प्रार्थना – तू ही राम है तू रहीम है
“प्रार्थना – तू ही राम है तू रहीम है”
तू ही राम है तू रहीम है ,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईशू मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा !
तू ही राम है तू रहीम है ,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तेरी जात पाक कुरान में,
तेरा दर्श वेद पुराण में ,
गुरु ग्रन्थ जी के बखान में,
तू प्रकाश अपना दिखा रहा !
तू ही राम है तू रहीम है ,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईशू मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा,
अरदास है, कहीं कीर्तन,
कहीं राम धुन, कहीं आव्हन,
विधि भेद का है ये सब रचन,
तेरा भक्त तुझको बुला रहा !
तू ही राम है तू रहीम है ,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईशू मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा !
तू ही ध्यान में , तू ही ज्ञान में
तू ही प्राणियों के प्राण में ,
कहीं आसुओं में बहा तू ही
कहीं फूल बन के खिला हुआ !
तू ही राम है तू रहीम है ,
तू करीम, कृष्ण,खुदा हुआ ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईशू मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा ।
***
इसका भावार्थ निम्नलिखित है:
- एकत्व का संदेश:
- राम और रहीम, दो नाम हैं, लेकिन वे ईश्वर की ही भिन्न अभिव्यक्तियाँ हैं।
- यह पंक्ति इस तथ्य को प्रकट करती है कि ईश्वर एक है, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए।
- सर्व धर्म समभाव:
- यह पंक्ति हर धर्म में समानता की भावना को उजागर करती है।
- यह दर्शाती है कि सभी धर्मों का मूल उद्देश्य प्रेम, सेवा, और मानवता की भलाई है।
- भक्ति और विश्वास का प्रतीक:
- इसे कहने वाला व्यक्ति ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और विश्वास व्यक्त करता है।
- वह यह स्वीकार करता है कि सभी रूपों में वही एक सर्वोच्च शक्ति विद्यमान है।
संक्षेप में भावार्थ:
ईश्वर एक है, जो सभी नामों और रूपों में व्याप्त है। “राम” हिंदू धर्म के भगवान हैं, और “रहीम” इस्लाम में अल्लाह का एक रूप। इस पंक्ति का उद्देश्य यह बताना है कि धर्मों के भिन्न नाम और प्रतीक होते हुए भी उनकी आध्यात्मिक शक्ति और उद्देश्य एक ही हैं। यह संदेश प्रेम, एकता और समानता की शिक्षा देता है।
“praarthana – too hee raam hai too raheem hai”
तू ही राम है, तू रहीम है
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहेगुरु, तू ईसू मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ।
तेरी जात पाक क़ुरान में,
तेरा दर्शन वेद-पुराण में,
गुरु ग्रंथ जी के बखान में,
तू प्रकाश अपना दिखा रहा।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ।
तू ही वाहेगुरु, तू ईसू मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
अरदास है, कहीं कीर्तन,
कहीं राम धुन, कहीं आवहन।
विधि भेद का है ये सब रचन,
तेरा भक्त तुझको बुला रहा।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ।
तू ही वाहेगुरु, तू ईसू मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
तू ही ध्यान में, तू ही ज्ञान में,
तू ही प्राणियों के प्राण में।
कहीं आंसुओं में बहा तू ही,
कहीं फूल बन के खिला हुआ।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ।
तू ही वाहेगुरु, तू ईसू मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
**************