सनन्त प्रकरण (Desiderative Verbs)
सनन्त प्रकरण को इच्छासूचक क्रिया के रूप में जाना जाता है। इच्छा के अर्थ में धातु के आगे “सन् ” प्रत्यय लगता है। इस प्रत्यय का अंत में “स” शेष रह जाता है। सन् प्रत्यय के अन्त मे धातु अभ्यस्त (Reduplicate ) होती हैं। द्वित्व होने की स्थिति में धातु के प्रथम अक्षर का वर्ग दूसरा हो तो वर्ग के प्रथम अक्षर में बदल जाता है और चौथा अक्षर तीसरे अक्षर में बदलता है। ऐसी स्थिति में दीर्घ स्वर रहने पर वह ह्रस्व हो जाता है और प्रथम अक्षर में “अ” रहने से “ई” हो जाता है। जैसे – पच् + सन् = पिपक्षित।
- सन् प्रत्यय के परे धातु के आगे “इ” होता है, परन्तु “अनिट्” के आगे ऐसा नहीं होता है।
- “सन्” प्रत्यय के परे “इ” रहने पर धातु में उपधा लघु स्वर का गुण होता है।
- रुद् , विद् , और मुष् धातु मे उपधा लघु स्वर का गुण नहीं होता है।
- “सन्” प्रत्यय के परे रहने से “ग्रह्” धातु के आगे “इट्” नहीं होता है जबकि “प्रच्छ्” और “गम्” धातु के आगे “इट्” होता है।
- “सन्” प्रत्यय रहने से धातु का अंतिम स्वर दीर्घ होता है और “जि” धातु के स्थान पर “गि” होता है।
सन् प्रत्यय के अन्त मे अभ्यस्त “दा” धातु के स्थान पर “दित्स्” , “धा” धातु के स्थान पर “धित्स्” , “आप् ” के स्थान पर “ईप्स् ” , “मा” के स्थान पर “मित्स” ,”लभ्” के स्थान पर “लिप्स् ” , “रभ्” के स्थान पर “रिप्स्” होता है। जैसे-
- मा – मित्सति
- लभ् – लिप्सते
- रभ् – रिप्सते
- दा – दित्सति
- धा – धित्सति
- आप – ईप्सति
कित् , तिज् , गुप् , वध् , दान , शान् , और मान् धातु के आगे विशेषार्थ् में “सन्” होता है। जैसे –
- कित् – चिकित्सति
- गुप् – जुगुप्सते
- दान् – दीदान्सते
- मान् – मीमान्सते
- तिज् – तितिक्षते
- वध् – वीभत्सते
- शान् – शीशांसते
सनन्त धातु-सूची – इच्छासूचक क्रियाओं की सूची – इच्छासूचक क्रिया के उदाहरण:
धातु | प्रत्यय | रूप | अर्थ |
पच् | सन् | पिपक्षति | पकाना चाहता है |
पठ् | “ | पिपठिषति | पढ़ाना चाहता है |
दह् | “ | दिधक्षति | जलाना चाहता है |
पा | “ | पिपासति | पीना चाहता है |
स्था | “ | तिष्ठासति | ठहरना चाहता है |
लिख् | “ | लीलेखिषति | लिखना चाहता है |
नृत् | “ | निनर्तिषति | नाचना चाहता है |
रुद् | “ | रुरुदिषिति | रोना चाहता है |
ग्रह् | “ | जिघ्रक्षति | ग्रहन करने की इच्छा रखता है |
प्रच्छ् | “ | पिप्रच्छिषति | पूछने की इच्छा रखता है |
गम् | “ | जिगमिषति | जाना चाहता है |
हन् | “ | जिघान्सति | जान से मारणे की इच्छा करता है |
जि | “ | जिगीषति | जीने की इच्छा करता है |
स्वप् | “ | सुषुप्सति | सोने की इच्छा करता है |
कृ | “ | चिकीर्षति | करने की इच्छा करता है |
दा | “ | दित्सति | देने की इच्छा करता है |
धा | “ | धित्सति | धारण करना चाहता है |
मा | “ | मित्सति | नापना चाहता है |
लभ् | “ | लिप्सते | लेने की इच्छा करता है |
नम् | “ | निनन्सति | नमस्कार करना चाहता है |
पत् | “ | पित्सति | गिरना चाहता है |
आप | “ | ईप्सति | प्राप्त करना चाहता है |
तृ | “ | तितरीषति | तैरना चाहता है |
पद् | “ | पित्सते | प्राप्त करना चाहता है |
शक् | “ | शिक्षति | सीखना चाहता है |
मुच् | “ | मोक्षते | मोक्ष प्राप्त करना चाहता है |
मृ | “ | मुमूर्षति | मरना चाहता है |
द्रश् | “ | दिद्रक्षते | देखना चाहता है |
श्रु | “ | शुश्रूषते | सुनना चाहता है |
स्मृ | “ | सूस्मूषते | स्मरण करना चाहता है |
ज्ञा | “ | जिज्ञासते | जानना चाहता है |
चि | “ | चिचीषति | चुनना चाहता है |