लेखिका अपने जीवन में इस बात को बहुत पसंद करती थी कि ;सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है। लेखिका की बहन और लेखिका इसके उदाहरण हैं। लेखिका की बहन रेणु जिस काम को सोचती थी, उसे करके ही रहती थी। कोई कितना भी समझाता रहे पर वह नहीं मानती थी। इसमें उसकी जिद कम दृढ़ निश्चय अधिक झलकता है। लेखिका अपने जीवन में इस बात को बहुत पसंद करती थी कि सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है।; लेखिका की बहन और लेखिका इसके उदाहरण हैं। लेखिका की बहन रेणु जिस काम को सोचती थी, उसे करके ही रहती थी। कोई कितना भी समझाता रहे पर वह नहीं मानती थी। इसमें उसकी जिद कम दृढ़ निश्चय अधिक झलकता है। लेखिका भी जीवन की राह पर अकेले चलते हुए डालमिया नगर में स्त्री-पुरुषों के नाटक खेलकर सामाजिक कार्य हेतु धन एकत्र किया तथा कर्नाटक में अथक प्रयास से अंग्रेज़ी-कन्नड़-हिंदी तीन भाषाएँ पढ़ाने वाला स्कूल खोलकर उसे मान्यता दिलाना उनके स्वतंत्र सोच रखने तथा लीक से हटकर चलने वाले व्यक्तित्व की ओर संकेत करता है।