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Pratham Singh in Biology
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पर-परागण से आप क्या समझते हैं

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Deva yadav
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पर-परागण

इस क्रिया में एक पुष्प के परागकण उसी जाति के दूसरे पौधों के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं। यहाँ पर दोनों पुष्प दो अलग-अलग पौधों पर स्थित होते हैं चाहे वे एकलिंगी हों या द्विलिंगी। पर-परागण क्रिया का मुख्य लक्षण यह है कि इसमें बीज उत्पन्न करने के लिये एक ही जाति के दो पौधे भाग लेते हैं। द्विक्षयक पौधों (dioecious plants) के पुष्पों में केवल पर-परागण ही सम्भव होता है। द्विलिंगी पुष्पों में यह सामान्यतया पाया जाता है।

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