रोम साम्राज्य की सामाजिक संरचना
इतिहासकार टैसिटस ने जिन प्रारम्भिक साम्राज्य के प्रमुख सामाजिक समूहों का उल्लेख किया है; वे हैं—सीनेटर, अश्वारोही वर्ग, जनता का सम्माननीय वर्ग, निम्नतम वर्ग। तीसरी सदी के प्रारम्भिक वर्षों में सीनेटर की सदस्य संख्या लगभग 1000 थी तथा कुल सीनेटरों में लगभग आधे सीनेटर इतालवी परिवारों के थे। साम्राज्य के परवर्तीकाल में, जो चौथी सदी के प्रारम्भिक भाग में कॉन्स्टेनटाइन प्रथम के शासनकाल में आरम्भ हुआ, टैसिटस द्वारा बताए गए प्रथम दो समूह (सीनेटर और अश्वारोही) एकीकृत होकर विस्तृत कुलीन वर्ग बन गए थे। इनके कुल परिवारों में से कम-से-कम आधे परिवार अफ्रीकी अथवा पूर्वी मूल के थे। यह ‘परवर्ती रोम’ कुलीन वर्ग अत्यधिक धनी थी। मध्यम वर्गों में नौकरशाही और सेना की सेवा से जुड़े लोग थे किन्तु इनमें अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध सौदागर और किसान भी शामिल थे जिनमें बहुत-से लोग पूर्वी प्रान्तों के निवासी थे। टैसिटस ने इस सम्माननीय मध्यम वर्ग को सीनेट गृहों के आश्रितों के रूप में उल्लेख किया है। बड़ी संख्या में निम्न वर्गों के समूह थे जिन्हें ह्युमिलिओरिस अर्थात् ‘निम्नतर वर्ग’ कहा जाता था। इनमें ग्रामीण श्रमिक बल शामिल था जिनमें बहुत से लोग स्थायी रूप से मिलों में काम करते थे।