Welcome to the Hindi Tutor QA. Create an account or login for asking a question and writing an answer.
Sarthak yadav in सामान्य हिन्दी
edited
लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ानेके बारे में बताओ |

1 Answer

0 votes
Sarthak yadav
edited
आज परिस्थितियाँ बदल गई हैं। महानगरों में बच्चे गुल्ली-डंडा, पतंग उड़ाना आदि भूल गए हैं। छोटे नगरों में, जहाँ ये खेल अभी प्रचलित हैं, अब मोहल्लेदारी उतनी नहीं रही। अब लोग अपने-अपने घरों में सिकुड़ने लगे हैं। कोई किसी दूसरे के बच्चे को अपने घर में घुसाकर राजी नहीं है। दिल भी उतने बड़े नहीं हैं। पहले संयुक्त परिवार थे। इसलिए परिवारों को अधिक बच्चों की आदत थी। उसी तरह का रहन-सहन भी था। खुले आँगन या खुली छतें थीं। आस-पड़ोस का भाव जीवित था। अब मोहल्लेदारी नहीं रही। खेलने-कूदने के शौक भी टी.वी. देखने या कंप्यूटर चलाने में बदल गए हैं। परिणामस्वरूप पड़ोस को झेलने का तात्पर्य है अपने ड्राइंगरूम में पड़ोसी बच्चे को झेलना। उसे अपने सोफे पर बैठाना तथा कभी-कभी होने वाली हानि को सहना। यह संभव नहीं रहा है। । दूसरे, अब टी.वी. संस्कृति ने नर-नारी संबंधों को उघाड़ कर इतना भड्का दिया है कि हर माता-पिता अपनी लड़कियों के बारे में सजग है। सब बच्चे अकाल-परिपक्व हो गए हैं। इस कारण माता-पिता लड़की को तो अकेला बिल्कुल नहीं छोड़ते। अतः कुल मिलाकर लड़कियों की स्वतंत्रता कम हुई है।

Related questions

Follow Us

Stay updated via social channels

Twitter Facebook Instagram Pinterest LinkedIn
...