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चोलों के शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए

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चोलों के शासन कि व्यवस्था 

चोलों की शासन व्यवस्था बहुत विकसित और सुव्यवस्थित थी। समस्त साम्राज्य को ‘राष्ट्रम’ कहते थे। प्रांतों को ‘मण्डलम’, जनपद को ‘नाडू’ और गाँवों को ‘कुर्रम’ कहा जाता था। कुर्रम अपनी बैठकों में समस्याओं का समाधान करते थे। वे सिंचाई के लिए तालाब बनवाते थे, कर वसूलते थे। वे आर्थिक रूप से स्वावलम्बी थे। यहीं से स्थानीय स्वशासन यानी आज से मिलती-जुलती पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत हुई।

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