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परागण से आप क्या समझते  हैं तथा ये कितने प्रकार के होते हैं

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परागण

पुंकेसर (stamen) पुष्प का नर भाग होता है जबकि स्त्रीकेसर (pistil) मादा भाग होता है। पुंकेसरों में परागकणों (pollen grains) का निर्माण होता है जो नर युग्मक अथवा शुक्राणु (sperms) उत्पन्न करते हैं। स्त्रीकेसरों में अण्डाशय (ovaries) का निर्माण होता है जिसमें मादा युग्मक अथवा अण्डाणु (egg) बनता है। प्रजनन क्रिया के सम्पन्न होने हेतु नर तथा मादा युग्मकों का संयुग्मन (fusion) आवश्यक है। चूंकि अधिकांश पौधों में परागकणों (pollen grains) के संचालन (locomotion) का अभाव होता है, इस कारण परागकणों के जायांग (gynoecium) तक पहुँचने के लिए इन्हें विभिन्न ढंग अपनाने पड़ते हैं। परागकोश में बने परागकणों का मादा पुष्प के वर्तिकाग्र (stigma) तक पहुँचने की घटना को परागण (pollination) कहते हैं। परागण के पश्चात् पुंकेसर और दल गिर जाते हैं, बाह्यदल या तो गिर जाते हैं या फल में चिरलग्न रहते हैं।

परागण के प्रकार

  1. स्व-परागण (self-pollination) तथा
  2. पर-परागण (cross-pollination)।

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