in Pedagogy
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State any two principles of communication. सम्प्रेषण के कोई दो सिद्धान्त बताइये, sampreshan ke koee do siddhaant bataie.

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संप्रेषण के सिद्धांत (principles of communication)

कोई भी व्यक्ति अपने विचारों भावना या किसी संप्रत्यय को किसी दूसरे व्यक्ति से व्यक्त करता है। अतः संप्रेषण द्विपक्षीय प्रक्रिया है। संप्रेषण के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं।

सजगता का सिद्धांत

संप्रेषण कर्ता और संप्रेषण ग्रहण करने वाला व्यक्ति संप्रेषण क्रिया के समय सजग रहते हैं। यदि इस क्रिया में कोई एक व्यक्ति सजग नहीं रहता। तो संप्रेषण क्रिया पूरी नहीं होगी।

योग्यता का सिद्धांत

योग्यता के सिद्धांत के अंतर्गत संप्रेषण करने वाले दोनों व्यक्ति योग्य होने चाहिए। यदि कक्षा में अध्यापक अपने विषय में योग्य नहीं है।तो वह कक्षा में संप्रेषण करते समय उचित भूमिका नहीं निभा सकता है ।

सहभागिता का सिद्धांत

संप्रेषण द्विपक्षीय प्रक्रिया है।अतः संप्रेषण कर्ता और ग्रहण करने वाले दोनों के मध्य सहभागिता होनी चाहिए।जिससे संप्रेषण क्रिया पूरी की जा सकती है।

उचित सामग्री का सिद्धांत

संप्रेषण में सबसे महत्वपूर्ण ध्यान देने वाली बात उचित सामग्री होनी चाहिए। उचित सामग्री ऐसी होनी चाहिए जो संप्रेषण के उद्देश्य, संप्रेषण परिस्थितियों तथा माध्यम से मेल खाती हो।और विद्यार्थियों के स्तर योग्यताओं क्षमताओं तथा संप्रेषण कौशलों को ध्यान रखकर चलती हो।

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Sampreshan Ka Siddhant

कोई भी व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं या किसी सम्प्रत्यय को किसी दूसरे व्यक्ति से व्यक्त करता है। अतः सम्प्रेषण द्विपक्षीय प्रक्रिया (Two way process) है। सम्प्रेषण के मुख्य सिद्धान्त निम्नलिखित हैं:-

1. सजगता का सिद्धान्त (Principle and activeness)

Sajagata Ka Siddhant

सम्प्रेषण कर्त्ता (Communicator) और सम्प्रेषण ग्रहण करने वाला व्यक्ति (Receiver) सम्प्रेषण क्रिया के समय सजग रहते हैं। यदि इस क्रिया में कोई एक व्यक्ति सजग नहीं रहता है तो सम्प्रेषण क्रिया पूरी नहीं होगी।

2. योग्यता का सिद्धान्त (Principle of ability)

सम्प्रेषण क्रिया में यह आवश्यक है कि सम्प्रेषणकर्ता और सम्प्रेषण ग्रहण करने वाले व्यक्ति दोनों योग्य होने चाहिये; जैसे- यदि कोई अध्यापक अपने विषय में योग्यता नहीं रखता है तो वह कक्षा में सम्प्रेषण करते समय उचित भूमिका नहीं निभा सकता है। कभी-कभी सम्प्रेषणकर्त्ता तो योग्य है परन्तु सम्प्रेषण ग्रहण करने वाला योग्य नहीं है तो भी सम्प्रेषण क्रिया पूरी नहीं होगी।

अतः सम्प्रेषणकर्त्ता (Communicator) एवं सम्प्रेषण ग्रहण करने वाला (Receiver) दोनों ही योग्य और उचित अंत:क्रिया से सम्बन्धित आवश्यक योग्यता रखने वाले होने चाहिये।

3. सहभागिता का सिद्धान्त (Principle of sharing)

सम्प्रेषण द्वि-पक्षीय प्रक्रिया है। अतः सम्प्रेषणकर्ता और ग्रहण करने वाले दोनों के मध्य सहभागिता होनी चाहिये जिससे सम्प्रेषण क्रिया पूरी की जा सकती है; जैसे-कक्षा में अध्यापक और शिक्षार्थी दोनों की सहभागिता होगी तो सम्प्रेषण प्रभावशील होगा।

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