मुगलकालीन सामाजिक-सांस्कृतिक समन्वय
मुगलकालीन सामाजिक सांस्कृतिक समन्वय में भक्ति और सूफी संतों का बड़ा प्रभाव पड़ा। बाबर ने सहिष्णुता और सद्भावना के बीज बोए। हुमायूँ का हिन्दुओं के साथ अच्छा सम्बन्ध रहा। हिन्दू-मुसलिम एकता अकबर काल में सशक्त हुई। अकबर ने प्रशासन में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व लिया। उसने प्रजा को धार्मिक स्वतन्त्रता देकर सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण किया। जहाँगीर ने अकबर की नीति अपनाई। वह प्रजा का हितैषी था।
औरंगजेब की धार्मिक नीति राजनैतिक परिस्थितियों का फल था। उसके राज्य में हिन्दू मनसबदारों की संख्या अकबर के समय से ज्यादा थी।
सूफी संतों और भक्तिमार्गियों ने भी हिन्दू-मुसलिम सन्निकटता में वृद्धि की। इन संतों में गुरुनानक, मलूकदास, दादू दयाल और रज्जबदास मुख्य थे, जिन्होंने हिन्दू-मुसलिम एकता पर बल दिया।