है।

“घोडा” दौड़ रहा है। – घोड़ा एक पशु का नाम है।

संज्ञा के भेद

संज्ञा के तीन भेद है – व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक संज्ञा। परन्तु प्रयोग के आधार पर संज्ञा के पांच भेद हैं, क्योंकि जातिवाचक संज्ञा के दो भाग बढ़ जाते हैं।

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
  2. जातिवाचक संज्ञा
    1. द्रव्यवाचक संज्ञा
    2. समूहवाचक संज्ञा
  3. भाववाचक संज्ञा

व्यक्तिवाचक संज्ञा

वह शब्द जो किसी एक व्यक्ति , वस्तु , स्थान आदि का बोध करवाता है उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है।

व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण

  • व्यक्तियों के नाम जैसे – राम, श्याम, मोहन आदि।
  • देशों के नाम जैसे – भारत, चीन, भूटान, आदि।
  • महीनों के नाम (अंगरेजी और हिंदी दोनों) जैसे – जनवरी, फ़रबरी, चैत्र, वैशाख आदि।
  • पर्वतों के नाम जैसे – हिमालय, आल्पस, सतपुड़ा, आदि।
  • महासागरों के नाम जैसे – हिन्द महासागर, काला सागर, लाल सागर, आदि।
  • धार्मिक ग्रंथों के नाम जैस – रामायण, गीता, महाभारत, आदि।
  • ऐतिहासिक घटनाओं के नाम जैसे – 1857 की क्रांति, जलियावाला वाग हत्याकांड, चौरी-चौरा कांड, आदि।

व्यक्तिवाचक संज्ञा के अन्य उदाहरण

  • राम – व्यक्ति का नाम है
  • श्याम – व्यक्ति का नाम है
  • टेबल – बैठक का एक साधन है किन्तु एक नाम को सूचित कर रहा है इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
  • कुर्सी – बैठक का एक साधन है किन्तु एक नाम को सूचित कर रहा है इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
  • कार – यातायात का एक साधन है , किन्तु सम्पूर्ण यातायात नहीं है कार एक माध्यम है।इसके कारन यह एक व्यक्ति को इंगित कर रहा है।
  • दिल्ली – एक राज्य है किन्तु पूरा देश नहीं इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
  • मुंम्बई – एक राज्य है किन्तु पूरा देश नहीं इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।

जातिवाचक संज्ञा

संज्ञा के जिन शब्दों से किसी जाति का बोध हो, उसे हम जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – प्रधानमंत्री, शिक्षक, डॉक्टर, कवी, लेखक, इंजीनियर, गाय, लड़का, लड़की आदि।

जातिवाचक संज्ञा के दो भेद है – १. द्रव्यवाचक संज्ञा, २. समूह वाचक संज्ञा

१. द्रव्यवाचक संज्ञा

संज्ञा के जिन शब्दों के नाम से माप और तौल का बोध हो, उन्हें हम द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। या जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु , द्रव्य , सामग्री , पदार्थ आदि का बोध हो , उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है। जैसे – कपड़ा, लोहा, पत्थर, लकड़ी, दूध, जूस, और गैसीय पदार्थ आदि।

द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण
  • गेहूं – भोजन की सामाग्री है।
  • चवल – भोजन की सामाग्री है।
  • घी – भोजन की सामाग्री है।
  • सोना – आभूषण के लिए एक द्रव्य या पदार्थ है।
  • चांदी – आभूषण के लिए एक पदार्थ है।
  • तांबा – एक धातु है।
  • ऊन – ऊन वस्त्र बनाने की एक सामाग्री है।

२. समूह वाचक संज्ञा या समुदायवाचक संज्ञा

जिन संज्ञा शब्दों से किसी एक व्यक्ति का बोध न होकर पुरे समूह या समाज का बोध हो वह समूह वाचक या समुदायवाचक संज्ञा होता है। जैसे- दल, पुलिस, सैनिक, कक्षा, सेना आदि।

समूह वाचक संज्ञा के उदाहरण
  • सेना – सेना में कई सैनिक होते है। यहाँ समूह की बात हो रही है।
  • पुलिस – पुलिस हर स्थान , राज्य , देश में होते है। उसी बड़े रूप को इंगित किया जा रहा है।
  • पुस्तकालय – पुस्तकालय में अनेक पुस्तक होते है। यहाँ किसी एक पुस्तक की बात नहीं हो रही है।
  • दल – अनेक व्यक्तिों से मिलकर एक दल , या समूह का निर्माण होता है।
  • समिति – अनेक व्यक्तिों से मिलकर एक समिति , या समूह का निर्माण होता है।
  • आयोग – आयोग का गठन किसी खास उद्देश्य के लिए किया जाता है , इसमें अनेक सदस्य होते है।
  • परिवार – एक परिवार में अनेक सदस्य हो सकते है यहाँ तक की 2 -3 पीढ़ी भी।

निम्न वाक्यों पर विचार करें:-

  • राम पुलिस में है। (व्यक्तिवाचक संज्ञा)
  • राम पुलिस वाला है। (जातिवाचक संज्ञा)
  • राम पुलिस है। (समूहवाचक संज्ञा)

भाववाचक संज्ञा

संज्ञा के जिस रूप या शब्दों से भाव, गुण, दोष, अवस्था, दशा, इत्यादि का बोध हो, उन्हें हम भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – गुरुत्व, ममता, स्त्रीत्व, आदि।

भाववाचक संज्ञा के उदाहरण

  • बुढ़ापा – बुढ़ापा जीवन की एक अवस्था है।
  • मिठास – मिठास मिठाई का गुण है।
  • क्रोध – क्रोध एक भाव या दशा है।
  • हर्ष – हर्ष एक भाव या दशा है।
  • यौवन – यौवन स्त्री की एक दशा है।
  • बालपन – बालपन बालक का गुण है अथवा एक दशा और अवस्था है।
  • मोटापा – मोटापा एक अवस्था है जो मोटापे का इंगित करता है।

भाववाचक शब्दों या संज्ञा का निर्माण

किसी भी शब्द में प्रत्यय जोड़कर भाववाचक संज्ञा वनाते हैं। कुछ ऐसे भी शब्द होते हैं जिनमें प्रत्यय नहीं लगता, उन्हें हम स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

भाववाचक शब्दों या भाववाचक संज्ञा का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय के द्वारा किया जाता है। अतः भाववाचक शब्दों या संज्ञा का निर्माण पांच प्रकार से होता है:-

जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक शब्दों या भाववाचक संज्ञा का निर्माण

  • मनुष्य – मनुष्यता
  • शास्त्र – शास्त्रीयता
  • दनुज – दनुजता
  • दास – दासत्व
  • अध्यापक – अध्यापन
  • भाई – भाईचारा
  • पुरुष – पुरुषत्व, पौरुष
  • पंडित – पंडिताई
  • सेवक – सेवा

सर्वनाम से भाववाचक शब्दों या भाववाचक संज्ञा का निर्माण

  • निज – निजता, निजत्व
  • स्व – स्वत्व
  • मम – ममत्व, ममता
  • सर्व – सर्वस्व
  • पराया – परायापन
  • अहं – अहंकार
  • अपना – अपनत्व
  • आप – आपा

विशेषण से भाववाचक शब्दों या भाववाचक संज्ञा का निर्माण

  • लघु – लाघव, लघुता
  • एक – एकता, एकत्व
  • गंवार – गंवारपन
  • नवाब – नवाबी
  • ढीठ – ढिठाई
  • लाल – लालिमा
  • सरल – सरलता, सारल्य
  • परिश्रमी – परिश्रम
  • अधिक – आधिक्य
  • सफ़ेद – सफेदी
  • दीन – दैन्य
  • सभ्य – सभ्यता
  • सुन्दर – सुंदरता
  • वीर – वीरता
  • मीठा – मिठास
  • निर्बल – निर्बलता
  • मधुर – मधुरता
  • प्रवीण – प्रवीणता
  • सफल – सफलता
  • चतुर – चातुर्य
  • दुर्बल – दुर्बलता
  • सुन्दर – सुंदरता

क्रिया से भाववाचक शब्दों या भाववाचक संज्ञा का निर्माण

  • खोजना – खोज
  • चलना – चाल, चलन
  • घटना – घटाव
  • घेरना – घेरा
  • रंगना – रंगत
  • सीना – सिलाई
  • पूजना – पूजन

अव्यय से भाववाचक शब्दों या भाववाचक संज्ञा का निर्माण

  • निकट – निकटता, नैकट्य
  • शाबास – शाबाशी
  • शीघ्र – शीघ्रता
  • परस्पर – पारस्पर्य
  • समीप – सामीप्य
  • वाहवाह – वाहवाही
  • धिक् – धिक्कार

स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा

जिन भाववाचक संज्ञा शब्दों में किसी भी प्रत्यय का प्रयोग नहीं होता है, उन्हें हम स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – सुख, दुःख, रोग, प्रेम, प्यार, स्नेह, दुलार, संसार, भय, क्रोध आदि।

स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा शब्दों में जब प्रत्यय जोड़ देते हैं तब यह विशेषण शब्द बन जाते हैं। जैसे:-

  • सुख + ई = सुखी
  • संसार + ई = संसारी
  • प्रेम + ई = प्रेमी
  • प्यार + आ = प्यारा

क्रियार्थक संज्ञा

जब किसी वाक्य के आरम्भ में कर्त्ता के रूप कोई क्रिया आये, तब उस क्रिया को क्रियार्थक संज्ञा कहते हैं। जैसे:-

  • घूमना या टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
  • पढ़ना एक अच्छा काम है।

उपरोक्त वाक्यों में घूमना, टहलना, पढ़ना आदि क्रियाओं का प्रयोग क्रियार्थक संज्ञा के रूप में हुआ है।

अन्य नियम

ओकारान्त और एकारांत का प्रयोग हमेशा वहुवचन में होता है।

नियम १. यदि कोई क्रिया वाचक शब्द वाक्य के शुरुआत में ओकारान्त बनकर आये तब यह ओकारान्त शब्द हमेशा जातिवाचक संज्ञा होता है। जैसे:-

  • सोतों को मत जगाओ।
  • हँसातों को मत रुलाओ।
  • रोतों को हँसाओ।

नियम २. जातिवाचक संज्ञा का कोई शब्द यदि वाक्य प्रयोग में व्यक्ति विशेष के प्रयोग को दर्शाता हो, तब वह शब्द वाक्य में व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाता है। जैसे:-

मूलतः जातिवाचक संज्ञा वाक्य प्रयोग में व्यक्तिवाचक संज्ञा
नेताजी नेताजी ने जय हिंद का नारा दिया।
सरदार सरदार को लौह पुरुष भी कहा जाता है।
मोदी मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं।
गांधी या बापू गांधी या बापू अहिंसा के पुजारी थे।

नियम ३. व्यक्तिवाचक संज्ञा और भाववाचक संज्ञा हमेशा एकवचन होते हैं। इनको वहुवचन बनाने के लिए ओकारान्त और एकारांत का प्रयोग किया जाता है, और यह वहुवचन बनने के साथ जातिवाचक संज्ञा हो जाते हैं। जैसे:-

  • विभीषण – विभीषणों
  • जयचंद – जयचंदों
  • प्रार्थना – प्रार्थनाएं

नियम ४. यदि कोई विशेषण शब्द आकारान्त हो तब वह ओकारान्त बनते हुए जातिवाचक संज्ञा का रूप ले लेता है। जैसे:-

  • छोटा – छोटों
  • बड़ा – बड़ों

नियम ५. व्यक्तिवाचक संज्ञा का यदि कोई शब्द वाक्य प्रयोग में अपने समान विशेषता को दर्शाये तब वह वाक्य में जातिवाचक संज्ञा बन जाता है। जैसे:-

  • कश्मीर – प्रयागराज उत्तर प्रदेश का कश्मीर है।
  • सेक्सपियर – कालिदास भारत के सेक्सपियर हैं।
  • सीता और सावित्री – भारत में आज भी घर-घर में सीता और सावित्री पायी जातीं हैं।
  • गंगा और लक्ष्मी – पूजा तो गंगा है और नेहा तो हमारे घर की लक्ष्मी है।

संज्ञा की पहचान

संज्ञा की पहचान निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर संज्ञा को पहचाना जाता है – कुछ संज्ञा शब्द प्राणीवाचक होता है , तो कुछ शब्द अप्राणिवाचक। कुछ शब्द गणनीय होती है तो कुछ शब्द अगणनीय।

1. प्राणीवाचक संज्ञा

वह शब्द जिससे किसे सजीव वस्तु का बोध हो, जिसमे प्राण हो उसे प्राणीवाचक संज्ञा कहते है जैसे-

  • लड़का
  • गाय
  • रमेश
  • चिड़िया

आदि उपरोक्त सभी में प्राण है इस कारण यह प्राणीवाचक संज्ञा कहलाता है।

2. अप्राणिवाचक संज्ञा

जिस वस्तु में प्राण न हो वह अप्राणिवाचक संज्ञा कहलाता है जैसे-

  • मेज
  • रेलगाडी
  • मकान
  • पुस्तक
  • पर्वत

उपरोक्त शब्दों में प्राण / या सजीव नहीं है। इसलिए यह अप्राणिवाचक संज्ञा है।

3. गणनीय संज्ञा

जिस व्यक्ति, वस्तु, पदार्थ आदि की गणना की जा सकती है। अर्थात उसकी संख्या ज्ञात की जा सकती है वह शब्द गणनीय संज्ञा कहलायेगा। जैसे-

  • लड़का
  • पुस्तक
  • भवन
  • गाय
  • केले

4. अगणनीय संज्ञा

जिस व्यक्ति, वस्तु, पदार्थ आदि की गणना नहीं की जा सकती है। अर्थात उसकी संख्या ज्ञात नहीं की जा सकती है वह शब्द अगणनीय संज्ञा कहलायेगा। जैसे-

  • बाल
  • मित्रता
  • शत्रुता
  • खुशी

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