भारतीय राजवंश
भारत के इतिहास में राजवंश की संख्या के बारे में कई इतिहास-कारों में मतभेद है। भारत में लगभग 100 से ऊपर राजवंश हुए, उनमें से कुछ प्रमुख राजवंशों का विवरण नीचे दिया गया है। प्रमुख भारतीय राजवंश (Bhartiya Rajvansh) में मौर्य वंश, कुषाण वंश, गुप्त वंश, वर्धन वंश, राजपूत राज्य, मुस्लिम राजवंश, गुलाम वंश, मुगल साम्राज्य आदि।
मौर्य वंश (321 ई.पू. – 185 ई.पू.)
चन्द्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य (कौटिल्य) की सहायता से मौर्य वंश की नीव डाली। उसने ही भारत में पहली बार एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। चन्द्रगुप्त ने यूनानी सेनापति सेल्युकस को 305 ई.पू. में हराकर सन्धि के लिए मजबूर किया। चन्द्रगुप्त मौर्य का शासन 322-298 ई. पू. तक रहा था।
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चन्द्रगुप्त का पुत्र बिन्दुसार उसकी मृत्यु के बाद गद्दी पर बैठा। उसका शासन काल 298-273 ई.पू. था। इसके बाद अशोक गद्दी पर बैठा। अशोक का शासनकाल 273-232 ई.पू. था। 261 ई. पू. में कलिंग के युद्ध में नरसंहार को देखकर बौद्ध धर्म के हीनयान सम्प्रदाय को अपनाया तथा विदेशों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
कुषाण वंश (20-182 ए. डी.)
कुषाण वंश का प्रथम राजा कुजुल कडफिसस तथा द्वितीय राजा विम कडफिसस था। इस वंश का महान शासन कनिष्क था । सम्भवतः 78 ई. में शक सम्वत् को उसी ने चलाया था। उसकी राजधानी पुरुषपुर थी। वैद्य चरक, विद्वान नागार्जुन एवं अश्वघोष तथा मूर्तिकला की ‘गान्धार शैली‘ का विकास इसके काल में ही हुआ।
विम तक्षम (सी. 80–105 ई.), उर्फ सोटर मेगास या “महान उद्धारकर्ता।
गुप्त वंश (320-554 ए.डी.)
गुप्त काल को भारत का स्वर्णकाल कहते हैं। चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश की स्थापना की। इसके बाद समुद्रगुप्त गद्दी पर बैठा। समुद्रगुप्त एक कुशल योद्धा था। इसके शासन काल में गुप्त वंश अपनी चरम सीमा तक पहुँचा। वह भारतीय नेपोलियन (समुद्रगुप्त) के नाम से प्रसिद्ध है।
इसके बाद चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) गद्दी पर बैठा। यह समुद्रगुप्त का पुत्र था। प्रसिद्ध विद्वान कालिदास, वराहमिहिर, चिकित्सक धन्वन्तरि, संस्कृत विद्वान पाणिनी एवं पतंजलि, गणितज्ञ आर्यभट्ट एवं चीनी यात्री फाह्यान इसी युग की विभूतियाँ थीं। नालंदा एवं तक्षशिला इसी काल में बौद्ध शिक्षा के केन्द्र बने। अजन्ता की गुफायें एवं महरौली स्थित लौह स्तम्भ इसी काल में निर्मित हुए।
वर्धन वंश (560-647 ए. डी.)
गुप्त वंश के बाद थानेश्वर राज्य का राजा प्रभाकर वर्धन उभरकर आया। इसके बाद उसका छोटा पुत्र अपने बड़े भाई राज्यवर्धन की मृत्यु के बाद राजा हुआ जो हर्षवर्धन के नाम से पुकारा जाता है। हर्षवर्धन एक योद्धा एवं कुशल शासक था। राजकवि बाणभट्ट (हर्षचरितम) एवं चीनी यात्री ह्वेनसांग इसी युग की विभूतियों थीं।
राजपूत राज्य (650-1527)
हर्ष की मृत्यु के पश्चात् उत्तरी-पश्चिमी भारत में राजपूतों के छोटे-छोटे राज्य स्थापित हो गये। इनका राज्य लगभग 1000 वर्ष तक चला। मुख्य राजपूत राजाओं में पृथ्वीराज चौहान, जयचन्द, राणा कुम्भा, राणा संग्राम सिंह तथा
राणा प्रताप है।
मुस्लिम राजवंश
भारत में प्रथम मुस्लिम आक्रमणकारी मोहम्मद-बिन-कासिम था। इसने 712 ए. डी. में भारत पर आक्रमण किया था। महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार हमले किये। 1025-26 ई. में गुजरात के प्रसिद्ध ‘सोमनाथ मन्दिर‘ को लूटा।
‘शाहनामा‘ का रचयिता फिरदौसी महमूद गजनवी का दरबारी कवि था। मौहम्मद गौरी ने दूसरे तराइन युद्ध 1192 में पृथ्वीराज चौहान को हराकर भारत में मुस्लिम शासन की नींव डाली।
गुलाम वंश (1206-1290)
गुलाम वंश की नींव कुतुबुद्दीन ऐबक ने डाली। इसने कुतुबमीनार का निर्माण आरम्भ कराया जिसे इल्तुतमिश ने पूरा कराया। इल्तुतमिश ने चालीस योग्य तुर्क सरदारों का एक दल ‘तुर्कान-ए-चिहालगानी‘ का गठन किया। इल्तुतमिश के बाद उसकी बेटी रजिया गद्दी पर बैठी। रजिया दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाली प्रथम और अन्तिम महिला शासक थी। बलबन सम्भवतः इस वंश का सबसे योग्य और प्रभावशाली शासक था। इसने सिजदा एवं पैबोस प्रथा शुरू की।
खिलजी वंश (1290-1320 ए. डी.)
इस वंश की स्थापना जलालुद्दीन खिलजी ने की। जिसकी हत्या कर अलाउद्दीन खिलजी गद्दी पर बैठा। अर्थव्यवस्था एवं प्रशासन में यह सुधारक भारत के मानतम शासकों में गिना जाता है। इसने आवश्यक वस्तुओं की बाजार व्यवस्था आरम्भ की।
तुगलक वंश (1320-1413 ए. डी.)
इस वंश की स्थापना गयासुद्दीन तुगलक ने की। इसके बाद मोहम्मद बिन तुगलक गद्दी पर बैठा। मोहम्मद-बिन-तुगलक ने अपनी राजधानी को दिल्ली से देवगिरि (दौलताबाद) स्थानान्तरित किया तथा ताँबे के सिक्कों का प्रचलन आरम्भ किया। इसके बाद फिरोज तुगलक गद्दी पर बैठा।
सैय्यद वंश (1413-1451 ए.डी.)
फिरोज तुगलक की मृत्यु के बाद तैमूर द्वारा नियुक्त पंजाब का गवर्नर खिज़ डॉ दिल्ली सल्तनत का शासक बन बैठा। उसने सैय्यद वंश की स्थापना की।
लोदी वंश (1451-1526 ए. डी.)
इस वंश की स्थापना बहलोल लोदी ने की। इस वंश में सिकन्दर लोदी एवं उसका पुत्र इबाहीम लोदी मुख्य थे। सिकन्दर लोदी ने 1504 ई. में आगरा शहर का निर्माण कराया। 1826 ई. में पानीपत का प्रथम युद्ध में इब्राहीम लोदी की हार ने भारत में मुगल साम्राज्य के रास्ते साफ कर दिये।
मुगल साम्राज्य (1626-1857 ई.)
जहीरुद्दीन बाबर ने भारत में मुगल शासन की नींव डाली। बाबर के बाद हुमायूँ गद्दी पर बैठा। इसके बाद जलालुद्दीन अकबर गद्दी पर बैठा। अकबर इस वंश का महानतम शासक था। कुशल प्रशासन, धार्मिक सहिष्णुता की नीति, ‘दीन-ए-इलाही‘ की घोषणा, जजिया कर हटाया जाना, आगरा का लाल किला, जामा मस्जिद, फतेहपुर सीकरी का निर्माण अकबर काल के प्रमुख उल्लेखनीय बिन्दु हैं।
अकबर के बाद उसका पुत्र जहाँगीर गद्दी पर बैठा। वह अपने राज्य में अन्याय तथा अत्याचार की अनुपस्थिति के लिए प्रसिद्ध था। शालीमार एवं निशात बाग (श्रीनगर) जहाँगीर द्वारा निर्मित हैं। जहाँगीर के बाद उसका पुत्र शाहजहाँ गद्दी पर बैठा।
शाहजहाँ का काल शान्ति का काल था। इसका काल मुगल साम्राज्य का ‘स्वर्ण युग‘ कहलाता है। दिल्ली का लाल किला, जामा मस्जिद, आगरा का ताजमहल एवं लाल किले का पुनर्निर्माण उसकी शिल्पकला के प्रति लगाव के उदाहरण है।
शाहजहाँ के बाद औरंगजेब ने सत्ता सम्हाली। यह कट्टर मुसलमान था। इसके शासन काल में मंदिरों को तोड़ा गया और हिन्दुओं को मुसलमान बनाया गया, अतः इसने बहुत रक्तपात किया। हिन्दुओं पर जजिया कर फिर से लगा दिया गया।
मराठा राज्य (1674-1818)
मराठा राज्य का उदय सत्रहवीं शताब्दी के मध्य में हुआ, जबकि भारत औरंगजेब के अत्याचारों से दुःखी था। इसके संस्थापक शिवाजी थे। उनकी मृत्यु के पश्चात पेशवाओं (प्रधानमन्त्री) ने मराठों की शक्ति का नेतृत्व किया। बालाजी बाजीराव के समय मराठों की शक्ति अपनी चरम सीमा पर थी। 1761 ई. के पानीपत के तृतीय युद्ध में अहमदशाह अब्दाली ने मराठों को हराया।
भारतीय इतिहास
- प्रमुख भारतीय राजवंश
- भारत में ब्रिटिश शासन
- भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन (1857-1947)
- धार्मिक एवं सामाजिक आन्दोलन
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- भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्ति
- भारतीय इतिहास के प्रमुखं युद्ध
- राष्ट्रीय आंदोलनों की महत्वपूर्ण तिथियां
- विद्रोह के प्रमुख केंद्रों का नेतृत्व
- राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन सम्बन्धी प्रमुख वचन एवं नारे
- राष्ट्रीय आंदोलन में बनी संस्थाए
- समाचार पत्र तथा पत्रिकाएँ व उनके संस्थापक
- भारत के प्रमुख नेता तथा उनके उपनाम