सम्प्रेषण की बाधाएँ या समस्याएँ
संचार प्रक्रिया को अप्रभावी या विरूपित करने वाली बाधाओं को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है:-
1. पर्यावरणीय बाधा
विद्यालय के बाहर व्यावसायिक सिनेमा या रेडिया एवं टी.वी. के कार्यक्रम विद्यालय के अन्दर हो रही कक्षा-कक्ष की संचार प्रक्रिया से अधिक मनोरंजक एवं विविध होते हैं। अत: प्रायः विद्यालय के बाहर इन कार्यक्रमों को देखने हेतु विद्यार्थी अपनी कक्षाओं से अनुपस्थित होकर बाहर चले जाते हैं। इसी प्रकार विद्यार्थी अपनी पाठ्य-पुस्तकाएं को पढ़ने की अपेक्षा उपन्यास अथवा कहानी पढ़ने में अधिक रुचि लेते हैं।
2. अत्यधिक मौखिक वार्ता
कक्षा में शिक्षक जब शिक्षण के नाम अत्यधिक वार्ता विषय से हटकर करते हैं तब भी विद्यार्थी की रुचि कम हो जाती है। जो विद्यार्थी भाषा में प्रवीण विषय से हटकर करते हैं तब भी विद्यार्थी की रुचि कम हो जाती है। जो विद्यार्थी भाषा में प्रवीण नहीं होते वे शिक्षक की अतिमौखिकता से कुछ नहीं सीख पाते हैं। अत: शिक्षक को अधिक मौखिक वार्ता की अपेक्षा चित्र, पोस्टर आदि के माध्यम से अपनी बात को समझाना चाहिये।
3. सन्दर्भित भ्रामकता
शिक्षक का शिक्षण प्रक्रिया में अपने विचार, सम्प्रत्यय या प्रक्रिया की व्याख्या करने हेतु प्रयुक्त शब्द कभी-कभी भ्रामकता पैदा करते हैं। शिक्षक द्वारा प्रयुक्त उपयुक्त शब्द विद्यार्थियों को वांछित विचार समझाने में सहायक होते हैं जबकि कभी-कभी भ्रामकता उत्पन्न कर व्यवधान उत्पन्न करते हैं।
उदाहरणार्थ- गणित का अध्ययन कराते समय शिक्षक यदि इतिहास की गाथाओं का वर्णन करने लगे तो सन्दर्भित प्रसंग में भ्रामकता उत्पन्न होने लगती है।
4. दिवास्वप्न
शिक्षण की संचार प्रक्रिया में अन्य बातों की अपेक्षा दिवास्वप्न भी भ्रामकता उत्पन्न करने वाले होते हैं। यदि कक्षागत संचार प्रक्रिया अरुचिपूर्ण एवं नीरस हो तो विद्यार्थी अपने भूतकालीन या भावी मनोरंजक अनुभव के काल्पनिक विचारों में लीन हो जाते हैं।
5. सीमित बोध
यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि जब विद्यार्थी के सम्मुख शिक्षक द्वारा अनेक तथ्य प्रस्तुत किये जाते हैं, तो वह उनमें से एक या दो तथ्यों को ही ग्रहण कर पाता है।
यदि शिक्षक इसमें देखने एवं सुनने की तकनीकियों का प्रयोग कर शिक्षा द्वारा दिये गये ज्ञान को गृहीत करे तो यह समस्या दूर हो सकती है।
उदाहरणार्थ- जब शिक्षक को अपने विषय का सीमित बोध होता है तब वह विद्यार्थियों को अपने ज्ञान से प्रभावित करने में सक्षम होता है।
6. शारीरिक असुविधा
शिक्षण अधिगम की संचार प्रक्रिया में यदि शारीरिक असुविधा हो रही हो तो भी सम्प्रेषण क्रिया प्रभावित होती है। उदाहरणार्थ-असुविधापूर्ण बैठने की व्यवस्था, प्रकाश की व्यवस्था, शुद्ध वायु का न होना आदि असुविधाओं के कारण भी विद्यार्थी की शिक्षा प्रक्रिया में रुचि एवं ध्यान नहीं रह पाता।
उदाहरणार्थ- कक्षा यदि सीलनयुक्त तथा प्रकाश की कमी वाली है तो विद्यार्थियों का ध्यान पढ़ने की अपेक्षा बाहर ही अधिक रहेगा।