यङन्त प्रकरण (Frequentative Verbs): बार-बार करना के अर्थ में, संस्कृत

Frequentative Verbs in Sanskrit
Frequentative Verbs in Sanskrit

“यङन्त धातु” वे धातु होते हैं जिनमें “यङ्” प्रत्यय जोड़कर “बार-बार करना” या “अधिक करने” का भाव प्रकट किया जाता है। यह प्रयोग संस्कृत व्याकरण में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

यङन्त प्रकरण : बार-बार करना के अर्थ में

यङन्त धातुओं का प्रयोग “बार-बार करना” के अर्थ में होता है। इस अर्थ में और अधिक करने के अर्थ में एक स्वर तथा आदि में व्यंजन वर्ण वाले धातुओं में “यङ्” प्रत्यय होता है। इसमें “ङ्” का लोप हो जाता है तथा “य्” रह जाता है। इसका रूप केवल आत्मेनपद में ही होता है। इसमें धातु के प्रथम अक्षर में “” होने से “” हो जाता है। धातु के अंत में “म् , न् , ल् ” रहने से पहले अक्षर के अकार का आकार नहीं होता और उसमें “म्” जोड दिया जात है। जैसे – जन्गम् + य + ते = जन्गम्यते।

  • स: जंगम्यते। (He goes in zig-zag way. – वह टेढ़ा-मेढ़ा चलता है।)

धातु के उपधा (यानी अंतिम अक्षर के पूर्व) में “” रहने से द्वित्व कर देने पर “” का “” होता है, और उसमें “री” जोड़ दिया जाता है। जैसे – नृत् + यङ् = ननृत् + य (यहाँ ङ् का लोप हुआ है ), अब “ननृत् + य ” में प्रथम नकार के बाद “री” जोड़ने पर, नरीनृत + य + ते = नरीनृत्यते।

  • स: नरीनृत्यते। (He dance again and again. – वह बार-बार नाचता है।)

सनन्त धातु सूची

इच्छासूचक क्रियाओं की सूची, इच्छासूचक क्रिया के उदाहरण:

धातु प्रत्यय रूप अर्थ
पठ् यङ् पापठ्यते बार-बार पढ़ता है।
पच् यङ् पापच्यते बार-बार पकाता है।
भू यङ् बोभूयते बार-बार होता है।
लप् यङ् लालप्यते बार-बार बोलता है।
गम् यङ् जङ्गम्यते बार-बार टेढा चलता है।
चर् यङ् चञ्चूर्यते बार-बार टेढा चलता है।
अट् यङ् अटाट्स्वते बार-बार टेढा चलता है।
फ़ल् यङ् पम्फ़ुल्यते बार-बार फ़लता है।
दा यङ् ददीयते बार-बार देता है।
द्रश् यङ् दरीद्रष्यते बार-बार देखता है।
पृच्छ् यङ् परीपृच्छ्यते बार-बार पूछता है।
ग्रह् यङ् जरीग्रह्यते बार-बार ग्रहण करता है।
जन् यङ् जाजायते बार-बार पैदा होता है।
कृ यङ् चेक्रीयते बार-बार करता है।
जाप् यङ् जञ्जपयते बार-बार जपता है।
स्वप् यङ् सोषुप्यते बार-बार सोता है।
घ्रा यङ् जेघ्रीयते बार-बार सूँघता है।
पत् यङ् पानिपत्यते बार-बार गिरता है।
स्मृ यङ् सास्मर्यते बार-बार स्मरण करता है।
शी यङ् शाशय्यते बार-बार सोता है।
हन् यङ् जेघ्रीयते /
जङ्घन्यते
बार-बार मरता है।(हिन्सा) /
बार-बार जाता है।
चि यङ् चेकीयते बार-बार चुनता है।
सिच् यङ् सेसिच्यते बार-बार सीन्चता है।
श्रु यङ् शोश्रूयते बार-बार सुनता है।
यङ् अरार्यते बार-बार आता है।
रुद् यङ् रोरुद्यते बार-बार रोता है।
दह् यङ् दन्दह्यते बार-बार जलाता है।
नृत यङ् नरीनृत्यते बार-बार नाचता है।

यङन्त धातु संस्कृत व्याकरण में धातु से क्रियाओं की पुनरावृत्ति और गहनता को व्यक्त करने का महत्वपूर्ण माध्यम है। इसका उपयोग शब्दों को अधिक प्रभावी और अर्थपूर्ण बनाने के लिए किया जाता है।

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