मेसोपोटामिया के लोगों के सामाजिक जीवन की प्रमुख विशेषताएँ
1. समाज के विभिन्न वर्ग
मेसोपोटामिया का समाज तीन प्रमुख वर्गों में बँटा हुआ था। प्रथम वर्ग में, जिसे उच्च वर्ग कहा जाता था, राजवंश के सदस्य, उच्च पदाधिकारी, पुरोहित व सामंत सम्मिलित थे। इस वर्ग के लोगों का जीवन बड़ा वैभवशाली और ऐश्वर्य से परिपूर्ण था। इनके पास धन व सम्पत्ति की कभी नहीं थी और इन्हें समाज में अत्यधिक सम्मान प्राप्त था। द्वितीय वर्ग मध्यम वर्ग कहलाता था, जिसमें छोटे जमींदार, व्यापारी आदि आते थे। इनका जीवन भी सुखमय और संतोषजनक था। तीसरा वर्ग निम्न श्रेणी के लोगों का था, जिसमें प्रमुखतः दास सम्मिलित थे। दासों का जीवन कष्टमय था, लेकिन हेम्मूराबी के काल में उनके साथ कठोरता का व्यवहार नहीं किया जाता था।
2. भोजन, वस्त्र व आभूषण
मेसोपोटामिया के लोग अपने भोजन में गेहँ तथा जौ की रोटी, दूध, दही, मक्खन, फल आदि का प्रयोग करते थे। वे खजूर से आटा, चीनी तथा पीने के लिए शराब तैयार करते थे। वे मांस-मछली का भी सेवन करते थे। मेसोपोटामिया के लोग सूती, ऊनी तथा भेड़ की खाल के बने वस्त्रों का प्रयोग करते थे। पुरुषों के वस्त्रों में लुंगी प्रमुख थी। उच्च वर्ग की स्त्रियाँ विलासिता का जीवन व्यतीत करती थीं। सोने-चाँदी के आभूषण भी प्रयोग में जाए जाते थे। आभूषणों में हार, कंगन तथा बालियाँ आदि , प्रमुख थे, जिनका स्त्रियाँ रुचिपूर्वक प्रयोग करती थीं।
3. आवास
यहाँ के लोग रहने के लिए पक्की ईंटों के मकान बनाते थे। ईंटें चिकनी मिट्टी की बनी होती थीं। मकानों का गन्दा पानी निकालने के लिए बनी नालियाँ मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगरों के समान थीं। मेसोपोटामिया के लोग मकानों को सुंदर बनाते थे। मकानों की दीवारों पर उभरे हुए चित्र भी बनाए जाते थे।
४. समाज में नारी का स्थान :
समाज में स्त्रियों को बहुत सम्मान प्राप्त था। सामान्यतः एक-पत्नी विवाह की प्रथा प्रचलित थी। पर्दा प्रथा तथा राज-परिवारों तक ही सीमित थी। दहेज का प्रचलन था, किन्तु विवाह में पिता से प्राप्त दहेज पर वधू का ही अधिकार होता था। विंधवा को पति की सम्पत्ति बेचने का अधिकार था। वेश्यावृत्ति और बहुविवाह भी प्रचलित थे।