गुरुबीजाणुजनन के फलस्वरूप बने गुरुबीजाणु चतुष्क में से तीन नष्ट हो जाते हैं। तथा केवल एक गुरुबीजाणु ही सक्रिय होता है जो मादा युग्मकोभिद् का विकास करता है। गुरुबीजाणु का केन्द्रक तीन, सूत्री विभाजनों द्वारा आठ केन्द्रक बनाता है। प्रत्येक ध्रुव पर चार-चार केन्द्रक व्यवस्थित हो जाते हैं। भ्रूणकोष के बीजाण्डद्वारी ध्रुव पर स्थित चारों केन्द्रक में से तीन केन्द्रक कोशिकाएँ अण्ड उपकरण बनाते हैं, जबकि निभागी सिरे के चार केन्द्रकों में से तीन केन्द्रक एन्टीपोडल कोशिकाएँ बनाते हैं। दोनों ध्रुवों से आये एक-एक केन्द्रक, केन्द्रीय कोशिका में संयोजन द्वारा ध्रुवीयकेन्द्रक बनाते हैं। चूंकि मादा युग्मकोद्भिद् सिर्फ एक ही गुरुबीजाणु से विकसित होता है, अत: इसे एक बीजाणुज विकास कहते हैं।