लेखिका और उसके पिता के विचार आपस में टकराते थे। पिता लेखिका को देश-समाज के प्रति जागरूक बनाना चाहते थे किंतु उसे घर तक ही सीमित रखना चाहते थे। वे उसके मन में विद्रोह और जागरण के स्वर भरना चाहते थे किंतु उसे सक्रिय नहीं होने देना चाहते थे। लेखिका चाहती थी कि वह अपनी भावनाओं को प्रकट भी करे। वह देश की स्वतंत्रता में सक्रिय होकर भाग ले। यहीं आकर दोनों की टक्कर होती थी। विवाह के मामले में भी दोनों के विचार टकराए। पिता नहीं चाहते थे कि लेखिका अपनी मनमर्जी से राजेंद्र यादव से शादी करे। परंतु लेखिका ने उनकी परवाह नहीं की।