प्रकाश-संश्लेषण को प्रभावित करने वाले बाह्य कारकों का वर्णन निम्नवत् है
1. प्रकाश
जब हम प्रकाश को प्रकाश – संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक के रूप में लेते हैं तो हमें प्रकाश की गुणवत्ता, प्रकाश की तीव्रता तथा दीप्तिकाल के बीच अन्तर करने की आवश्यकता होती है। यहाँ कम प्रकाश तीव्रता पर आपतित प्रकाश तथा CO2 के यौगिकीकरण की दर के बीच एक रेखीय सम्बन्ध है। उच्च प्रकाश तीव्रता होने पर, इस दर में कोई वृद्धि नहीं होती है, अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। इसमें ध्यान देने वाली रोचक बात यह है कि प्रकाश संतृप्ति पूर्ण प्रकाश के 10 प्रतिशत पर होती है। छाया अथवा सघन जंगलों में उगने वाले पौधों को छोड़कर प्रकाश शायद ही प्रकृति में सीमाकारी कारक हो। एक सीमा के बाद आपतित प्रकाश क्लोरोफिल के विघटन का कारण होता है, जिससे प्रकाश-संश्लेषण की दर कम हो जाती है।
2. कार्बन डाइऑक्साइड की सान्द्रता
प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डाइऑक्साइड एक प्रमुख सीमाकारी कारक है। वायुमण्डल में CO2 की सान्द्रती बहुत ही कम है (0.03 और 0.04 प्रतिशत के बीच)। CO2 की सान्द्रता में 0.05 प्रतिशत तक वृद्धि के कारण CO2 की यौगिकीकरण दर में वृद्धि हो सकती है, लेकिन इससे अधिक की मात्रा लम्बे समय तक के लिए क्षतिकारक बन सकती है। C3 एवं C4 पौधे CO2की भिन्न-भिन्न सान्द्रताओं में भिन्न अनुक्रिया करते हैं। निम्न प्रकाश स्थितियों में दोनों में से कोई भी समूह उच्च CO2 सान्द्रता के प्रति अनुक्रिया नहीं करते हैं। उच्च प्रकाश तीव्रता में C3 तथा C4 दोनों ही तरह के पादपों में प्रकाश-संश्लेषण की बढ़ी दर अधिक हो जाती है। यहाँ पर यह ध्यान देना महत्त्वपूर्ण है कि C4 पौधे लगभग 360 μ1L-1 पर संतृप्त हो जाते हैं जबकि C3 बढ़ी हुई CO2 सान्द्रता पर अनुक्रिया करते हैं तथा संतृप्तता केवल 450 μ1L-1 के बाद ही दिखाते हैं। अत: उपलब्ध CO2 का स्तर C3पादपों के लिए सीमाकारी है।
सच तो यह है कि C3 पौधे उच्चतरे CO2 सान्द्रता में अनुक्रिया करते हैं और इससे प्रकाश-संश्लेषण की दर में वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप उत्पादन अधिक होता है और इस सिद्धान्त का उपयोग ग्रीन हाउस फसलों; जैसे-टमाटर एवं बेल मिर्च में किया गया है। इन्हें कार्बन-डाइऑक्साइड से भरपूर वातावरण में बढ़ने का अवसर दिया जाता है ताकि उच्च पैदावार प्राप्त हो।
3. ताप
प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशीय अभिक्रिया एन्जाइमों पर निर्भर करती है इसलिए यह ताप द्वारा नियन्त्रित होती है। यद्यपि प्रकाश अभिक्रिया भी ताप संवेदी होती है, लेकिन उस पर ताप का काफी कम प्रभाव होता है। C4 पौधे उच्च ताप पर अनुक्रिया करते हैं तथा उनमें प्रकाश-संश्लेषण की दर भी ऊँची होती है, जबकि C3 पौधों के लिए इष्टतम ताप कम होता है। विभिन्न पौधों के प्रकाश-संश्लेषण के लिए इष्टतम ताप उनके अनुकूलित आवास पर निर्भर करता है। उष्णकटिबन्धी पौधों के लिए इष्टतम ताप उच्च होता है। समशीतोष्ण जलवायु में उगने वाले पौधों के लिए अपेक्षाकृत कम ताप की आवश्यकता होती है।
4. जल
यद्यपि प्रकाश अभिक्रिया में जल एक महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया अभिकारक है, तथापि, कारक के रूप में जल का प्रभाव पूरे पादप पर पड़ता है, न कि सीधे प्रकाश-संश्लेषण पर। जल तनाव रन्ध्र को बन्द कर देता है; अतः CO2 की उपलब्धता घट जाती है। इसके साथ ही, जल अभाव से पत्तियाँ मुरझा जाती हैं, जिससे पत्तियों का क्षेत्रफल कम हो जाता है और इसके साथ-ही-साथ उपापचयी क्रियाएँ भी कम हो जाती हैं।