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Priya Sharma in Pedagogy
Dvidhruveey athava tridhruveey prakriya ke roop mein shikshan ko samajhaiye, द्विध्रुवीय अथवा त्रिध्रुवीय प्रक्रिया के रूप में शिक्षण को समझाइये, Explain education as a bipolar or triple dipole process.

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Aswathi

जॉन एडम्स (John Adams) के अनुसार, “Education is a bi-polar system." अर्थात् शिक्षा एक द्विध्रुवीय प्रक्रिया है। एडम्स के अनुसार शिक्षा के ये दो ध्रुव हैं- शिक्षक (The teacher) तथा शिक्ष्य अथवा शिक्षार्थी (The educand)।

माना कि शिक्षा के सजीव ध्रुव ये दो ही हैं, परन्तु साथ ही इस बात पर विचार करना भी आवश्यक है कि इन दोनों के मध्य अन्त:क्रिया का कोई आधार नहीं है तो इसे शिक्षण के साथ जोड़ना न्यायोचित नहीं, क्योंकि यह अन्त:क्रिया तो किन्हीं भी दो व्यक्तियों के मध्य किसी भी समय तथा किसी भी विषय पर सम्भव है लेकिन सभी को शिक्षण नहीं कहा जा सकता।

अत: शिक्षा के इन दोनों ध्रुवों का महत्त्व तथा अस्तित्व तभी है जब इन दोनों के बीच होने वाली अन्त:क्रिया का एक निश्चित आधार हो और यह आधार हो सकता है - विषयवस्तु, जिसे एक को समझना है और दूसरे को उसे पहले को समझाना है।

इसी का नाम है पाठ्यवस्तु या विषयवस्तु (Subject matter or the contents)। इस आधार पर कह सकते हैं कि शिक्षा यदि द्विध्रुवीय है तो शिक्षण त्रिध्रुवीय (Tri-polar) हुआ। (शिक्षा और शिक्षण में अंतर)

ब्लूम (Bloom) के अनुसार भी शिक्षण त्रिध्रुवीय (Tri-polar) है। उनके अनुसार शिक्षण के ये तीन ध्रुव हैं-

  1. शिक्षण के उद्देश्य (Objectives of teaching),

  2. सीखने के अनुभव (Learning experiences) तथा

  3. व्यवहार परिवर्तन (Change of behaviour) |

यदि शिक्षण के इन तीनों ध्रुवों पर गहराई से विचार किया जाये तो ये सीखने के अनुभवों के अन्तर्गत वे सभी बातें आती हैं जिनके माध्यम से शिक्षक अपने शिक्षण को विद्यार्थियों की दृष्टि से बोधगम्य तथा अपनी स्वयं की दृष्टि से प्रभावी बनाने का प्रयास करता है।

इसी प्रकार व्यवहार परिवर्तन का पता तभी लगता है जब शिक्षण की समाप्ति से पूर्व उसका मूल्यांकन किया जाये।

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