Welcome to the Hindi Tutor QA. Create an account or login for asking a question and writing an answer.
Priya Sharma in Pedagogy
Shikshan kee visheshataon ka sankshipt varnan keejiye, शिक्षण की विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिये, Briefly describe the characteristics of teaching.

1 Answer

+1 vote
Aswathi

शिक्षण की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं। इनमें अनेक का वर्णन योकम तथा सिम्पसन ने अपनी पुस्तक Modern and Techniques of Teaching में भी किया है-

1. वांछनीय सूचना देना (Providing of desirable information)

सभ्यता के विकास के साथ-साथ मानव का ज्ञान भी निरन्तर बढ़ता जा रहा है। यह सब कुछ हमने प्रयास और त्रुटि (Trial and Error), सूझ (Insight) तथा अनुकरण (Imitation) द्वारा सीखा है। हमें चाहिये कि ज्ञान के भण्डार के सम्बन्ध में बालकों को सुव्यवस्थित रूप से आवश्यक सूचनाएँ दें।

2. शिक्षण सिखाना है (Teaching is causing to learn)

शिक्षण से तात्पर्य है - पथ प्रदर्शन। अच्छा शिक्षण वही है जो बालकों को सीखने के लिये उचित मार्ग दिखाये। शिक्षक को चाहिये कि वह बालक की रुचियों, क्षमताओं, योग्यताओं तथा आवश्यकताओं का पता लगाये तथा उन्हीं के अनुसार उनका मार्गदर्शन करे।

मॉण्टेसरी (Montessori), किण्डरगार्टन (Kindergarten), प्रोजेक्ट (Project) तथा डाल्टन (Dalton) एवं बेसिक (Basic) आदि शिक्षण विधियों का निर्माण इसी सिद्धान्त के आधार पर हुआ है।

3. चुने हुए तथ्यों का ज्ञान (Knowledge of selective facts)

जब से मानव इस पृथ्वी पर आया है उसी समय से वह प्रकृति (Nature) से संघर्ष करता आ रहा है। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप हमारा ज्ञान भण्डार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इतने अधिक बढ़ते हुए ज्ञान को बालक इतने कम समय में नहीं सीख सकता। अत: शिक्षण द्वारा बालक को चुने हुए शैक्षिक एवं लाभप्रद तथ्य बताने चाहिये।

4. सहानुभूतिपूर्ण (Sympathetic)

अच्छे शिक्षण के लिये यह आवश्यक है कि शिक्षक द्वारा बालकों के साथ परस्पर मित्रता तथा सहानुभूति का व्यवहार किया जाय। वह अध्यापक जो एक जल्लाद का रूप ले लेता है या वह अध्यापक जो अपने को एक न्यायाधीश समझने लगता है जिसे प्रत्येक अपराध के लिये लिखित नियमों के अनुसार सजा देनी है, कदापि अच्छा शिक्षण प्रदान नहीं कर सकता।

बालकों की त्रुटियों पर केवल सजा देना शिक्षक का कार्य नहीं है बल्कि उनको सुधारना ही उसका कार्य है। अतः शिक्षण सहानुभूति पर आधारित होना चाहिये न कि क्रूरता पर।

5. सहयोग पर आधारित (Depends on co-operation)

शिक्षण एक मार्गीय नहीं होता, उसके लिये अध्यापक तथा विद्यार्थियों के बीच सहयोग होना अनिवार्य है। यदि विद्यार्थियों का सहयोग अध्यापक को प्राप्त नहीं होगा तो कभी भी सफल शिक्षण नहीं हो सकता। विद्यार्थियों के सहयोग के लिये अध्यापक को चाहिये कि वह उनके लिये अच्छी क्रियाओं का आयोजन करे।

निष्कर्ष

संक्षेप में शिक्षण क्रियाशील रहने के अवसर प्रदान करता है। शिक्षण सीखने का संगठन करता है। यह बालक को अपने वातावरण से अनुकूलन करने में सहायता देता है। शिक्षण तैयारी का एक साधन है जो बालक को सन्तुष्टि प्रदान करता है।

Related questions

Category

Follow Us

Stay updated via social channels

Twitter Facebook Instagram Pinterest LinkedIn
...