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Pratham Singh in Fitter Theory
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पंच के प्रकार बताइए

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Deva yadav
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पंच के प्रकार 

1.डॉट पंच(Dot Punch)

यह कास्ट स्टील का बना होता है। इसी बॉडी षट्भुजाकार होती है तथा प्वॉइण्ट का कोण (Angle) 60° रखा जाता है। एंगिल कम होने से बिन्दु गहरे तथा कम व्यास (Diameter)के बनते हैं। इसका उपयोग स्थायी मार्किंग करने के लिए विटनैस मार्क (Witness Mark) लगाने के लिए किया जाता है या कभी-कभी वृत्त का केंद्र लगाने के लिए किया जाता है।

2.सेन्टर पंच(Centre Punch)

यह Punch डॉट punch से साइज में बड़ा होता है इसके प्वॉइण्ट का कोण (Angle) 90° रखा जाता है,जिससे
ड्रिल प्वॉइण्ट आसानी से punch द्वारा लगाए गए सेन्टर में बैठ सके। इस punch की लंबाई 100 मिमी तथा व्यास 10 मिमी होता है।
इस punch का उपयोग सुराखों (Holes)के केन्द्रो को लोकेट (Locate)करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग केंद्र बिंदु (Centre Point)को गहरा करने के लिए भी किया जाता है।

3.प्रिक पंच(Prick Punch)

यह पंच हाई कार्बन स्टील का बना होता है, इसके प्वॉइण्ट का कोण (Angle) 30° रखा जाता है। यह punch कम लंबाई का होता है।
इसका कोण कम होने से डिवाइडर (Devinder) की नोंक को बहुत यथार्थ (accurate)स्थिति प्राप्त होती है।इसलिए इसका उपयोग सतह पर वक्र (Curve) खींचने के लिए किया जाता है, इस पंच का प्रयोग हल्की धातु; जैसे- पीतल, ताँबा तथा एल्युमीनियम आदि पर मार्किंग करने के लिए किया जाता है।h

4.पिन पंच(Pin Punch)

इस पंच की नोक (Point)नहीं होती है,नोक के स्थान पर बेलनाकार पिन होती है।जिसकी लंबाई जॉब की आवश्यकता को पूरा करती है,इस punch का प्रयोग मार्किंग के लिए नहीं किया जाता ,बल्कि जॉब में फँसी हुई डॉवेल पिन या टेपर पिन (Taper Pin) को निकालने के लिए किया जाता है।
यह punch बाजार में 100मिमी से 200मिमी की लंबाई व 3 मिमी से 12 मिमी के व्यास में उपलब्ध होते हैं।

5.ड्रिफ्ट पंच(Drift Punch)

इस पंच की नोक (Point) विभिन्न आकारों (Sizes) की होती है; जैसे- वर्गाकार, आयताकार,गोल या फिर किसी अन्य आकार की। साथ ही यह नीचे से नुकीली ना होकर चपटी (Flat)होती है।इसका प्रयोग किसी पतली चादर में छेद (Hole)करने या फिर पहले से उसी आकार के बने छेदों की फिनिशिंग करने के लिए किया जाता है।

6.बैल पंच(Bell Punch)

इसका बाहरी आपने घंटी के आकार का होता है। इसके ठीक सेंटर में एक पंच लगा होता है। यह punch स्प्रिंग के द्वारा ऊपर उठा रहता है।
जब किसी बेलनाकार (Cylindrical) वस्तु का केंद्र ज्ञात करना होता है तो बैल punch को ठीक उसके ऊपर लम्बवत् टिकाते है।तथा स्प्रिंग पंच (Spring Punch) को नीचे मारने से केंद्र (Centre) ज्ञात होता है। बेलनाकार वस्तुओं के केंद्र को गहरा करने के लिए बैल punch का प्रयोग किया जाता है।

7.ऑटोमैेटिक पंच(Automatic Punch)

इस punch में पंचिंग करने के लिए हथौड़े (Hammer) से चोट लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, इसलिए इसे ऑटोमैेटिक पंच कहते हैं। इस punch में एक खोखली बेलनाकार बॉडी (Body) होती है। जोकि बाहर से नर्ल (Knurl) की गयी होती है। इसके ऊपर एक कमानी स्प्रिंगयुक्त कैप (Cap) होती है। इसे भी नर्ल किया गया होता है इस कैप को नीचे दबाने पर कमानी स्प्रिंग एक हैमरिंग मैकेनिज्म को मुक्त (Release) करती है जो punch के निचले प्वॉइण्ट पर केंद्र बनाने के लिए आघात करता है कैप को घुमाकर ऊपर करने से निशान गहरा आता है तथा घुमाकर नीचे करने से निशान कम गहरा आता है।

8.सॉलिड पंच(Solid Punch)

इस पंच का प्रयोग किसी शीट (Sheet)या गर्म लोहे (Hot Metal) के पीस में आर-पार छेद करने के लिए किया जाता है।इसके द्वारा एक ही साइज के छेद करना असम्भव होता है। इसका प्रयोग शीट मैटल या ब्लैकस्मिथी (Sheet Metal Shop Or Blacksmith) में किया जाता है। छेद करते समय शीट के नीचे punch के अनुरुप डाई रखनी आवश्यक होती है।

9.हॉलो पंच(Hollow Punch)

यह पंच अंदर से खोखला होता है तथा मुलायम पदार्थों (Soft Metals) में बड़े छेद करने के काम आता है इसके प्वॉइण्ट वाले भाग की परिधि को चारों ओर से ग्राइण्ड (Grind) करके धारदार बना दिया जाता है। इसका प्रयोग चमड़े की शीट, रबड़ की शीट, लैेदराइट या गत्ता आदि में सुराख (Holes) करने के लिए किया जाता है। इसमें कटे हुए Slot से स्क्रैप मेटल निकलता है।

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