“यङन्त धातु” वे धातु होते हैं जिनमें “यङ्” प्रत्यय जोड़कर “बार-बार करना” या “अधिक करने” का भाव प्रकट किया जाता है। यह प्रयोग संस्कृत व्याकरण में विशेष रूप से महत्वपूर्ण... Read More !
संस्कृत में उपसर्ग : Sanskrit Upsarg “उपस्रज्यन्ते धतुनाम् समीपे क्रियन्ते इत्युपसर्गा” अर्थात जो धातुओ के समीप रखे जाते है उपसर्ग कहलाते हैं। परंतु उपसर्गों से केवल क्रियाओ का ही निर्माण... Read More !
“प्रतीयतेsर्थोंsमेनेति प्रत्यय:” अर्थात जिसके द्वारा अर्थ जानते है उसी को प्रत्यय कहते हैं। प्रत्यय वह शब्दांश है, जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ या रूप में परिवर्तन... Read More !
क्रियाविशेषण की परिभाषा, संस्कृत व्याकरण सरल शब्दों में क्रियाविशेषण वे शब्द होते हैं जो क्रिया की विशेषता वाताएँ क्रियाविशेषण शब्द कहलाते हैं । जैसे – वह बहुत तेज दौड़ता है।... Read More !
स्थानवाचक क्रियाविशेषण की परिभाषा स्थानवाचक क्रिया विशेषण वे होते हैं जो क्रिया के होने वाली जगह का बोध कराते है। अर्थात जहां क्रिया हो रही है उस जगह का ज्ञान... Read More !
मुनि शब्द के रूप मुनि शब्द (तपस्वी): इकारांत पुल्लिंग संज्ञा, सभी इकारांत पुल्लिंग संज्ञापदों के रूप इसी प्रकार बनाते है जैसे – कवि, हरि, ऋषि, यति, विधि, जलधि, गिरि, रवि,... Read More !
पति शब्द के रूप पति शब्द (स्वामी): इकारांत पुल्लिंग संज्ञा, सभी इकारांत पुल्लिंग संज्ञापदों के रूप इसी प्रकार बनाते है जैसे – कवि, हरि, ऋषि, यति, विधि, जलधि, गिरि, रवि,... Read More !
सखि शब्द के रूप सखि शब्द (सखा / मित्र ): इकारांत पुल्लिंग संज्ञा, सभी इकारांत पुल्लिंग संज्ञापदों के रूप इसी प्रकार बनाते है जैसे – कवि, हरि, ऋषि, यति, विधि,... Read More !
सुधी शब्द के रूप सुधी शब्द (पंडित): ईकारांत पुल्लिंग संज्ञा, सभी ईकारांत पुल्लिंग संज्ञापदों के रूप इसी प्रकार बनाते है जैसे – नी, हतधी, मंदधी, शुद्धधी आदि। सुधी के रूप... Read More !
स्वयंभू शब्द के रूप स्वयंभू शब्द (ब्रह्म): ऊकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा, सभी ऊकारांत स्त्रीलिंग संज्ञापदों के रूप इसी प्रकार बनाते है जैसे – अधिभू, जितभू, मनोभू आदि। स्वयंभू के रूप –... Read More !