सम्प्रेषण का विद्यालय व्यवस्था से क्या सम्बन्ध है? सम्प्रेषण की अवधारणा का विकास क्यों हुआ? इन प्रश्नों के सन्दर्भ में एक उत्तर सामने आता है कि सम्प्रेषण की उपयोगिता विद्यालय के लिये किसी न किसी रूप में अवश्य होनी चाहिये।
यदि सम्प्रेषण को विद्यालय व्यवस्था से सम्बन्धित करके चलाया जाये तो विद्यालय व्यवस्था के कुशल प्रबन्धन एवं शिक्षण अधिगम में सम्प्रेषण का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। शिक्षण व्यवस्था में शिक्षक के शिक्षण कार्य को सरल एवं प्रभावी बनाने में सम्प्रेषण का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
डॉ. ए. बरौलिया लिखती हैं, "आधुनिक युग में सम्प्रेषण साधनों के महत्त्व को प्रत्येक क्षेत्र में स्वीकार करना चाहिये क्योंकि हमारी सम्पूर्ण विद्यालयी व्यवस्था में सम्प्रेषण नींव के पत्थर का कार्य करता है चाहे वह व्यवस्था शिक्षण अधिगम, प्रबन्धन एवं प्रशासन से सम्बन्धित क्यों न हो?"