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अपवर्तनांक की परिभाषा दीजिए।

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आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है। जिसे पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं।
\frac { sin i }{ sin r }– नियतांक { _{ 1 }{ n }_{ 2 } }

अपवर्तनांक किसी भी माध्यम का वह गुण होता है जिसके आधार पर उस माध्यम में प्रकाश किस वेग से गति करेगा यह निर्धारित होता है।
अर्थात अपवर्तनांक के आधार पर ही हम उस माध्यम में प्रकाश के वेग को परिभाषित या ज्ञात कर सकते है।
यह दो प्रकार का हो सकता है
1. निरपेक्ष अपवर्तनांक (Absolute refractive index)
2. सापेक्ष अपवर्तनांक (refractive index)

1. निरपेक्ष अपवर्तनांक (Absolute refractive index)

जब प्रकाश की किरण वायु से किसी माध्यम में गति करती है तो हम वायु के सापेक्ष उस माध्यम का अपवर्तनांक ज्ञात करते है जिसे निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते है।

अर्थात वायु के सापेक्ष किसी माध्यम का अपवर्तनांक निरपेक्ष अपवर्तनांक कहलाता है।

वायु के प्रकाश का वेग c है तथा दिए गए माध्यम में प्रकाश का वेग v है तो निरपेक्ष अपवर्तनांक (n) को निम्न प्रकार लिखा जाता है

निरपेक्ष अपवर्तनांक (n) = प्रकाश का वायु में वेग / प्रकाश का माध्यम में वेग

n = c/v

यह एक अदिश राशि है जिसका कोई मात्रक नहीं होता तथा कोई विमा नहीं होती अर्थात यह मात्रक तथा विमाहीन राशि है।

2. सापेक्ष अपवर्तनांक (refractive index)

जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में गमन करती है तो पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक सापेक्ष अपवर्तनांक कहलाता है।

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