पहली सदी ई०पू० के अन्त तक मेसोपोटामिया में पत्थर की बेलनाकार मुद्राएँ होती थीं। इन मुद्राओं के आर-पार छेद होते थे। एक तीली फिट करके इन्हें गीली मिट्टी के ऊपर घुमाया जाता था। इन्हें अत्यधिक कुशल कारीगरों द्वारा उकेरा जाता था। इन मुद्राओं पर तीन प्रकार के लेख लिखे होते थे
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