संक्षारण को प्रभावित करने वाले कारक
धातुओं का संक्षारण अनेक कारकों पर निर्भर करता है। इनमें से कुछ प्रमुख कारक निम्न हैं –
1. धातु की क्रियाशीलता – अधिक क्रियाशील धातु के संक्षारण की सम्भावना किसी अन्य कम क्रियाशील धातु की तुलना में अधिक होती है। उदाहरणार्थ- लोहा अपने से कम क्रियाशील धातु चाँदी की तुलना में अधिक तेजी से संक्षारित होता है। किसी धातु की क्रियाशीलता उसकी विद्युत धनात्मक प्रकृति पर निर्भर करती है। धातु की विद्युत धनात्मक प्रकृति जितनी अधिक होगी, वह उतनी ही अधिक क्रियाशील होगी। इस प्रकार धातुएँ जैसे-Na, Ca, Mg, Al, Zn आदि शीघ्रता से संक्षारित होती हैं।
2. धातु में अशुद्धियों की उपस्थिति – शुद्ध धातुएँ प्राय: अधिक संक्षारित नहीं होती हैं। एक धातु में अन्य अशुद्ध धातुओं की उपस्थिति उस धातु में संक्षारण को प्रेरित करती है। इसका कारण यह है कि कम विद्युत धनात्मक अशुद्ध धातुएँ ग्राही धातु के साथ गैल्वेनिक सेलों का निर्माण करती हैं जिससे ग्राही धातु संक्षारित हो जाती है।
3. जल में विद्युत अपघट्यों की उपस्थिति – जल में विद्युत अपघट्य पदार्थों की उपस्थिति संक्षारण की दर में वृद्धि करती है। उदाहरणार्थ-लोहे का संक्षारण आसुत जल की तुलना में समुद्री जल में अधिक सीमा तक होता है, क्योंकि समुद्री जल में अनेक विद्युत अपघट्य जैसे NaCl, KCl आदि घुले रहते हैं।
4. वायु में क्रियाशील गैसों की उपस्थिति – वायु में उपस्थित क्रियाशील गैसें; जैसे- CO2 , SO2, NO2 आदि जल में घुलकर अम्लों का निर्माण करती हैं, जो विद्युत-अपघट्यों का कार्य करते हैं एवं संक्षारण प्रक्रिया को त्वरित करते हैं।