शिक्षक एवं शिक्षार्थियों के मध्य कक्षागत परिस्थितियों में एक ऐसी अन्त:क्रिया को जिसके द्वारा शिक्षक, अपने गहन-ज्ञान तथा सम्प्रेषणीय कुशलता के आधार पर सम्बन्धित विषयवस्तु को अपने विद्यार्थियों को आत्मसात् कराने में सक्षम हो, शिक्षण कहते हैं।
शिक्षण के अर्थ को निम्नलिखित रूपों में स्पष्ट किया जा सकता है-
1. एकतन्त्रात्मक शासन में शिक्षण का अर्थ (Meaning of teaching in monocratic government)
एकतन्त्रात्मक शासन में शिक्षक का स्थान शिक्षण प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रधान माना जाता है और छात्र का स्थान गौण होता है। इस प्रकार के वातावरण में शिक्षक को कक्षा में आदर्श माना जाता है। छात्रों की सभी क्रियाओं को शिक्षक दिशा प्रदान करता है। वह क्या सोचे, क्या करे एवं कैसे करे? शिक्षण के समय छात्र केवल श्रोता के रूप में कार्य करता है।
इस प्रकार शासन की व्यवस्था “परम्परागत सिद्धान्त” कार्य केन्द्रित (Classical Theory or Organization task centered) पद्धति का अनुसरण करती है। इसमें छात्रों की इच्छाओं तथा अभिवृत्तियों को कोई भी स्थान नहीं दिया जाता है तथा इस प्रकार के शिक्षण में छात्रों को वार्तालाप (Discussion), तर्क (Logic) तथा शिक्षक की आलोचना (Criticise) करने का अधिकार नहीं दिया जाता है।
एच. सी. मॉरिसन (H.C. Morrison) ने एकतन्त्र शासन के अन्तर्गत शिक्षण का वर्णन करते हुए लिखा है - "शिक्षण वह प्रक्रिया है जिसमें अधिक परिपक्व व्यक्तित्व कम परिपक्व व्यक्तित्व के सम्पर्क में आता है और वह कम परिपक्व व्यक्तित्व की अग्रिम शिक्षा के लिये व्यवस्था करता है।"
2. लोकतन्त्रात्मक या जनतन्त्र शासन में शिक्षण का अर्थ (Meaning of teaching in democratic government)
प्रजातन्त्र शासन प्रणाली में जनता की इच्छा को वरीयता देते हुए उसका सम्मान किया जाता है। यह शासन प्रणाली मानवीय सम्बन्धों पर आधारित होती है। इस प्रकार की शिक्षण प्रणाली में शिक्षक और छात्र दोनों सक्रिय रहते हैं और उनके मध्य शाब्दिक और अशाब्दिक अन्त:क्रिया चलती रहती है।
इस प्रणाली में बालक को तर्क करने, वार्तालाप करने, प्रश्न करने, उत्तर पाने तथा अन्य प्रकार के वार्तालाप करने का अवसर मिलता है। प्रजातन्त्रात्मक शिक्षण में शिक्षक एवं छात्र दोनों एक-दूसरे के व्यक्तित्व को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं।
एन. एल. गेज के अनुसार - "शिक्षण प्रक्रिया में पारस्परिक प्रभावों को सम्मिलित किया जाता है, जिसमें दूसरों की व्यावहारिक क्षमताओं के विकास का लक्ष्य होता है।"
एडमण्ड एमीडोन ने लोकतन्त्रात्मक शासन में शिक्षण की परिभाषा इस प्रकार दी है- "शिक्षण को एक अन्तःक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, मुख्य रूप से जिसके अन्तर्गत कक्षा-कथनों को सम्मिलित किया जाता है, जो शिक्षक तथा छात्र के मध्य परिचालित होते हैं। कक्षा-कथन का सम्बन्ध अपेक्षित क्रियाओं से होता है।"
3. हस्तक्षेप रहित शासन में शिक्षण का अर्थ (Meaning of teaching in laisses faire government)
इस प्रकार की शासन व्यवस्था में शिक्षण करते समय शिक्षक एक मित्र के रूप में कार्य करता हे और विद्यार्थियों को शिक्षण के समय अधिक सक्रिय बनाते हुए विभिन्न समस्याओं को सुलझाने के लिये उन्हें अधिक से अधिक अवसर प्रदान करता है। इस प्रकार के शिक्षण के बीच शिक्षक-छात्र क्रियाओं में हस्तक्षेप न करते हुए उनकी सृजनात्मक क्षमताओं के विकास की ओर ध्यान केन्द्रित करता है।
यह शासन प्रणाली आधुनिक व्यवस्था कार्य तथा सम्बन्ध केन्द्रित सिद्धान्त (Modern Theory of Organization Task and Relationship Centered) पर आधारित होती है।
ब्रूबेकर (Brubacher) ने हस्तक्षेप रहित शासन में शिक्षण का विवेचन निम्नलिखित शब्दों में किया है - "शिक्षण परिस्थितियों का प्रबन्ध करना है, जिनमें अन्तर और बाधाएँ होती हैं और व्यक्ति या छात्र उन पर काबू पाना चाहेगा और इस दौरान वह कुछ सीख सकेगा।"