Welcome to the Hindi Tutor QA. Create an account or login for asking a question and writing an answer.
Pratham Singh in Chemistry
ठोसों पर गैसों के अधिशोषण को प्रभावित करने वाले कारकों का विस्तृत वर्णन कीजिए

1 Answer

0 votes
Deva yadav

ठोसों पर गैसों के अधिशोषण को प्रभावित करने वाले कारक

ठोस पदार्थों की सतहों पर गैसों का अधिशोषण अत्यन्त सामान्य है। एक ठोस की सतह पर असन्तुलित (unbalanced) आणविक बल उपस्थित रहते हैं। इन असन्तुलित बलों को सन्तुष्ट करने के लिए ही ठोस पदार्थ अन्य पदार्थों को अपनी सतह पर एकत्रित करते हैं।
ठोस पदार्थों की सतहों पर गैसों का अधिशोषण अग्रलिखित कारकों पर निर्भर करता है –

1. अधिशोषक की प्रकृति, पृष्ठ क्षेत्रफल तथा प्रविभाजित अवस्था – ठोस अधिशोषक की सतह पर एक अवशिष्ट बल क्षेत्र (residual force field) का होना आवश्यक है। यह क्षेत्र जितना अधिक होगा, उसमें अधिशोषण की प्रवृत्ति उतनी ही अधिक होगी। चूंकि अधिशोषण एक पृष्ठ घटना है, अत: इसके सम्पन्न होने की सीमा अधिशोषक के पृष्ठ क्षेत्रफल पर भी निर्भर करती है। अधिशोषक का पृष्ठ क्षेत्रफल जितना अधिक होगा, उसकी सतह पर उतना ही अधिक अधिशोषण होगा।

यही कारण है कि चारकोल और सिलिका जैल अच्छे अधिशोषक हैं क्योंकि वे सरंध्र (porous) होते हैं और इसलिए उनका पृष्ठीय क्षेत्रफल भी अत्यधिक होता है। एक अधिशोषक के पृष्ठ क्षेत्रफल में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि उसकी प्रविभाजित अवस्था (state of subdivision) में वृद्धि करके की जा सकती है। आकार में बड़े कणों की तुलना में उतने ही द्रव्यमान के सूक्ष्म वितरित (finely divided) कणों का पृष्ठ क्षेत्रफल बहुत अधिक होता है। यही कारण है कि कोलॉइडी अवस्था में स्थित एक पदार्थ निस्यन्द रूप में स्थित पदार्थ की तुलना में अधिक अच्छा अधिशोषक सिद्ध होता है। सूक्ष्म वितरित धातुएँ; जैसे- निकिल, प्लेटिनम आदि प्रभावशाली उत्प्रेरकों की भाँति कार्य करती हैं।

2. अधिशोषित पदार्थ की प्रकृति – किसी एक निश्चित ताप पर एक विशिष्ट अधिशोषक पर अधिशोषित होने वाली गैसों की मात्रा भी भिन्न-भिन्न होती है। 288K पर 1 g चारकोल द्वारा अधिशोषित (NTP पर) विभिन्न गैसों के आयतन  हैं 
उच्च क्रांतिक ताप (critical temperature) युक्त गैसों में कम क्रांतिक ताप युक्त गैसों की तुलना में अधिशोषित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। इसका कारण यह है कि क्रांतिक ताप अधिक होने पर एक गैस आसानी से वाण्डर वाल्स बलों के द्वारा अधिक अधिशोषक की सतह पर अधिशोषित हो जाती है।

3. ताप – किसी अधिशोषक विशेष द्वारा किसी अधिशोषित गैस की मात्रा ताप में वृद्धि करने पर घटती है तथा ताप घटाने पर बढ़ती है। ताप में वृद्धि के साथ अधिशोषण में कमी को निम्न प्रकार समझा जा सकता है- अधिशोषण में दो प्रक्रम एक साथ होते हैं- ठोस के पृष्ठ पर गैस के अणुओं का संघनन अर्थात् अधिशोषण (adsorption) और ठोस के पृष्ठ से अणुओं का गैसीय प्रावस्था में वाष्पन अर्थात् विशोषण (desorption)। अधिशोषण एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है तथा उपरोक्त दोनों प्रक्रमों में निम्न साम्य स्थापित हो जाता है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 5 Surface Chemistry 5Q.1.2
ला- शातेलिए के नियमानुसार, ताप में वृद्धि करने पर अधिशोषण घटता है तथा ताप कम करने पर अधिशोषण में वृद्धि होती है।

4. दाब – स्थिर ताप पर, दाब में वृद्धि के साथ गैस के अधिशोषण में भी वृद्धि होती है। निम्न ताप पर जब दाब निम्न मानों से बढ़ाया जाता है तो गैसों के अधिशोषण में तीव्रता से वृद्धि होती है। विभिन्न स्थिर तापों पर 1 ग्राम चारकोल द्वारा N, गैस के अधिशोषण का दाब के साथ विचरण अग्र ग्राफ में दर्शाया गया है 

5. ठोस अधिशोषण का सक्रियण – अधिशोषक को सक्रियत करके अर्थात् उसके पृष्ठ क्षेत्रफल में वृद्धि करके भी उसकी अधिशोषण क्षमता में वृद्धि की जा सकती है। इसके लिए अधिशोषक को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जा सकता है। यहाँ यह विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य है कि यदि तोड़ने पर अधिशोषक लगभग चूर्ण रूप में हो जाता है तो गैस उसमें प्रवेश नहीं कर पाती है और इस स्थिति में अधिशोषण घट जाता है।
अधिशोषक के पृष्ठ को खुरचकर अथवा रासायनिक विधि द्वारा खुरदरा बनाकर भी अधिशोषक की अधिशोषण क्षमता में वृद्धि की जा सकती है।

Related questions

Category

Follow Us

Stay updated via social channels

Twitter Facebook Instagram Pinterest LinkedIn
...