बाल विकास का क्षेत्र वर्तमान समय में व्यापक तथ्यों को समाहित किये हुए है। बाल विकास के अन्तर्गत किसी एक तथ्य पर विचार नहीं किया जाता वरन् बालक के सम्पूर्ण विकास पर विचार किया जाता है। बाल विकास का क्षेत्र बालक के शारीरिक,सामाजिक एवं मानसिक विकास के क्षेत्र से सम्बन्धित है।
बाल विकास के क्षेत्र को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है-
1. शारीरिक विकास (Physical development)
2. मानसिक विकास (Mental development)
3. संवेगात्मक विकास (Emotinal development)
4. सामाजिक विकास (Social development)
5. चारित्रिक विकास (Character development)
6. भाषा विकास (Language development)
7. सृजनात्मकता का विकास (Development of creativity)
8. सौन्दर्य सम्बन्धी विकास (Asthetic related development)
शैशवावस्था में शारीरिक विकास (Physical Development in Infancy)
बालक का शैशवकाल जन्म से 6 वर्ष तक का माना जाता है। इस समय वह अपने माता-पिता एवं सम्बन्धियों पर पूर्ण रूप से निर्भर होता है। उसका सम्पूर्ण व्यवहार मूल प्रवृत्यात्मक होता है। उसके शारीरिक विकास का निर्धारण वंशानुक्रमीय एवं पर्यावरणीय तत्त्वों पर निर्भर होता है।
बाल्यावस्था में शारीरिक विकास (Physical Development in Childhood)
बाल्यावस्था का काल 6 से 12 वर्ष तक माना जाता है। कोल एवं मोरगेन ने लिखा है - "विकास ही परिवर्तनों का आधार है, यदि बालक का शारीरिक विकास नहीं होता तो वह कभी प्रौढ़ नहीं हो सकता।"