कंप्यूटर (Computer)
कंप्यूटर (अभिकलित्र, संगणक, अभिकलक, परिकलक) एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसके द्वारा डाटा को प्रोसेस किया जा सकता है। जिस प्रकार का डाटा कम्प्यूटर को हम देते हैं उसी के अनुसार हमें परिणाम प्राप्त होता है।
इसे अंक गणितीय, तार्किक क्रियाओं व अन्य विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सटीकता से पूर्ण करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निर्देशित किया जा सकता है। इस निर्देशन को ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग कहते हैं। संगणक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा की मदद से उपयोगकर्ता के निर्देशो को समझता है।
कंप्यूटर शब्द का प्रथम प्रयोग वर्ष 1613 में अंग्रेज लेखक रिचर्ड ब्रेथवेट (Richard Brathwait) की पुस्तक “द यंग मैन ग्लीनिंग्स” में पाया गया।
भारत सरकार के वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग ने ‘computer’ के लिए हिन्दी में निम्न शब्द सुझाए हैं- कंप्यूटर, अभिकलित्र (मशीन), अभिकलक (व्यक्ति) आदि।
कंप्यूटर प्रणाली (Computer System)
किसी डेटा को प्रोसेस करने के लिए एक साथ रखे गए उपकरणों के समूह को कंप्यूटर सिस्टम कहा जाता है। एक कंप्यूटर प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक डेटा को प्राप्त करने के लिए कई घटक होते हैं। कंप्यूटर सिस्टम के आवश्यक घटक इस प्रकार हैं:-
- इनपुट इकाई (Input Units):- जो उपयोगकर्ता को कंप्यूटर में डेटा इनपुट करने में मदद करती है जैसे की बोर्ड पर की स्ट्रोक्स कर और माउस के साथ क्लिक कर हम कंप्यूटर में डाटा इनपुट करते है।
- प्रोसेसिंग इकाई (Processing Unit):- प्रोसेसिंग डिवाइस कंप्यूटर का वह भाग है, जिसके मदद से, यूजर के द्वारा इनपुट किये गए डेटा या आर्डर को प्रोसेस किया जाता है। कंप्यूटर में लगा CPU (Central Processing Unit) एक Processing Device है। CPU कंप्यूटर का मस्तिस्क (Brain) है, यह एक छोटे चिप (chip) के समान दिखता है, और motherboard पर लगा होता है।
- आउटपुट इकाई (Output Units):- डाटा प्रोसेसिंग के बाद हमे जो परिणाम मतलब जो रिजल्ट प्राप्त होता है वो आउटपुट डिवाइस के ही द्वारा हमे प्राप्त होता है। मनुष्य के लिए सबसे अधिक कंप्यूटर डेटा आउटपुट ऑडियो या वीडियो के रूप में है।
- स्टोरेज इकाई (Storage Units):- जिनका इस्तेमाल किसी भी data तथा application को स्टोर करने तथा डाटा को exchange करने के लिए किया जाता है। यह किसी डाटा या इन्फॉर्मेशन को स्थायी (permanently) और अस्थायी (temporary) दोनों रूप से सहेजनें का काम करता हैं।
कंप्यूटर के भाग (Parts of Computer)
एक कंप्यूटर (अभिकलित्र, संगणक) निम्न चार भागों से मिलकर बनता है- इनपुट डिवाइस (निविष्ट यंत्र), प्रोसेसिंग डिवाइस (संसाधन यंत्र), आउटपुट डिवाइस (निर्गम यंत्र) और स्टोरेज डिवाइस (भंडारण यंत्र)।
कंप्यूटर का विकास (Development of Computer)
16वीं सदी में चीन के द्वारा अबेकस नामक गणना यन्त्र का विकास किया गया। जिसे पहला संगणक (कंप्यूटर) भी कहा जाता है। उसके बाद 1645 ई. में पास्कल द्वारा “पास्कल कैलकुलेटर” का निर्माण गया। जिसे ‘पास्कलाइन‘ के नाम से भी जाना जाता है।
1820 ई. में चार्ल्स बैबेज के द्वारा भाप इंजन के माध्यम से दो नए कंप्यूटर का आविष्कार किया गया, जिन्हें Difference तथा Analytical Engine के नाम से जाना जाता है। इसीलिए चार्ल्स बैबेज को “Father of the Computer” कहा जाता है।
1842 ई. में “लेडी अगास्टा” जिन्हें पहले प्रोग्रामर के नाम से जाना जाता है, प्रोग्राम बनाने में इनका सहयोग बाइनरी अंको के जन्मदाता “जॉन वॉन न्यूमैन” ने दिया।
कंप्यूटर के विकास का संक्षिप्त इतिहास
- 1623 ई. – जर्मन गणितज्ञ विल्हेम शीकार्ड ने प्रथम यांत्रिक कैलकुलेटर का विकास किया। यह कैलकुलेटर जोड़ने, घटाने, गुणा व भाग में सक्षम था।
- 1642 ई. – फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज़ पास्कल ने जोड़ने व घटाने वाली मशीन का आविष्कार किया।
- 1801 ई. – फ्रांसीसी वैज्ञानिक जोसेफ मेरी जैकार्ड ने लूम (करघे) के लिए नई नियंत्रण प्रणाली का प्रदर्शन किया। उन्होंने लूम की प्रोग्रामिंग की, जिससे पेपर कार्डों में छेदों के पैटर्न के द्वारा मशीन को मनमुताबिक वीविंग ऑपरेशन (weaving operation) का आदेश दिया जाना सम्भव हो गया।
- 1833-71 ई. – ब्रिटिश गणितज्ञ और वैज्ञानिक चार्ल्स बैबेज ने जैकार्ड पंच-कार्ड प्रणाली का प्रयोग करते हुए ‘एनालिटिकल इंजन’ का निर्माण किया। इसे वर्तमान कम्प्यूटरों का अग्रदूत माना जा सकता है। बैबेज की सोच अपने काल के काफी आगे की थी और उनके आविष्कार को अधिक महत्व नहीं दिया गया।
- 1889 ई. – अमेरिकी इंजीनियर हरमन हॉलेरिथ ने ‘इलेक्ट्रो मैकेनिकल पंच कार्ड टेबुलेटिंग सिस्टम’ को पेटेंट कराया जिससे सांख्यिकी आँकड़े की भारी मात्रा पर कार्य करना सम्भव हो सका। इस मशीन का प्रयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया।
- 1941 ई. – जर्मन इंजीनियर कोनार्डसे ने प्रथम पूर्णतया क्रियात्मक डिजिटल कम्प्यूटर Z3 का आविष्कार किया जिसे प्रोग्राम द्वारा नियंत्रित किया जा सकता था। Z3 इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर नहीं था। यह विद्युतीय स्विचों पर आधारित था जिन्हें रिले कहा जाता था।
- 1942 ई. – आइओवा स्टेट कॉलेज के भौतिकविद जॉन विंसेंट अटानासॉफ और उनके सहयोगी क्लिफोर्ड बेरी ने प्रथम पूर्णतया इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर के कार्यात्मक मॉडल का निर्माण किया जिसमें वैक्यूम ट्यूबों का प्रयोग किया गया था। इसमें रिले की अपेक्षा तेजी से काम किया जा सकता था। यह प्रारंभिक कम्प्यूटर प्रोग्रामेबल नहीं था।
- 1944 ई. – आईबीएम और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हॉवर्ड आइकेन ने प्रथम लार्ज स्केल ऑटोमेटिक डिजीटल कम्प्यूटर ‘मार्क-1‘ का निर्माण किया। यह रिले आधारित मशीन 55 फीट लम्बी व 8 फीट ऊँची थी।
- 1943 ई. – ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन कोडों को तोडऩे के लिए इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर ‘कोलोसस‘ का निर्माण किया।
- 1946 ई. – अमेरिकी सेना के लिए पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में भौतिकविद् जॉन माउचली और इंजीनियर जे. प्रेस्पर इकेर्ट ने ‘इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटेड एंड कम्प्यूटर – इनिएक’ (ENIAC) का निर्माण किया। इस कमरे के आकार वाले 30 टन कम्प्यूटर में लगभग 18,000 वैक्यूम ट्यूब लगे थे। इनिएक की प्रोग्रामिंग अलग-अलग कार्य करने के लिए की जा सकती थी।
- 1951 ई. – इकेर्ट और माउचली ने प्रथम कॉमर्शियल कम्प्यूटर ‘यूनिवेक’ (UNIVAC) का निर्माण किया।
- 1969-71 ई. – बेल लेबोरेटरी में ‘यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम‘ का विकास किया गया।
- 1971 ई. – इंटेल ने प्रथम कॉमर्शियल माइक्रोप्रोसेसर ‘4004‘ का विकास किया। माइक्रोप्रोसेसर चिप पर सम्पूर्ण कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग यूनिट होती है।
- 1975 ई. – व्यावसायिक रूप से प्रथम सफल पर्सनल कम्प्यूटर ‘MITS Altair 8800’ को बाजार में उतारा गया। यह किट फार्म में था जिसमें की-बोर्ड व वीडियो डिस्प्ले नहीं थे।
- 1976 ई. – पर्सनल कम्प्यूटरों के लिए प्रथम वर्ड प्रोग्रामिंग प्रोग्राम ‘इलेक्ट्रिक पेंसिल’ का निर्माण।
- 1977 ई. – एप्पल ने ‘एप्पल-II‘ को बाजार में उतारा, जिससे रंगीन टेक्स्ट और ग्राफिक्स का प्रदर्शन संभव हो गया।
- 1981 ई. – आई बी एम ने अपना पर्सनल कम्प्यूटर बाजार में उतारा जिसमें माइक्रोसॉप्ट के DOS (डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम) का प्रयोग किया गया था।
- 1984 ई. – एप्पल ने प्रथम मैकिंटोश बाजार में उतारा। यह प्रथम कम्प्यूटर था जिसमें GUI (ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस) और माउस की सुविधा उपलब्ध थी।
- 1990 ई. – माइक्रोसॉफ्ट ने अपने ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस का प्रथम वर्ज़न ‘विंडोज़ 0‘ बाजार में उतारा।
- 1991 ई. – हेलसिंकी यूनीवर्सिटी के विद्यार्थी लाइनस टोरवाल्ड्स ने पर्सनल कम्प्यूटर के लिए ‘Linux‘ का आविष्कार किया।
- 1996 ई. – हाथ में पकड़ने योग्य कम्प्यूटर ‘पाम पाइलट‘ को बाजार में उतारा गया।
- 2001 ई. – एप्पल ने मैकिंटोश के लिए यूनिक्स आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम ‘Mac OS X‘ को बाजार में उतारा।
- 2002 ई. – कम्प्यूटर इंडस्ट्री रिसर्च फर्म गार्टनेर डेटा क्वेस्ट के अनुसार 1975 से वर्तमान तक मैन्यूफैक्चर्ड कम्प्यूटरों की संख्या 1 अरब पहुँची।
- 2005 ई. – एप्पल ने घोषणा की कि वह 2006 से अपने मैकिंटोश कम्प्यूटरों में इंटेल माइक्रोप्रोसेसरों का प्रयोग आरंभ कर देगा।
कंप्यूटर की पीढ़िया (Generations of Computer)
प्रथम पीढ़ी (First Generation) – 1942-1955
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर में “Vaccume Tube” तथा मशीन या असेम्बली भाषा का प्रयोग होता था। पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर “ENIAC” था। ENIAC को द्वितीय विश्व युद्ध का कंप्यूटर भी कहा जाता है। ENIAC का निर्माण Presper Eckert और John Mauchly ने किया था। ENIAC का पूरा नाम Electronic Numerical Integrator and Computer है।
ENIAC का निर्माण अमेरिकी सेना के लिए किया गया था। पहला कॉमर्शियल कम्प्यूटर ‘यूनिवेक’ (UNIVAC) का निर्माण Presper Eckert और John Mauchly ने ही किया।
दूसरी पीढ़ी (Second Generation) – 1956-1965
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में “Transistor” नामक तकनीकि का प्रयोग किया गया। इसी दौरान “FORTRAN” और “COBOL” जैसी भाषाओं का विकास हुआ।
तीसरी पीढ़ी (Third Generation) – 1966-1975
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में “Integrated Circuit या सेमीकंडक्टर चिप” नामक तकनीकि का प्रयोग किया गया। जिसका निर्माण 1958 में “Robert Noyce” तथा “Jack Kilby” द्वारा किया गया था। इस चिप में सिलिकॉन नामक धातु का प्रयोग किया गया। उच्च स्तरीय भाषा (FORTRAN और COBOL) का प्रयोग प्रारम्भ हुआ।
चौथी पीढ़ी (Fourth Generation) – 1975…..
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर में “Micro Processor” नामक तकनीकि का प्रयोग किया गया। जिसमें “एडम आस्बर्न” द्वारा लैपटॉप का विकास किया गया।
पांचवीं पीढ़ी (Fifth Generation) – 1990 से लेकर अब तक
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर में “VLSI या ULSI” नामक तकनीकि का प्रयोग हुआ। इस पीढ़ी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास हुआ। इसी पीढ़ी के दौरान इंटरनेट का विस्तृत रूप से प्रयोग प्रारम्भ हुआ।
कंप्यूटर के गुण (Characteristics of a computer)
गति (Speed):- संगणक काफी तेज गति से कार्य करते हैं, जब हम संगणक के बारे में बात करते हैं, तो हम मिनी सेकेन्ड, माइक्रो सेकेन्ड में बात नहीं करते, बल्कि हम 10-12 सेकेन्ड में एक कम्पयूटर कितना कार्य कर लेता है, इस रूप में उसकी गति को आँकते हैं।
सटीकता और विश्वसनीयता (Accuracy and Reliability):- कंप्यूटर काफी सटीक और बेहद विश्वसनीय हैं। वे केवल एक मशीन हैं और अपने आप गलतियाँ नहीं करते हैं। त्रुटियां मनुष्यों के कारण होती हैं, कंप्यूटरों द्वारा नहीं।
स्मरण करने या संग्रह की क्षमता (High Storage Capacity):- एक सामान्य संगणक भी एक बार दिये गये निर्देश को काफी समय तक स्मरण रखने में सक्षम होता है, तथा जब भी आवश्यकता पडे़, उसे फिर से लिखा और भरा जा सकता है।
स्वचालन (Automation):- एक बार एक प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद, यह स्वचालित रूप से काम करने में सक्षम है। प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में इसे ऑपरेटर की आवश्यकता नहीं होती है।
लगन (Diligence):- यह गति और सटीकता के समान स्तर पर संचालित करने में सक्षम है, भले ही इसके लिए लंबे समय तक सबसे अधिक जटिल और जटिल संचालन करना पड़े। यह शारीरिक और मानसिक थकान, एकाग्रता की कमी और आलस्य से ग्रस्त नहीं है।
बहुमुखी प्रतिभा (Versatility):- वाणिज्य, वैज्ञानिक अनुप्रयोग, दिन-प्रतिदिन के जीवन में शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों में कंप्यूटर का व्यापक उपयोग इसकी बहुमुखी प्रतिभा का पर्याप्त सबूत है।
कम्प्यूटर से लाभ और हानि (Profit & Loss By Computer)
कम्प्यूटर से लाभ
- इससे समय की बचत होती है।
- इससे किसी भी संसाधन को साझा करने में आसानी होती है।
- यह सभी प्रकार के फाइल को साझा करने की बेहतरीन मशीन है।
- यह संचार का सबसे अच्छा माध्यम है।
- इसमें डॉक्यूमेंट रखने के लिए बहुत जगह होती है।
- इसे बहुत आसानी से समझकर इस पर कार्य किया जा सकता है।
कम्प्यूटर से हानि
- अगर आप लैपटॉप को अपने जांघ पर रखकर प्रयोग करते है तो नपुंसक हो सकते है।
- गलत तरीके से उपयोग करने पर समय की बर्बादी होती है।
- इससे शारीरिक गतिविधियों में कमी होती है।
- रक्त परिसंचरण सही से नहीं हो पता है।
- कमर और सर में दर्द की शिकायत।
- आँखों या दृष्टि में कमजोरी होना।
- अनिद्रा की समस्या होना।
कंप्यूटर का महत्व (Importance of Computer)
- व्यापार करने वाले लोगों क लिए समय की बचत करता है।
- बैंक में लगभग सभी कार्य इसी पर आधारित होते है।
- उद्योग जगत में मशीनों के सञ्चालन से लेकर उत्पादों के उत्पादन, खरीद-बिक्री इत्यादि सभी कार्य कार्य करता है।
- इंटरनेट के इस्तेमाल में यह यंत्र महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- यह गणना करने में काफी शुद्ध परिणाम देता है।
- चिकित्सा के क्षेत्र में जांच से लेकर सर्जरी तक इसकी वजह से सरल हुए हैं।
- शिक्षा के क्षेत्र में इसकी भूमिका अहम है।
- नए नए तकनीक के अविष्कार को इसने लोगों के लिए आसान कर दिया है।
- अंतरिक्ष अनुसन्धान में इसी से हर प्रकार के कार्य किये जाते है।
मानव और कंप्यूटर (Human Beings and Computers)
कंप्यूटर अपने आप काम नहीं कर सकते। वे वही करते हैं जो हम उनसे कराना चाहते हैं, केवल हम उन्हें सही आदेश देते हैं। इसकी मेमोरी मानव मेमोरी से बेहतर होती है। इसमें सहेजी हुई डाटा में कुछ भी नहीं भूल सकता, इसलिए इसे एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) भी कहा जाता है।
मनुष्य और कंप्यूटर के बीच तुलना
मानव | कंप्यूटर |
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इंसान गणना करने में धीमा है। | कंप्यूटर सेकंड में जटिल गणना कर सकते हैं। |
इंसान एक समय में बहुत सारी चीजें याद नहीं रख सकता है। | कंप्यूटर एक समय में अधिक मात्रा में जानकारी संग्रहीत और याद रख सकते हैं। |
इंसान गलती कर सकता है। | कंप्यूटर गलतियाँ नहीं करते। |
मनुष्य की भावनाएँ हैं। | कंप्यूटर में भावनाएं नहीं हैं। |
इंसान सोच सकता है। | कंप्यूटर सोच भी नहीं सकते। |
लंबे समय तक काम करने पर इंसान थक जाता है। | कंप्यूटर कभी थकते नहीं हैं। |
कंप्यूटर से संबंधित प्राथमिक शब्द (Elementary words related to computer)
1. डेटा (Data)
डेटा को कंप्यूटर द्वारा आवश्यक जानकारी को संचालित करने में सक्षम होने के लिए या अन्य तरह की जानकारी जिसे हम कॉन में डालते हैं, डेटा कहलाता है। इसे किसी भी स्रोत से इकट्ठा किया जाता है, लेकिन इसे व्यवस्थित नहीं किया जा सकता है। इसका उपयोग निर्णय लेने के लिए नहीं किया जा सकता है। यह अप्रमाणित वस्तुओं के विशिष्ट उद्देश्य का एक संग्रह है। आम तौर पर इसे तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है: संख्यात्मक डेटा, अल्फाबेटिक डेटा और अल्फ़ान्यूमेरिक डेटा।
2. न्यूमेरिक डेटा (Numeric Data)
न्यूमेरिक डेटा में दस अंक 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9. होते हैं। विभिन्न प्रकार के नंबर सिस्टम होते हैं जिनका उपयोग संख्यात्मक डेटा को दर्शाने के लिए किया जाता है। ये संख्या प्रणालियाँ दशमलव संख्या प्रणाली, बाइनरी संख्या प्रणाली, अष्टाध्यायी तंत्र और हेक्साडेसिमल संख्या प्रणाली हैं। उदाहरण परीक्षा के स्कोर, बैंक बैलेंस और पिन-कोड आदि हैं।
3. Alphabetic Data
Alphabetic data का उपयोग 26 alphabetic का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है। ए से जेड तक के कैपिटल लेटर्स का इकोनॉमिस्ट, ए से जेड और खाली जगह से छोटे अक्षर। एल्फाबेटिक डेटा को गैर-संख्यात्मक डेटा भी कहा जाता है। एक उदाहरण एक कर्मचारी का पता है।
4. अल्फ़ान्यूमेरिक डेटा (Alphanumeric Data)
अल्फ़ान्यूमेरिक डेटा का उपयोग अल्फाबेटिक डेटा, न्यूमेरिक डेटा, विशेष वर्णों और प्रतीकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है। एक उदाहरण कोई भी पासवर्ड है।
5. सूचना (Information)
सूचना अच्छी तरह से संगठित डेटा है जो हमें डेटा के प्रसंस्करण के बाद मिलती है और यह निर्णय लेने में मदद करती है। यह संसाधित डेटा है जो व्यवस्थित, सार्थक और उपयोगी है।
कंप्यूटर के कार्य (Functions of a computer)
- डेटा संग्रह (Data collection): डेटा संग्रह रिकॉर्ड पर रखने, निर्णय लेने और दूसरों को जानकारी देने के लिए जानकारी प्राप्त करने के लिए डेटा तैयार करने और एकत्र करने की एक प्रक्रिया है। कंप्यूटर डेटा इकट्ठा या इकट्ठा करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे उपयोगकर्ताओं को डेटा इनपुट करने की अनुमति देते हैं।
- डेटा स्टोरेज (Data storage): डेटा स्टोरेज का मतलब है कि यह कुछ समय के अंतराल पर कंप्यूटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले डिजिटल डेटा को बरकरार रखता है।
- डेटा प्रोसेसिंग (Data processing): डेटा प्रोसेसिंग डेटा को सूचना में बदलने की एक प्रक्रिया है।
- डेटा आउटपुट (Data output): यह एक संसाधित डेटा है जो हमें आउटपुट के रूप में मिलता है।
कंप्यूटर के मूल अनुप्रयोग/उपयोग
मनोरंजन या मनोरंजन – कंप्यूटर का उपयोग गेम खेलने, संगीत सुनने और फिल्में देखने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग कार्टून मेनोवीज़ बनाने, एनीमेशन फिल्मों और चित्र बनाने आदि के लिए भी किया जाता है।
शिक्षा– कंप्यूटर का इस्तेमाल स्कूलों में पढ़ाने, गणितीय गणना करने और होमवर्क पूरा करने के लिए किया जाता है।
बैंक– बैंकों में विभिन्न खाताधारकों के बारे में जानकारी रखने, नकदी का रिकॉर्ड रखने और बैंक में किसी भी खाते के संबंध में सभी प्रकार की जानकारी प्रदान करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग किसी बैंक के एटीएम (स्वचालित टेलर मशीन) द्वारा भी किया जाता है जो बिना किसी बैंक कर्मचारी को नकद प्रदान करता है।
रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट– कंप्यूटर सीट की उपलब्धता, टिकट बुक करने और सभी यात्रियों के रिकॉर्ड रखने के बारे में जानकारी प्रदान करने में मदद करता है। यह ट्रेनों और हवाई जहाजों के आगमन और प्रस्थान के साथ-साथ समय के बारे में जानकारी प्रदान करने में मदद करता है।
मेडिकल साइंस– कंप्यूटर एक अस्पताल में सभी रोगियों के रिकॉर्ड रखने और कई मेडिकल परीक्षण करने में मदद करता है। यह ऑपरेशन थियेटर में मशीनों को नियंत्रित करने में डॉक्टरों की मदद करता है।
व्यवसाय– कंप्यूटर का उपयोग दस्तावेजों, पत्रों आदि को टाइप और प्रिंट करने के लिए किया जाता है, वे कर्मचारियों के रिकॉर्ड रखने और ई-मेल आदि भेजने में मदद करते हैं।
रक्षा – रक्षा कंप्यूटर में हथियारों के निर्माण, उनके कार्यों को नियंत्रित करने, मिसाइलों को लॉन्च करने और अपराधियों का रिकॉर्ड रखने में मदद करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह उपग्रहों के माध्यम से सैनिकों और उनके कमांडरों के बीच संपर्क स्थापित करने में मदद करता है।
डिजाइनिंग – कंप्यूटर पत्रिकाओं, समाचार पत्रों, पुस्तकों और विज्ञापनों आदि को डिजाइन करने में मदद करता है। यह इमारतों, घरों आदि को बनाने में भी मदद करता है।
वैज्ञानिक अनुसंधान- कंप्यूटर का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान में किया जाता है और सभी प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपयोगी होता है।
प्रशासन – कंप्यूटर का उपयोग प्रशासनिक सेवाओं और उनकी दक्षता में सुधार के लिए किया जाता है।
प्रकाशन – कंप्यूटर का उपयोग डेस्क-टॉप प्रकाशन में किया जाता है।
संचार – संचार में कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है जैसे ई-मेल, चैटिंग आदि।