1. प्रधानाचार्य की भूमिका (Role of principal)
शिक्षण अधिगम की सफलता के लिये अत्यधिक आवश्यक है उपयुक्त विषयों का चुनाव। इन विषयों के शिक्षण के लिये उचित और योग्य अध्यापकों के बीच कार्य का बँटवारा, छात्रों के मानसिक, शारीरिक और नैतिक विकास के लिये आवश्यक क्रियाकलापों का चयन, पाठ्य-पुस्तकों का चयन तथा शैक्षणिक सामग्री तथा उपकरणों का एकत्रीकरण, इन सभी कार्यों में प्रधानाध्यापक को अपने सहयोगी अध्यापकों से सम्प्रेषण करना चाहिये।
2. अध्यापक की भूमिका (Role of teacher)
अध्यापक को अपने शिष्यों के साथ प्रेम तथा सहानुभूतिपूर्ण सम्प्रेषण करना चाहिये तभी वह विद्यार्थियों एवं अपने साथियों का विश्वास तथा सहयोग प्राप्त कर सकता है तथा कक्षा में प्रेम, स्नेह तथा सहयोग के आधार पर प्रभावशाली सम्प्रेषण स्थापित कर सकता है। अच्छा कण्ठ स्वर अध्यापक के सम्प्रेषण में प्रभावशीलता लाता है।
3. लिपिक वर्ग की भूमिका (Role of clerk group)
विद्यालय में लिपिक वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि विद्यालय के अभिलेख सम्बन्धी कार्यों को इस वर्ग के द्वारा ही पूर्ण किया जाता है। लिपिक के अभाव में विद्यालय के प्रबन्धकीय एवं प्रशासकीय कार्य सम्पन्न नहीं हो सकते क्योंकि इनके द्वारा प्राप्त आदेशों को फाइल में रखना तथा नवीन प्रस्तावों को फाइल तैयार करना आदि कार्य सम्पन्न किये जाते हैं।