ब्लूम (Benjamin, S. Bloom) तथा साथियों के एक लम्बे अध्ययन के पश्चात् शैक्षिक उद्देश्यों का जो वर्गीकरण किया गया है, वह सर्वथा नया हो, ऐसा बिल्कुल नहीं है। उद्देश्यों के अपने इस वर्गीकरण का भी अपना इतिहास है। सन् 1948 में बोस्टन (अमेरिका) के मनोविज्ञान संघ द्वारा इस सम्बन्ध में कार्य करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गयी। तत्पश्चात् ब्लूम तथा साथियों ने इस क्षेत्र में शोधकार्य किया तथा ४ वर्ष के पश्चात् 1956 में इसे प्रकाशित किया गया। तब से यह यथावत् चला आ रहा है।
ब्लूम तथा साथियों की शैक्षिक उद्देश्यों के निर्धारण के सम्बन्ध में मान्यता है कि यह वर्गीकरण यथासम्भव है-
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शैक्षिक, तार्किक तथा मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित है।
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यह वर्गीकरण सुसंगत है ताकि प्रत्येक व्यवहार को संगति तथा क्रमबद्धता के आधार पर अभिव्यक्त किया जा सके।
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पूर्व निर्णयों तथा मूल्यों पर आधारित नहीं है जिससे ताकि व्यवहार का विश्लेषण तथा विवेचना सरलता से की जा सके।
इस आधार पर ब्लूम तथा साथियों ने हर जगह व्यवहार शब्द का प्रयोग किया है।
अत: ज्ञान से व्यवहार तक पहुँचने की दृष्टि से शैक्षिक उद्देश्यों को निम्नलिखित तीन क्षेत्रों अथवा अनुक्षेत्रों में विभक्त किया जा सकता है:-
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संज्ञानात्मक क्षेत्र/अनुक्षेत्र/स्तर (Cognitive Domain)
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भावात्मक क्षेत्र/अनुक्षेत्र/स्तर (Affective Domain)
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मन: चालित/क्रियात्मक क्षेत्र/अनुक्षेत्र/स्तर (Psychomotor Domain)
यहाँ यह स्पष्ट करना समीचीन रहेगा कि ब्लूम तथा साथियों द्वारा लिखित तथा संपादित पुस्तक – “Taxonomy of objectives" Part-I, (Cognitive Domain) तथा Part-II (Affective Domain) में प्रथम दो अनुक्षेत्रों का उल्लेख तो मिलता है तीसरे क्षेत्र का नहीं।