in सामान्य हिन्दी
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लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन के बारे में बताओ |

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यूँ तो लेखिका की नानी का आज़ादी के आंदोलन में कोई प्रत्यक्ष योगदान न था क्योंकि वे अनपढ़, परंपरागत, परदानशीं, दूसरों की जिंदगी में दखल न देने वाली महिला थीं, पर कम उम्र में ही अपनी मृत्यु को निकट जान वे अपनी पंद्रहवर्षीय बेटी (लेखिका की माँ) के लिए चिंतित हो उठीं। उन्होंने अपने पति से कहा कि वे परदे का लिहाज़ छोड़कर उनके स्वतंत्रता सेनानी मित्र प्यारेलाल शर्मा से मिलना चाहती हैं। तथा उनसे मिलकर कहा कि उनकी बेटी का रिश्ता वे स्वयं तय करें। जिस वर से उनकी बेटी की शादी हो वह भी उन्हीं (शर्मा जी) जैसा ही आज़ादी का सिपाही हो। इस तरह उनकी स्वतंत्रता आंदोलन में परोक्ष भागीदारी रही।

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