बाल्यावस्था का काल 6 से 12 वर्ष तक माना जाता है। कोल एवं मोरगेन ने लिखा है - "विकास ही परिवर्तनों का आधार है, यदि बालक का शारीरिक विकास नहीं होता तो वह कभी प्रौढ़ नहीं हो सकता।"
अत: हम यहाँ पर क्रो एवं क्रो के अनुसार बाल्यावस्था में होने वाले शारीरिक विकास का निम्न प्रकार से वर्णन करेंगे-
1. भार एवं लम्बाई (Weight and length)
इस अवस्था में बालिकाओं एवं बालकों के भार में उतार-चढ़ाव रहता है। 9 या 10 वर्ष की आय तक बालक भार में अधिक रहते हैं, जबकि इसके पश्चात् बालिकाएँ शारीरिक भार में अधिक होती जाती हैं। बाल्यावस्था के अन्तर तक इनका भार 80 से 95 पौंड तक हो जाता है। इस अवस्था में लम्बाई 2 से लेकर 3 इंच तक ही बढ़ती है।
2. हड्डियाँ एवं दाँत (Bones and teeth)
इस अवस्था में हड्डियों में मजबूती एवं दृढ़ता आती है। इनकी संख्या 350 तक बढ़ जाती है। दाँतों में स्थायित्व आना आरम्भ हो जाता है। दाँतों की संख्या 32 होती है। बालकों की अपेक्षा बालिकाओं के दाँतों का स्थायीकरण शीघ्र होता है।
3. सिर एवं मस्तिष्क (Head and mind)
बाल्यावस्था में सिर एवं मस्तिष्क में परिवर्तन होता रहता है। 5 वर्ष की आयु में बालक के मस्तिष्क का भार शरीर के भार का 95% होता है। इसी प्रकार 9 वर्ष की आयु में बालक के मस्तिष्क का भार शरीर के भार का 90% होता है।
4. अन्य अंग (Other parts)
बालक की माँसपेशियों का विकास बहुत ही धीरे- धीरे होता है। हृदय की धड़कन में कमी होती है। चिकित्सकों ने एक मिनट में 85 बार धड़कन को मापा है। बालक एवं बालिकाओं की शारीरिक बनावट में अन्तर स्पष्ट होना प्रारम्भ हो जाता है। आय के 11 एवं 12वें वर्ष में यौनांगों का तीव्रता के साथ विकास होता है।