Welcome to the Hindi Tutor QA. Create an account or login for asking a question and writing an answer.
Pratham Singh in Biology
श्वसन क्रिया को प्रभावित करने वाले बाह्य कारकों वर्णन कीजिये

1 Answer

0 votes
Deva yadav

श्वसन क्रिया को प्रभावित करने वाले बाह्य कारक

1. तापक्रम (Temperature) :
श्वसन पर प्रभाव डालने वाले कारकों में तापक्रम सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। 0 से 30°C तक तापक्रम बढ़ने पर श्वसन क्रिया की दर लगातार बढ़ती रहती है। वांट हॉफ (Vant Hoffs) के नियमानुसार 0°C से अधिंक 30°C तक प्रत्येक 10°C तापक्रम बढ़ने पर श्वसन की दर 2 से 2.5 गुना बढ़ जाती है, अर्थात् श्वसन का तापक्रम गुणांक (Q 10°C) 2 से 2.5 के बीच होता है। श्वसन क्रिया की सर्वाधिक दर 30°C पर होती है। 30°C से ऊपर तापक्रमों पर आरम्भ में श्वसन दर बढ़ती है, परन्तु शीघ्र ही दर घट जाती है। और जितना अधिक तापक्रम होगा उतनी ही अधिक प्रारम्भ में देर बढ़ेगी और उतनी ही शीघ्र तथा अधिक समय के साथ दर घटेगी। सम्भवतः ऐसा इसलिए होता है कि श्वसन में कार्य करने वाले विकर (enzymes) अधिक तापक्रम पर विकृत (denatured) हो जाते हैं। 0°C से कम तापक्रम पर श्वसन दर बहुत कम हो जाती है इसीलिए फलों एवं बीजों को कम तापक्रम पर संरक्षित किया जाता है। यद्यपि कुछ पौधों में -20°C तापक्रम पर भी श्वसन क्रिया होती रहती है। सुषुप्त बीजों को यदि -50°C तापक्रम पर रखा जाए तो वे जीवित रहते हैं। जिसका अर्थ है कि उनमें इस तापक्रम पर भी श्वसन होता है।

2. ऑक्सीजन (Oxygen) :
ऑक्सीजन (O2) की उपस्थिति तथा अनुपस्थिति पर श्वसन को क्रमशः ऑक्सी -श्वसन (aerobic respiration) तथा अनॉक्सी श्वसन (anaerobic respiration) में विभाजित किया जाता है। वायु में 20.8% ऑक्सीजन (0%) होती है। वातावरण में ऑक्सीजन (O2) की मात्रा को एक निश्चित सीमा में घटाने या बढ़ाने पर भी श्वसन क्रिया की दर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वायु में ऑक्सीजन (O2) की मात्रा को लगभग 2% तक घटाने पर श्वसन क्रिया की दर बहुत कम हो जाती है। ऑक्सीजन की सान्द्रती अत्यधिक कम हो जाने पर अनॉक्सी-श्वसन के कारण एथिल ऐल्कोहॉल (ethyl alcohol) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) अधिक मात्रा में निष्कासित होते हैं।

3. जल (Water) :
जल की कमी होने पर श्वसन की दर घटती है। सूखे बीजों में (प्रायः 8 से 12% जल होता है। बहुत कम श्वसन होता है और बीज द्वारा जल का अन्तःशोषण (imbibition) करने पर श्वसन की दर बढ़ जाती है। गेहूँ के बीजों में जल की मात्रा 16 से 17% बढ़ने पर श्वसन दर बहुत अधिक बढ़ जाती है। यद्यपि जिन ऊतकों में पहले से ही जल। की मात्रा काफी होती है, जल की मात्रा के घटाने-बढ़ाने से श्वसन दर पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। बीज को जीवनकाल जल की मात्रा कम रहने से बढ़ता है। श्वसन विकरों (enzymes) के कार्य में जल आवश्यक होता है।

4. प्रकाश (Light) :
श्वसन रात्रि में भी होता रहता है। इसके लिए प्रकाश का होना आवश्यक नहीं है, किन्तु प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया होने के कारण शर्कराओं का संश्लेषण होता है जिससे उनकी सान्द्रता बढ़ती है और श्वसन-प्रयुक्त पदार्थों (respiratory substrates) की मात्रा अधिक होने से श्वसन दर बढ़ती है। अत: प्रकाश श्वसन को परोक्ष रूप से प्रभावित करता है।

5. कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2) :
वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2) की सान्द्रता सामान्य रूप से अधिक होने पर श्वसन दर कम हो जाती है। बीजों का अंकुरण एवं वृद्धि दर कम हो जाते हैं। हीथ (Heath, 1950) ने सिद्ध किया है कि कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2) से पत्ती पर स्थित रन्ध्र (stomata) बन्द हो जाते हैं। इससे ऑक्सीजन ( O2) पत्ती में प्रवेश नहीं करती जिससे श्वसन दरें घट जाती है।

6. क्षति (Injury) :
घायल ऊतक में सामान्यतः श्वसन दर तीव्र हो जाती है। सम्भवतः क्षतिग्रस्त भाग में कुछ कोशिकाएँ विभज्योतकी (meristematic) होकर तेजी से विभाजित होने लगती हैं। वृद्धि कर रही कोशिकाओं में, परिपक्व कोशिकाओं की अपेक्षा श्वसन दर अधिक होती है। हॉपकिन्स (Hopkins) के अनुसार पौधे के क्षतिग्रस्त भागों में स्टार्च का शर्करा में परिवर्तन तेजी से होने लगता है, जिसके कारण भी क्षतिग्रस्त भागों की श्वसन दर बढ़ जाती है।

Related questions

Category

Follow Us

Stay updated via social channels

Twitter Facebook Instagram Pinterest LinkedIn
...